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2 JUNE 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1. NCERT ने 10वीं का सिलेबस बदला:पीरियॉडिक टेबल और लोकतंत्र जैसे चैप्टर हटाए

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 10वीं के कोर्स से पीरियॉडिक क्लासिफिकेशन ऑफ एलिमेंट, प्रजातंत्र, राजनैतिक पार्टी (पूरा पेज), प्रजातंत्र की चुनौतियों वाले पूरे चैप्टर हटा दिए हैं। दरअसल, कोविड के दौर में रेगुलर क्लासेस नहीं लगीं और अब स्टूडेंट्स पर एकदम से पढ़ाई का बोझ बढ़ गया है, ऐसे में इसे कम करने के लिए यह फैसला किया गया है।

साल की शुरुआत में हटाया गया ये चैप्टर

इससे पहले इसी साल की शुरुआत में 10वीं क्लास के कोर्स से थ्योरी ऑफ इवॉल्यूशन को हटाने के बाद कई जानकारों ने नाराजगी जाहिर की थी। करीब 1,800 से ज्यादा साइंटिस्ट और टीचर्स ने इसके खिलाफ लेटर लिखा था।

इस वजह से लिया गया इन चैप्टर्स को हटाने का फैसला

छात्र अभी भी इन विषयों के बारे में पढ़ सकते हैं बशर्तें वे 11वीं और 12वीं में इन टॉपिक से संबंधित विषय चुनें। इन कोर्स को हटाने की वजह बताते हुए NCERT ने कहा कि इन चैप्टर्स के कठिन होने, एक ही कंटेंट की ओवरलैपिंग और इन कंटेंट का आज के संदर्भ में महत्व न होने की वजह से इन्हें हटाने का फैसला लिया गया है।

आपत्ति के बाद 12वीं की किताब से हटाया गया ये चैप्टर

ये बदलाव NCERT द्वारा हाल ही में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति द्वारा 12वीं की राजनीति विज्ञान की किताब को लेकर आपत्ति उठाने के बाद हुआ। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) की आपत्तियों के बाद NCERT ने 12वीं, राजनीति विज्ञान की किताब से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों से खालिस्तान के जिक्र को हटाने का फैसला किया है।

2.  गृहमंत्री की अपील के बाद मणिपुर में 144 हथियार सरेंडर

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बाद मणिपुर में उपद्रवियों ने 144 हथियार और 11 मैगजीन सरेंडर किए हैं। इनमें SLR 29, कार्बाइन, AK, इंसास राइफल, इंसास LMG, M16 राइफल जैसी हाईटेक राइफल्स और ग्रेनेड भी शामिल हैं। मणिपुर सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने इसकी जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि इंफाल ईस्ट में 102 हथियार और गोलाबारूद मिले हैं। टेंग्नौपाल जिले में 35 हथियार सरेंडर किए गए हैं, जिसमें से 18 सिर्फ मोरे में हुए हैं। इंफाल वेस्ट से 2 हथियार, थौबल से 5 हथियार सरेंडर किए गए हैं। पुलिस के मुताबिक ज्यादातर जिलों में स्थिति सामान्य है। राज्य में 3 मई को हिंसा भड़की थी। इसके बाद सुरक्षाबलों के करीब 2 हजार हथियार लूटे गए थे।

महीने भर बाद भी जब राज्य में हिंसा नहीं थमी तो गृह मंत्री अमित शाह 29 मई को चार दिन के दौरे पर मणिपुर पहुंचे। गुरुवार को शाह ने मणिपुर में लोगों से कहा था कि अफवाहों पर ध्यान न दें। हथियार रखने वालों को पुलिस के सामने सरेंडर करना होगा।

शाह ने कहा कि 2 जून से सर्च ऑपरेशन शुरू होगा। अगर किसी के पास हथियार मिले तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके 24 घंटे बाद ही इतनी बड़ी संख्या में उपद्रवियों ने सरेंडर किया है। उधर, राज्य के 5 जिलों से कर्फ्यू हटा लिया गया है।

4 दिन मणिपुर में रहे अमित शाह

3 मई से जारी हिंसा के बीच गृह मंत्री अमित शाह पहली बार राज्य के दौरे पर गए थे। वे 29 मई से 1 जून यानी 4 दिनों तक यहां रहे। उनके साथ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ तपन डेका भी मौजूद थे। शाह ने 4 दिन के दौरे में कई फैसले लिए। इनमें राज्य के DGP को हटाना सबसे बड़ा फैसला था।

शाह के 4 दिन के दौरे में क्या-क्या हुआ, पांच पॉइंट में पढ़ें...

1. DGP हटाए गए, हथियार रखने वालों को सरेंडर करना होगा

1 जून की शाम अमित शाह के दिल्ली लौटने से पहले राज्य के DGP पी. डोंगल को हटा दिया गया। उनकी जगह राजीव सिंह को राज्य पुलिस की कमान सौंपी गई। शाह ने इसी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस की और लोगों से हिंसा छोड़कर राज्य में शांति कायम करने की अपील की।

शाह ने मणिपुर के लोगों से कहा कि अफवाहों पर ध्यान न दें। हथियार रखने वालों को पुलिस के सामने सरेंडर करना होगा। 2 जून से सर्च ऑपरेशन शुरू होगा। अगर किसी के पास हथियार मिले तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शाह ने आगे कहा कि मणिपुर की गवर्नर की अध्यक्षता में शांति समिति बनाई जाएगी।

2. हिंसा की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से कराने की घोषणा

शाह ने हिंसा की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से कराने के लिए एक कमेटी बनाने और हिंसा से जुड़े 6 मामलों की जांच CBI से कराने की घोषणा की। शाह ने कहा- मणिपुर हाईकोर्ट के एक जल्दबाजी भरे फैसले की वजह से यहां हिंसा हुई है। दरअसल, 29 अप्रैल को हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को एसटी में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद 3 मई को प्रदर्शन हुए और हिंसा शुरू हो गई।

3. राहत शिविर गए, कूकी और मैतेई समुदाय के लोगों से मिले

31 मई को शाह ने इंफाल में एक राहत शिविर का दौरा किया। यहां मैतेई समुदाय के लोग रह रहे हैं। उन्होंने लोगों से कहा कि मणिपुर में जल्द शांति बहाल होगी। जल्द की लोगों की घरों में वापसी सुनिश्चित की जाएगी। शाह ने कुकी समुदाय के संगठनों के साथ भी बैठक की थी। उन्होंने अधिकारियों से कहा था कि मणिपुर की शांति सर्वोच्च प्राथमिकता है। शांति बहाली के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं।

अमित शाह बुधवार को म्यांमार बॉर्डर से लगे मोरेह शहर पहुंचे और सुरक्षाबलों से हालात की जानकारी ली।

अमित शाह बुधवार को म्यांमार बॉर्डर से लगे मोरेह शहर पहुंचे और सुरक्षाबलों से हालात की जानकारी ली।

4. हिंसा में मारे गए लोगों को 10 लाख और स्पेशन पैकेज की घोषणा

30 मई यानी मंगलवार सुबह अमित शाह ने सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों और बुद्धिजीवियों के साथ अलग-अलग बैठकें की। शाह ने कहा, हिंसा में मारे गए लोगों को 5 लाख मणिपुर सरकार और 5 लाख केंद्र सरकार देगी। वहीं, हिंसा में घायल लोगों और जिनकी प्रॉपर्टी का नुकसान हुआ है उनके लिए कल गृह मंत्रालय राहत पैकेज जारी करेगा। उन्होंने राज्य में राशन और तेल जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई को बेहतर करने के भी निर्देश दिए।

हिंसा के चलते 98 लोगों की जान गई

मणिपुर में 3 मई को हिंसा शुरू हुई थी। राजधानी इंफाल से लगे सेरौ और सुगनू इलाके में रविवार को हिंसक झड़प हुईं। इसमें 1 पुलिसकर्मी समेत 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 घायल हुए हैं। राज्य में हिंसा के चलते अब तक करीब 98 लोगों की जान गई है, वहीं 310 लोग घायल हुए हैं।

3. Third Party Insurance क्यों है इतना जरूरी, जानिए कहां-कहां मिलता है इससे लाभ

अगर आप कोई भी व्हीकल चलाते हैं, तब आपने कई बार थर्ड पार्टी इंश्योरेंस (Third Party Insurance) के बारे में सुना होगा। कोई भी नया वाहन खरीदने के बाद उसका थर्ड पार्टी इंश्योरेंस करवाना अनिवार्य होता है। ये इंश्योरेस गाड़ी गाड़ी के मालिक को इंश्योर नहीं करती है यानी कि किसी भी तरह का कवर नहीं देती है। अब सवाल आता है कि आखिर ये इंश्योरेंस इतना जरूरी क्यों है? इस इेश्योरेस के क्या फायदे होते हैं?

2018 से अनिवार्य किया गया

साल 2018 से हर गाड़ी का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होना अनिवार्य है। नई बाइक की खरीद पर 5 साल और कार की खरीद पर 3 साल का इंश्योरेंस किया जाता है। इस इंश्योरेंस में गाड़ी के मालिक को किसी भी तरह का कवर नहीं दिया जाता है। लेकिन इस इंश्योरेंस में अगर आपकी गाड़ी से कोई सड़क दुर्घटना होती है तो उस दुर्घटना के दौरान चोटिल होने वाले व्यक्ति को कवर किया जाता है। इस इेश्योरेंस को लाइबिलटी कवर के तौर पर भी जाना जाता है। यह इंश्योरेस तीसरे पक्ष से ही संबंधित होता है।

इस इंश्योरेंस का फायदा

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस गाड़ी मालिक को इंश्योर नहीं देता है। लेकिन ये बीमा दूसरी तरीके से बहुत मददगार साबित होता है। इस इंश्योरेंस में वाहन दुर्घटना में होने वाले आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है। इसके साथ ही दुर्घटना के बाद अस्पताल में होने वाले खर्चों को भी कवर किया जाता है। इसमें कानूनी काम-काज की लागत को भी कवर किया जाता है। इन सबका का क्लेम बीमा कंपनी द्वारा दिया जाता है। इस इंश्योरेस को अनिवार्य इसलिए किया गया है क्योंकि देश में कई ऐसे लोग हैं जो गाड़ी का इंश्योरेंस एक साल के बाद दोबारा नहीं करवाते हैं। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को अनिवार्य करने का आदेश दिया था।

कौन-कौन इंश्योर होते हैं

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में वाहन से हुई दुर्घटना में चोटिल व्यक्ति के नुकसान को कवर किया जाता है। ये नुकान बीमा कंपनी द्वारा भरा जाता है।

गाड़ी को होने वाले किसी भी नुकसान की भरपाई इंश्योरेस कंपनी ही करती है। इस बात का ध्यान रखियेगा कि इस इंश्योरेंस में केवल आर्थिक नुकसान की भरपाई होती है।

बीमा कंपनी सिर्फ थर्ड पार्टी को ही कवर करती है। गाड़ी का मालिक फर्स्ट पार्टी और गाड़ी की चपेट में आने वाला व्यक्ति थर्ड पार्टी होता है।

किस को क्लेम देती है बीमा कंपनी

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में बीमा कंपनी आपकी गाड़ी से किसी अन्य व्यक्ति के वाहन को हुआ नुकसान, किसी दूसरे व्यक्ति की सं​पत्ति को हुआ नुकसान, किसी व्यक्ति के शरीर में गंभीर चोट या मृत्यु पर मुआवजा, दुर्घटना से संबंधित कानूनी कार्रवाई का खर्च का क्लेम देती है। अगर आपके वाहन को नुकसान हुआ है या चोरी हुआ है तो कंपनी उसकी भरपाई नहीं करती है। इसके साथ ही वाहन के मालिक को शारीरिक नुकसान होता है तो उसे भी कवर नहीं किया जाता है।

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं है तो कितना जुर्माना देना होगा

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस आपको किसी दुर्घटना में होने वाले नुकसान की भरपाई करने में मदद करता है। अगर आप बिना थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाते हैं तब आपको 2000 रुपये तक का जुर्माना या 3 महीने तक की जेल की सजा हो सकती है। अगर आप बार बार इस तरह की लापरवाही करते हैं, तो आपको दोनों सजा हो सकती हैं।

4. क्या है वह फैसला, जिसकी वजह से मणिपुर में भड़की हिंसा?

भारत का पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर इस समय हिंसा की चपेट में है। अब तक 80 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। हिंसा की शुरुआत तीन मई से हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हिंसा के कारणों की समीक्षा करने के लिए राज्य का दौरा किया। इस दौरान एक जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के जल्दबाजी में दिए एक फैसले की वजह से मणिपुर में हिंसा भड़की। आखिर हाईकोर्ट का वह फैसला क्या था। आइए, जानते हैं..

अमित शाह ने मणिपुर हिंसा पर क्या कहा?

अमित शाह ने कहा कि पिछले एक महीने में मणिपुर में कई हिंसक घटनाएं देखने को मिली हैं। इन घटनाओं की जांच के लिए हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा। इसके अलावा, राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति बनाई जाएगी, जिसमें कुकी और मैती समुदायों के अलावा, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कुछ हिंसक घटनाओं की जांच सीबीआई भी करेगी।

शाह ने और क्या कहा?

शाह ने कहा कि विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के लिए सीआरपीएफ के सेवानिवृत्त महानिदेशक कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में एक इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड की स्थापना की जाएगी।

केंद्र ने आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित कोटे के अतिरिक्त 30 हजार मीट्रिक टन चावल भेजा है।

हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये दिए जाएंगे।

केंद्र ने मेडिकल सुविधाओं को सुचारू रखने के लिए आठ स्पेशल टीमों को तैनात किया है।

मणिपुर हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया था?

मणिपुर में हिंसा भड़कने की बड़ी वजह हाईकोर्ट के द्वारा मैती समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को स्वीकार करना है। हाईकोर्ट के इसी फैसले के बाद मैती समुदाय निशाने पर आ गया और राज्य में हिंसा भड़क उठी। सेना की तैनाती के बावजूद 35 हजार से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा।

मैती कौन हैं?

मैती हिंदू हैं। वे मणिपुर में बहुसंख्यक है। वर्तमान में वे केवल इंफाल घाटी में रहने को मजबूर हैं। इसकी वजह यह है कि उन पर अपने ही राज्य के पर्वतीय इलाकों में संपत्ति खरीदने और खेती करने पर कानूनी तौर पर रोक लगाई गई है। यहां ईसाई बन चुके कुकी और नगा समुदाय के लोग रहते हैं, जिनकी आबादी 40 प्रतिशत है। ये मणिपुर के कुल क्षेत्रफल के 90 प्रतिशत हिस्से में रहते हैं।

दस प्रतिशत क्षेत्र में ही रह सकता है मैती समुदाय 

मैती समुदाय की जनसंख्या करीब 53 प्रतिशत है, लेकिन वह करीब 10 प्रतिशत क्षेत्र में ही रह सकता है। कुकी और नगा समुदाय के इंफाल घाटी में रहने पर कोई कानूनी बंदिश नहीं है। 

मणिपुर में हिंसा की अन्य वजह क्या हैं?

मणिपुर में हिंसा की वजह हाईकोर्ट के फैसले के अलावा, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सख्ती भी है। बीरेन सिंह सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में अवैध कब्जों पर कार्रवाई और अफीम की खेती पर शिकंजा कसा है। इन्हीं से पूर्वोत्तर के आतंकी संगठनों को खाद-पानी मिलता था।

मणिपुर में हिंसा की शुरुआत किसने की ?

मणिपुर में हिंसा की शुरुआत कुकी समुदाय के लोगों ने की।

इस समुदाय के विधायक चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, अब मणिपुर से इतर अलग राज्य की मांग कर रहे हैं, जबकि राज्य में उनका ही एकाधिकार है।

दूसरी तरफ, प्राचीन भारतीय संस्कृति को सहेजकर रखने वाला मैती समुदाय भले ही आज अपने ही क्षेत्र में हाशिये पर पहुंच गया है, लेकिन वह राज्य को बांटने का विरोध कर रहा है।

मैती समुदाय का भूमि से भावनात्मक जुड़ाव है।

अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई से कुकी नाराज: मैती

ऑल मैती काउंसिल के सदस्य चांद मीतेई पोशांगबाम ने कहा कि कुकी समुदाय के लोग म्यांमार और बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई से नाराज हैं। उन्होंने कहा,

जंगलों में बसे अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की राज्य सरकार की कार्रवाई से कुकी समुदाय नाराज हैं। प्रदर्शन महज दिखावा है। एसटी दर्जा के विरोध की आड़ में उन्होंने मौके का फायदा उठाया, लेकिन उनकी असली समस्या बाहर निकालने की कार्रवाई है। कुकी समुदाय का एक बड़ा वर्ग म्यांमार की सीमा पार कर यहां आया है और जंगलों पर कब्जा कर रहा है।

मणिपुर के बारे में महत्वपूर्ण बातें

मणिपुर को 1972 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। यहां की कुल आबादी 28 लाख 56 हजार है। राज्य में कुल 16 जिले हैं। यहां की 60 विधानसभा सीटों में से 19 सीटें आरक्षित हैं। मणिपुर में दो लोकसभा और एक राज्यसभा सीट है।

5.ऑप्शंस ट्रेडिंग से कर सकते हैं मोटी कमाई, जानें काम की ये 5 बातें

ट्रेडर के लिए ऑप्‍शंस एक आवश्यक उपकरण है. बाजार में चाहे जैसा भी उतार-चढ़ाव हो, यह संभावित रूप से मुनाफा दे सकता है; यह कम आवश्यक पूंजी पर उच्च रिटर्न दे सकता है और अधिकांश ऑप्‍शंस रणनीतियां आपको ट्रेडिंग करने से पहले सटीक जोखिम एवं लाभ जानने में सक्षम बनाती हैं. लेकिन, ऑप्शंस में ट्रेडिंग के लिए कुछ बातों को जानना जरूरी है. यहां एक सूची दी गई है जिसमें यह बताया गया है कि ऑप्शंस में ट्रेडिंग से पहले आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.

क्या करें

जानें कि ऑप्‍शंस कैसे काम करता है: शेयर और फ्यूचर्स की तुलना में, ऑप्‍शंस एक जटिल साधन है. ऑप्शंस से जुड़ी केवल बुनियादी बातों (स्ट्राइक प्राइस, मनीनेस) को जानना ही पर्याप्त नहीं है. उन्नत अवधारणाओं (रणनीतियों, ग्रीक) को जानने से आपको सफलतापूर्वक ऑप्‍शंस ट्रेडिंग करने में मदद मिलेगी

जांच-परख: यह जानें कि अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Asset) की कीमत को कौन-सी चीज़ें प्रभावित करती हैं जैसे कि अर्निंग्स रिलीज, अल्पकालिक रुझान और बाजार की भावना. तकनीकी और मौलिक विश्लेषण करना सीखकर आपको संभावित ट्रेडिंग अवसरों की पहचान करने में मदद मिल सकती है.

योजनाबद्ध तरीके से ट्रेडिंग करें: बुनियादी ट्रेडिंग प्लान के चार पहलू हैं जैसे प्रवेश मूल्य (Entry Price), स्टॉप लॉस, लक्ष्य और पोजिशन का आकार. ऐसा ट्रेडिंग प्लान तैयार करें जो आपको सही रास्ते पर बनाए रखे और आपको यह तय करने में मदद करे कि जब कीमत आपके पक्ष में हो या आपकी उम्मीद के विपरीत हो तो क्या करना है.

लीवरेज को समझें: ऑप्‍शंस के जरिए आप छोटे से निवेश के साथ किसी परिसंपत्ति में बड़ी पोजीशन को नियंत्रित कर सकते हैं. यदि परिसंपत्ति आपके अनुकूल स्थिति में है, तो यह बड़ा मुनाफा दिला सकती है, लेकिन यदि परिसंपत्ति आपके प्रतिकूल स्थिति में है तो यह बड़े नुकसान का कारण बन सकती है.

स्पष्ट और व्यावहारिक लक्ष्य बनाएं: नौसिखिया ट्रेडर्स ऑप्शंस को तुरंत अमीर बना देने वाली स्कीम के रूप में देखते हैं. हालांकि, अधिकांश सफल ऑप्‍शंस ट्रेडर इस बात से सहमत होंगे कि ऑप्‍शंस ट्रेडिंग की बारीकियों को सीखने में समय और प्रयास लगता है. छोटे लक्ष्यों के साथ शुरू करें और धीरे - धीरे अनुभव बढ़ने के साथ अपनी जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ाएं.

क्या न करें

निवेश और ट्रेडिंग को एक में न मिलाएं: अधिकांश बाजार प्रतिभागी अपने अल्पकालिक ट्रेडों को निवेश से अलग नहीं करते हैं. ट्रेडिंग के लिए एक अलग सोच की आवश्यकता होती है और यह अल्पकालिक लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए.

ऑप्‍शंस रणनीतियों की अनदेखी न करें: आप ऑप्‍शंस खरीद सकते हैं. आप ऑप्‍शंस की बिक्री कर सकते हैं. और, ऑप्‍शंस की एक साथ खरीद-बिक्री भी संभव है. आपके द्वारा अपनाई गई रणनीति बाजार की स्थितियों के अनुरूप होनी चाहिए. इससे ट्रेडिंग से होने वाले नफा या नुकसान की मात्रा को जानने में काफी मदद मिल सकती है. आपको बीच में ही रणनीतियों को बदलना भी पड़ सकता है. यही कारण है कि ऑप्‍शंस की रणनीतियों को जानना और समझना आवश्यक है.

बहुत ओटीएम ऑप्‍शंस खरीदने से बचें: ऐसा ऑप्‍शंस जिसमें कोई आंतरिक मूल्य नहीं है, उसे ‘ओटीएम‘ या आउट - ऑफ - द - मनी ऑप्‍शंस के रूप में जाना जाता है. कुछ ट्रेडर ओटीएम ऑप्‍शंस खरीदना पसंद करते हैं क्योंकि वे सस्ते होते हैं और उच्च रिटर्न प्रदान कर सकते हैं. हालांकि, अगर स्ट्राइक मूल्य और सुरक्षा के वर्तमान बाजार मूल्य के बीच बहुत अधिक अंतर है, तो ऐसे ऑप्‍शंस के व्यर्थ होने की उच्च संभावना होती है. इसलिए, ट्रेडर्स को वास्तविक नुकसान होगा.

नेकेड ऑप्‍शंस बेचने से बचें: नेकेड ऑप्‍शंस की बिक्री आकर्षक लग सकती है क्योंकि ये उच्च लाभ का वादा करते हैं. लेकिन इनमें समान रूप से अधिक नुकसान का खतरा भी होता है. ऑप्‍शंस रणनीति का उपयोग करके ट्रेडिंग के माध्यम से पहले से लाभ और हानि का अनुमान लगाने में मदद मिलता है, और इसलिए, जोखिम बहुत कम होता है.

अचल ऑप्‍शंस में ट्रेडिंग से बचें: अचल ऑप्‍शंस वे हैं जिनके बाजार में थोड़े-बहुत खरीदार और विक्रेता होते हैं. ऐसा न करने से उन कीमतों के बीच बड़ा अंतर हो सकता है जिन पर लोग ऑप्‍शंस को खरीदने और बेचने के इच्छुक हैं, जिन्हें बिड-आस्क स्प्रेड के रूप में जाना जाता है. इससे इन ऑप्शंस को खरीदना या बेचना अधिक महंगा और मुश्किल हो सकता है, जिसका लाभ-हानि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखकर, आप अपनी ऑप्‍शंस में ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं और सफलता की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं. धैर्य, अनुशासन और निरंतर सीखने की प्रवृत्ति ऑप्‍शंस ट्रेडिंग की कला में महारत हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण तत्व हैं.



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