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5 May 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1.शरद पवार का स्तीफा वापस, 4 दिनों के भीतर फिर संभाली NCP की कमान

शरद पवार ने एनसीपी (NCP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस लिया. उन्होंने शुक्रवार (5 मई) को प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा करते हुए कहा, "मैं आपकी भावनाओं का अपमान नहीं कर सकता. मैं भावुक हो गया हूं और अपना फैसला वापस ले रहा हूं." एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि 2 मई को मैंने एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया था. ऐसा लगा था कि मेरी कई सालों की सेवा के बाद मुझे रिटायर होना है.

पवार ने कहा कि इसके बाद एनसीपी के कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को दुख हुआ. इस निर्णय पर दोबारा से विचार करूं इसलिए मेरे हितचिंतक और कार्यकर्ताओं व चाहने वालों ने आग्रह किया. इसी के साथ कार्यकर्ताओं ने मुझे कहा कि मैं अध्यक्ष पद फिर से वापस लूं. मेरी तरफ से लोगों की भावनाओं का अनादर नहीं हो सकता. 

एनसीपी कार्यकर्ताओं ने मनाया जश्न 

शरद पवार ने आगे कहा कि इन सबसे मैं भावुक हो गया हूं, सबके आह्वान और एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं के कहने के बाद और सबकी भावनाओं पर विचार कर मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटने का अपना फैसला वापस लेता हूं. मैं फिर से अध्यक्ष पद स्वीकार रहा हूं. शरद पवार के अध्यक्ष पद वापस लेने की घोषणा के बाद एनसीपी कार्यकर्ताओं ने मुंबई में वाईबी चव्हाण केंद्र के बाहर जोरदार जश्न मनाया. 

उत्तराधिकारी और रिटायरमेंट पर क्या बोले?

उन्होंने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए कई लोगों ने मुझे विनती की जिसमें कई राष्ट्रीय पक्ष के नेताओं का भी समावेश है. उत्तराधिकारी के सवाल पर शरद पवार ने कहा कि यहां जो बैठे हैं वो सभी देश को संभाल सकते हैं. उन्हें मौका मिलने की देरी है. रिटायरमेंट पर शरद पवार ने कहा कि मुझे पूरा अंदेशा था कि अगर मैं इन सबसे चर्चा करूंगा तो ये लोग मुझे ऐसा करने नहीं देंगे. जिस वजह से मुझे इस तरह से अपना फैसला सुनाना पड़ा था.  

इस्तीफे के बाद एनसीपी में मची थी खलबली

गौरतलब है कि शरद पवार ने बीती 2 मई को एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था. पवार ने पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक समिति का गठन किया था. जिसमें उनके भतीजे अजित पवार, बेटी सुप्रिया सुले, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल शामिल थे. उनके इस एलान के बाद एनसीपी कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध किया था. साथ ही कई पदाधिकारियों ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था. कार्यकर्ताओं के विरोध को देखते हुए पवार ने अपने फैसले पर विचार करने के लिए दो-चार दिन का समय मांगा था.

2.  क्यों जल रहा है मणिपुर, 10 साल पुरानी एक वजह कैसे बनी जिम्मेदार

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर एक बार फिर से हिंसा की आग में झुलस रहा है. मणिपुर की सरकार ने बेहद विषम परिस्थिति में हिंसा करने वालों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है. तीन मई को मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद से पूरा राज्य हिंसा की आग में समा गया है.

बीते दो दिनों में भीड़ ने प्रदेश के गांवों पर हमला किया, घरों में आग लगा दी, दुकानों में तोड़फोड़ की. माता-पिता इतने डरे हुए थे कि उन्होंने बच्चों को नींद की दवाइयां दे दीं ताकि वे रोएं नहीं. निवासियों को डर है कि आने वाले दिनों में हमले और बढ़ेंगे और खून-खराबा बड़े पैमाने पर हो सकता है.

बुधवार से पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है. राज्य के कई जिलों में कर्फ्यू भी लगा दिया गया है. सोशल मीडिया पर इस व्यापक हिंसा को लेकर कई तस्वीरें और वीडियो शेयर किए गए. वीडियो और फोटो में कई घरों को आग में जलता हुआ देखा गया. 

इस पूरी हिंसा की वजह मणिपुर हाई कोर्ट का एक आदेश था. इस आदेश में हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह 10 साल पुरानी सिफारिश को लागू करे जिसमें गैर-जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी.

तीन मई को हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद इंफाल घाटी में स्थित मैतेई और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच हिंसा भड़क उठी. मैतेई मणिपुर में प्रमुख जातीय समूह है और कुकी सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है. 

दशकों से पनप रही है दुश्मनी की आग  

मणिपुर में 16 जिले हैं. राज्य की जमीन इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के तौर पर बंटी हुई है. इंफाल घाटी मैतेई बहुल हैं. मैतई जाति के लोग हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. 

पहाड़ी जिलों में नागा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है. हालिया हिंसा चुराचांदपुर पहाड़ी जिलों में ज्यादा देखी गई. यहां पर रहने वाले लोग कुकी और नागा ईसाई हैं. बता दें कि चार पहाड़ी जिलों में कुकी जाति का प्रभुत्व है. 

मणिपुर की आबादी लगभग 28 लाख है. इसमें मैतेई समुदाय के लोग लगभग 53 फीसद हैं. मणिपुर के भूमि क्षेत्र का लगभग 10% हिस्सा इन्हीं  लोगों के कब्जे में हैं. ये लोग मुख्य रूप से इंफाल घाटी में बसे हुए हैं. कुकी जातीय समुह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रही है.कुकी जातीय समुह में कई जनजातियाँ शामिल हैं. मणिपुर में मुख्य रूप से पहाड़ियों में रहने वाली विभिन्न कुकी जनजातियाँ वर्तमान में राज्य की कुल आबादी का 30 फीसद हैं.

कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने का विरोध करती आई है. इन जनजातियों का कहना है कि अगर मैती समुदाय को आरक्षण मिल जाता है तो वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले से वंचित हो जाएंगे. कुकी जनजातियों का ऐसा मानना है कि आरक्षण मिलते ही  मैतेई लोग अधिकांश आरक्षण को हथिया लेंगे.

बता दें कि अनुसूचित जनजाति मांग समिति मणिपुर बीते 10 सालों से राज्य सरकार से आरक्षण की मांग कर रहा है. किसी भी सरकार ने इस मांग को लेकर अबतक कोई भी फैसला नहीं सुनाया. आखिरकार मैतेई जनजाति कमेटी ने कोर्ट का रुख किया. कोर्ट ने इस मांग को लेकर राज्य सरकार से केंद्र से सिफारिश करने की बात कही है. इस सिफारिश के बाद ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने विरोध जताना शुरू कर दिया.

मैतेई समुदाय का क्या तर्क है?

बता दें कि मैतेई ट्राइब यूनियन की एक याचिका पर 19 अप्रैल को सुनवाई हुई थी. सुनवाई पूरी होने के बाद 20 अप्रैल को मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की बात कही. मामले में कोर्ट ने 10 साल पुरानी केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय की सिफरिश पेश करने के लिए कहा था. 

सुनवाई में कोर्ट ने मई 2013 में जनजाति मंत्रालय के एक पत्र का हवाला दिया था. इस पत्र में मणिपुर की सरकार से सामाजिक और आर्थिक सर्वे के साथ जातीय रिपोर्ट के लिए कहा गया था.

3. संयुक्त राष्ट्र ने दी चेतावनी, अभी और बढ़ेगा तापमान... आ रहा है खतरनाक अल नीनो!

भले ही पिछले कुछ दिनों से मौसम में आए बदलाव के कारण देश सहित दुनियाभर के कुछ हिस्सों में तापमान में बदलाव हुआ हो, लेकिन यह कोई राहत भरी खबर नहीं है. क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीनों में भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है. चेतावनी के मुताबिक, आने वाले समय में 'अल नीनो' (El Nino) नामक जलवायु घटना बढ़ेगी. जिसके कारण दुनियाभर में गर्मी नए रिकॉर्ड बना सकती है. आइए रिपोर्ट के मुताबिक जानते हैं, ये 'अल नीनो' क्या है और आने वाले समय में इसके कारण क्या बदलाव (Climate Change) देखने को मिल सकते हैं.

सितंबर तक 80 फीसदी बढ़ जायेगा

Al-Nino एक जलवायु घटना है, जिसमें मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर की सतह गर्म हो जाती है. इससे दुनिया भर के मौसम के पैटर्न में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं. संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन का अनुमान है कि जुलाई के अंत तक अल नीनो 60 फीसदी विकसित हो सकता है. वहीं, सितंबर महीने तक इसके 80 फीसदी विकसित होने की संभावना है.

इसके कारण क्या होता है?

अल नीनो शब्द का इस्तेमाल मूल रूप से पेरू के मछुआरे एक गर्म महासागरीय प्रवाह को इंगित करने के लिए करते हैं. अल नीनो के कारण दुनियाभर में बारिश का क्रम बिगड़ जाता है. कई इलाकों में भीषण बारिश होती है, तो कई जगहों पर सूखा पड़ता है. आखिरी बार साल 2018-19 में ऐसा देखने को मिला था. इस बार इसके प्रभावी होने का अनुमान लगाया जा रहा है.

पिछले आठ साल थे सबसे गर्म

साल 2020 के बाद से दुनियाभर में ला नीना प्रभावी रहा है. ला नीना, अल नीनो का विपरीत होता है. इसमें समुद्री सतह का तापमान गिर जाता है. साल की शुरुआत के साथ ही ला नीना का प्रभाव खत्म हो गया है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ला नीना के बावजूद पिछले आठ साल अब तक के सबसे गर्म साल रहे. अगर यह न होता तो शायद गर्मी और भी खतरनाक होती.

अगले साल दिखता है इसका असर

WMO की चेतावनी के मुताबिक, अल नीनो के कारण गर्मी के नए रिकॉर्ड बन सकते हैं. फिलहाल यह जानकारी नहीं है कि अल नीनो कितना खतरनाक होगा. पिछले अल नीनो को कमजोर बताया जा रहा है. वैश्विक तापमान पर अल नीनो का असर तुरंत देखने को नहीं मिलता है. यह इसके उभरने के 1 साल बाद दिखता है, यानी इसके प्रभाव के असली नतीजे साल 2024 में देखने को मिलेंगे.

4. भारत-पाकिस्तान के बीच अहमदाबाद में खेला जा सकता है वर्ल्ड कप मैच, अक्टूबर में होगा टूर्नामेंट का आगाज

आईसीसी वनडे विश्व कप 2023 का भारत में आयोजन होना है. यह इस साल अक्टूबर और नवंबर में खेला जा सकता है. वर्ल्ड कप को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व कप का मैच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जा सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अहमदाबाद के वेन्यू मुहर लगाने वाला है. हालांकि इसको लेकर अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. भारत और पाकिस्तान के बीच आखिरी वनडे मैच विश्व कप 2019 में खेला गया था. इसके बाद से वनडे फॉर्मेट में दोनों टीमें नहीं भिड़ सकी हैं.

भारत-पाकिस्तान के बीच खेले जाने वाले मैचों का विश्वभर के फैंस को इंतजार रहता है. अब ये दोनों ही टीमें विश्व कप में आमने-सामने होंगी. 'इंडियन एक्सप्रेस' पर छपी एक खबर के मुताबिक भारत-पाक के बीच अहमदाबाद के नरेंद्र स्टेडियम में मैच खेला जा सकता है. इस स्टेडियम में 1 लाख दर्शकों बैठ सकते हैं. बीसीसीआई भारतीय टीम कै मैनेजमेंट के साथ इसको लेकर बातचीत करेगी. 

रिपोर्ट्स के मुताबिक वनडे विश्व कप 2023 का 5 अक्टूबर से आगाज हो सकता है और टूर्नामेंट का फाइनल मैच नवंबर में खेला जाएगा. इसके लिए कई वेन्यू तय किए गए हैं. नागपुर, बेंगलुरु, त्रिवेंद्रम, मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता, राजकोट, इंदौर, बेंगलुरु और धर्मशाला को शॉर्ट लिस्ट किया गया है. पाकिस्तान के सभी मैच सुरक्षा कारणों से चेन्नई, बैंगलोर और कोलकाता में खेले जा सकते हैं.

गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच आखिरी वनडे मैच विश्व कप 2019 में खेला गया था. भारत ने मुकाबले में डकवर्थ लुइस नियम से 89 रनों से जीत दर्ज की थी. टीम इंडिया ने पहले बैटिंग करते हुए 336 रन बनाए थे. इसके जवाब में पाकिस्तान के खिलाफ 40 ओवरों में 212 रन ही बना पाए थे. उन्हें बारिश की वजह से 302 रनों का लक्ष्य दिया गया था. भारत के लिए रोहित शर्मा ने 140 रनों की यादगार पारी खेली थी.

5.शरद पवार के पास ही रहेगी पावर, NCP की बैठक में दोबारा अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पास

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार की ओर से पद से इस्तीफे की घोषणा के बाद मुंबई में NCP की कोर कमेटी की बैठक चल रही है. इस दौरान एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक बार फिर से शरद पवार के नाम का प्रस्ताव दिया है. साथ ही कमिटी ने शरद पवार के इस्तीफे को अमान्य करार दिया है. 

इस मीटिंग से पहले ही जयंत पाटिल ने ट्वीट कर कहा हम साहिब के साथ हैं. वहीं पवार के इस्तीफे के विरोध में एक कार्यकर्ता ने खुद के ऊपर केरोसिन ऑयल छिड़क लिया है. वहीं आज की मीटिंग से पहले महाराष्ट्र के कई जिलों में पार्टी कार्यकर्ता इस्तीफा वापस लिए जाने के खिलाफ धरना देते नजर आए. ठाणे में एक कार्यकर्ता ने जगह-जगह यह कहते हुए पोस्टर लगवा दिए, 'पवार साहेब का कोई विकल्प नहीं है'. 

आज की मीटिंग में क्या हो सकता है?

एनसीपी के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक प्रफुल्ल पटेल के प्रस्ताव के बाद कमिटी के सभी सदस्य उनकी अध्यक्षी पर एक मत से सहमत हो सकते हैं, उसके बाद प्रफुल्ल पटेल औपचारिक रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की पुष्टी कर सकते हैं कि उन्होंने सर्वसम्मति से पवार को दोबारा अध्यक्ष पद के लिए चुना है. उसके बाद सभी सदस्य पवार से मिलने के लिए जा सकते हैं और वहां उनसे रिक्वेस्ट कर सकते हैं कि वह पार्टी अध्यक्ष बने रहें. उसके बाद गेंद एक बार फिर से पवार के पाले में होगी की वह कार्यकर्ताओं के आगे झुक जाते हैं या अपने फैसले पर अड़े रहते हैं. 

2 मई को अपने इस्तीफे के ऐलान के बाद सूत्रों ने बताया था कि हालांकि पवार ने इस बात पर काफी जोर देकर कहा था कि वह चाहते हैं अब रोटी पल्टी जाए. यानी नेतृत्व में परिवर्तन किया जाए. सूत्रों ने ये भी कहा था, पवार चाहते हैं पार्टी का अगला अध्यक्ष पवार के परिवार से नहीं हो.


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