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26 May 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1. चीन में मिला वर्ल्ड वॉर 2 का 'भूतिया' बंकर, इंसानों पर होती थी जैविक हथियार की टेस्टिंग

पुरातत्वविदों ने चीन में द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के एक ऐसे डरावने बंकर (Horror Bunker) का पर्दाफाश किया है, जिसमें जापान (Japan) की सेना की एक यूनिट इंसानों पर बहुत क्रूर ढंग से वायरसों और दूसरे संक्रामक रोगाणुओं से प्रयोग करती थी. इन प्रयोगों का मकसद जैविक हथियारों (biological weapons) का परीक्षण करना था. अब चीन के पुरातत्वविदों को द्वितीय विश्व युद्ध के इस ‘हॉरर बंकर’ का पता मिल गया है. इन बंकरों में जापानी शोधकर्ताओं ने भयानक मानवीय प्रयोग किए जैविक हथियारों के लिए कई तरह के डेटा जुटाए.

‘द इंडिपेंडेंट’ की एक खबर के मुताबिक इस बंकर की जगह पूर्वोत्तर चीन में हेइलोंगजियांग प्रांत में आंदा शहर के पास है. कथित तौर पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी वैज्ञानिकों ने यहां पर इंसानों से जुड़े विषयों पर कई भयानक प्रयोग किए. बताया जाता है कि इस साइट का उपयोग जापानी इंपीरियल आर्मी की कुख्यात यूनिट 731 ने किया था. जिसने 1935 और 1945 के बीच कुछ सबसे क्रूर रोगाणु युद्ध प्रयोग किए थे. इसके कारण बाद में इस यूनिट को काफी बदनामी का सामना करना पड़ा था. बैक्टीरियोलॉजिकल वारफेयर डिपार्टमेंट ने इस साइट की देखरेख की और अपने अधिकांश प्रयोग विशेष जेलों में रखे इंसानों पर किए.

रिपोर्ट में कहा गया कि ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि आंदा साइट पर ‘यूनिट 731’ के प्रयोगों में कैदियों को घातक बीमारियों से संक्रमित करना और नए जैविक हथियारों का परीक्षण करना शामिल था. जापानी सेना ने इस जगह पर संक्रामक रोगाणुओं के एजेंटों के प्रसार को कंट्रोल करने के तरीकों पर शोध करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए भूमिगत बंकरों में दुनिया में इंसानों पर कुछ सबसे भीषण प्रयोग किए थे. हेइलोंगजियांग प्रांतीय सांस्कृतिक अवशेष और पुरातत्व संस्थान के शोधकर्ताओं ने कहा कि ये बंकर यूनिट 731 के अत्याचारों की विरासत और जैविक युद्ध को रोकने के वैश्विक प्रयासों पर उनके असर को भी उजागर करता है. 1941 में बनाई गई आंदा विशेष परीक्षण क्षेत्र, ‘यूनिट 731’ की सबसे बड़ी, सबसे अच्छी तरह से सुसज्जित और सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली परीक्षण सुविधा के रूप में कार्य करता था.

2. नीति आयोग की बैठक का बायकॉट करेंगे केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार (27 मई) को होने वाली नीति आयोग की मीटिंग (बैठक) का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली में लाए गए अध्यादेश के खिलाफ बहिष्कार करने का फैसला लिया है।सीएम केजरीवाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें कहा कि अगर प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए कहां जाएं? प्रधानमंत्री गैर बीजेपी सरकारों के काम करने दें। साथ ही कहा कि जब सहकारी संघवाद एक मजाक है तो नीति आयोग की बैठक में भाग लेने का क्या मतलब है?

3. चीन में कोविड की नई लहर मचा सकती है तबाही, जून में चरम पर होगी संक्रमण दर

कोरोना वायरस की नई लहर को लेकर चीनी अधिकारी पहले ही अलर्ट होते नजर आ रहे हैं। दरअसल, चीनी अधिकारी कोविड के नए वेरिएंट से निपटने के टीकों पर जोर देते दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि जून तक यह नया वेरिएंट काफी तेजी से पूरे क्षेत्र में फैल जाएगा और उस दौरान लगभग 65 मिलियन लोगों को संक्रमित करेगा। एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है।

महामारी से निपटने के लिए नए सिरे से होगा टीकाकरण

आधिकारिक मीडिया सूत्रों के अनुसार, चीनी महामारी वैज्ञानिक झोंग नानशान ने सोमवार को कहा कि XBB ऑमिक्रॉन सब वैरिएंट्स (XBB. 1.9.1, XBB. 1.5, और XBB. 1.16) के लिए दो नए टीकों को शुरू करने की अनुमति दे दी गई है। झोंग ने कहा कि तीन से चार अन्य टीकों को जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी, लेकिन उन्होंने आगे कोई जानकारी नहीं दी।

नए महामारी को लेकर अलर्ट हुआ चीन

चीन द्वारा जीरो-कोविड नीति को खत्म करने के बाद यह लहर वायरस की सबसे बड़ी लहर हो सकती है। चीन में अधिकारियों का दावा है कि वर्तमान लहर कम गंभीर होगी, लेकिन सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस लहर से निपटने की व्यवस्था नहीं की गई, तो बुजुर्ग आबादी के बीच मृत्यु दर में एक और उछाल आ सकता है।

जनता को दी गई सलाह

बीजिंग सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, पिछले महीने के मुकाबले इस महिला वेरिएंट की वजह से संक्रमित व्यक्तियों की संख्या बढ़ी है। चीन के लोगों को स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा आश्वस्त किया गया है कि पुन संक्रमण के हल्के लक्षण देखने को मिल रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में पिछली सर्दियों की तरह भीड़भाड़ नहीं होगी। विशेषज्ञों ने लोगों को मास्क पहनने और भीड़-भाड़ वाले इलाकों से दूर रहने की सलाह दी है।

4.10 फीसदी तक कम हुए दूध खरीद रेट्स, बटर और मिल्क पाउडर के दाम में भी कटौती! 

देश में एक तरफ जहां दूध के दाम में लगातार बढ़ोतरी हुई है तो वहीं दूसरी ओर उत्तरी भारत और महाराष्ट्र में प्रमुख डेरियों की ओर से दूध के खरीद मूल्य में बड़ी कटौती की गई है. डेरियों ने पिछले 15 दिनों के दौरान दूध के खरीद मूल्य में 10 फीसदी की कमी की है. 

दूध के दाम में नहीं होगी कोई बढ़ोतरी! 

उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि इसका लाभ ग्राहकों को नहीं मिलेगा, जिसका मतलब है कि खुदरा दूध की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि अधिकारियों ने कहा कि ग्राहकों के लिए सिर्फ एक राहत होगी कि कुछ महीनों तक दूध के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी. 

मिल्क पाउडर और बटर के दाम गिरे 

करीब दो महीने पहले, भारतीय डेयरी के एक सेक्शन की ओर से दूध का आयात शुरू करने के लिए मांग की जा रही थी, क्योंकि दूध की कमी के कारण स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) और व्हाइट बटर के दाम में बढ़ोतरी देखी गई थी. हालांकि पिछले दो सप्ताह के दौरान SMP और बटर की कीमत में 5-10 फीसदी की गिरावट आई है. 

बाजारों में जमाखोरी बढ़ी 

उद्योग के दिग्गजों ने कीमतों में गिरावट के लिए मौसम की गड़बड़ी और जमा किए गए स्टॉक को बाजार में जारी करने को जिम्मेदार ठहराया है. एक्सपर्ट ने कहा कि गर्मी के मौसम की शुरुआत में देरी के कारण, आइसक्रीम, दही, छाछ और अन्य पेय पदार्थों की मांग अभी तक गर्मियों की चरम मांग के स्तर तक नहीं पहुंची है, जिससे बाजारों में जमाखोरी हो गई है. पिछले 15 महीनों में दूध और दुग्ध प्रोडक्ट्स की कीमतों में 14 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी के कारण मांग में कमी आई है. 

इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस सोढ़ी ने कहा कि वर्षा के कारण गर्मी के सीजन की शुरुआत देरी से हुई है. इस कारण आइसक्रीम, दही, छाछ और अन्य समर प्रोडक्ट की मांग कम बढ़ोतरी हुई है और अभी भी ये पीक डिमांड पर नहीं पहुंचा है. महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली के कुछ हिस्सों के डेयरी ने मिल्क पाउडर और बटर की कीमत में कमी की है. 

कितने घटे दूध, मिल्क पाउडर और बटर के दाम

बटर और मिल्क पाउडर की कीमतों में कमी के कारण मिल्क की खरीद रेट में राज्यों में 3 से 5 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई है. मिल्क पाउडर में 20-30 रुपये प्रति किलो घटकर 290-310 रुपये प्रति किलो हो चुका है, जबकि बटर की कीमत में 25 से 30 रुपये प्रति लीटर कम करके 390-405 रुपये प्रति केजी कर हो चुका है. 

5.जिस पुजारी को देना है पीएम मोदी को राजदंड, उसने 2024 चुनाव को लेकर कह दी बड़ी बात


मदुरै अधीनम के 293वें प्रधान पुजारी की ओर से 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजदंड 'सेंगोल' भेंट किया जाएगा. मदुरै अधीनम के प्रधान पुजारी श्री हरिहर देसिका स्वामीगल ने कहा है कि पीएम मोदी को वैश्विक सराहना मिली है और देश में सभी को उन पर गर्व है. उन्होंने ये भी कहा कि नरेंद्र मोदी को साल 2024 में एक बार फिर प्रधानमंत्री के रूप में लौटना चाहिए. 

स्वामीगल ने एएनआई से कहा, "पीएम मोदी एक ऐसे नेता हैं जिन्हें वैश्विक सराहना मिली है. वह लोगों के लिए अच्छे काम कर रहे हैं. 2024 में उन्हें फिर से पीएम बनना है और लोगों का मार्गदर्शन करना चाहिए. हम सभी को बहुत गर्व है क्योंकि दुनिया के नेता हमारे पीएम मोदी की तारीफ कर रहे हैं."

खुद को दोहराएगा इतिहास

28 मई को जब प्रधानमंत्री देश के नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे तो इतिहास एक बार फिर को दोहराएगा, जब प्रधानमंत्री सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित करेंगे. यह सेंगोल मदुरै अधीनम के प्रधान पुजारी पेश करेंगे. उन्होंने कहा, उन्होंने कहा, "मैं नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर पीएम मोदी से मिलूंगा और उन्हें 'सेंगोल' भेंट करूंगा."

यह वही सेंगोल है जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त की रात अपने आवास पर कई नेताओं की उपस्थिति में स्वीकार किया था.

सेंगोल का ऐतिहासिक महत्व

सेंगोल का ऐतिहासिक महत्व रहा है. चोल राजवंश के समय इसे सत्ता हस्तांतरण के लिए प्रयोग में लाया जाता था. जब 15 अगस्त, 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजों से सत्ता प्राप्त की, तो प्रतीक के रूप में इस ऐतिहासिक राजदंड को लिया था. अब वही सेंगोल मदुरै अधीनम के पुजारी पीएम मोदी को सौंपेंगे.

ऐतिहासिक राजदंड 'सेंगोल' बनाने वाले वुम्मिदी बंगारू ज्वैलर्स के चेयरमैन वुम्मिदी सुधाकर ने कहा, "हमने इस 'सेंगोल' का निर्माण किया, इसे बनाने में हमें एक महीने का समय लगा. इस पर चांदी और सोने की परत चढ़ी हुई है. जब ये बना था, तब मैं 14 साल का था."

सेंगोल के बारे में बताते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, 'आजादी के 75 साल बाद भी भारत में ज्यादातर लोगों को भारत में सत्ता हस्तांतरण के दौरान हुई इस घटना की जानकारी नहीं है, जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल सौंपा गया था. उन्होंने बताया कि "उस रात को जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु में थिरुवदुथुराई अधीनम (मठ) के अधीनम (पुजारियों) से 'सेंगोल' प्राप्त किया था."

सेंगोल के लिए संसद सबसे पवित्र स्थान

केंद्रीय गृह मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री ने अमृत काल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में सेंगोल को अपनाने का निर्णय लिया है. संसद का नया भवन उसी घटना का गवाह बनेगा, जिसमें अधीनम (पुजारी) समारोह को दोहराएंगे और पीएम को सेंगोल प्रदान करेंगे.

1947 में प्राप्त उसी सेंगोल को प्रधान मंत्री द्वारा लोकसभा में स्थापित किया जाएगा, जो अध्यक्ष के आसन के करीब होगा. इसे देश के देखने के लिए प्रदर्शित किया जाएगा और विशेष अवसरों पर निकाला जाएगा. अमित शाह ने कहा कि ऐतिहासिक "सेंगोल" स्थापित करने के लिए संसद भवन सबसे उपयुक्त और पवित्र स्थान है.

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