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बॉस बनने जा रहे हैं तो जान लें ये ‘जरूरी नियम’

 


कोई भी व्यक्ति शिक्षा हासिल करता है तो उसका प्राथमिक उद्देश्य नौकरी प्राप्त करना होता है. अपनी शिक्षा की बदौलत वह अपने कैरियर में प्रगति करना चाहता है. नौकरी में भी वह बॉस बनने के सपने देखता है, पर क्या बॉस बनना इतना आसान है?

वह भी बात जब बेहतर बॉस बनने की हो तो कैरियर में आपको कुछ बातों के प्रति सजग रहना पड़ता है.

आखिर आपके अधीनस्थ (सब ऑर्डिनट) आपके हिसाब से कार्य करें, यह इतना आसान भी तो नहीं है! सभी जूनियर आपसे पूछ कर कार्य करें, तो इसके लिए आवश्यक है कि आप बेहतर बॉस बनने का प्रयत्न करें.


इसके लिए आपको पहचानना होगा कि क्या वाकई आपके भीतर बॉस बनने की क्वालिटी है? आइये देखते हैं कुछ पॉइंट्स…

क्या आप अपनी टीम के साथ हर वक्त खड़े रहते हैं?(Do you stand by your team all the time?)

जी हाँ! यह बेहद आवश्यक पॉइंट है. अगर आप अपने लोगों के साथ खड़े रहते हैं, उनको सही रास्ता बताते हैं तो यह अच्छे बॉस बनने की दिशा में पहला कदम माना जा सकता है. याद रहे कि अच्छा बनने का पहला नियम है कि अपने लोगों के लिए आप उपलब्ध रहते हैं, उनके साथ खड़े रहते हैं.

ध्यान रखिये, एक बेहतर बॉस अपने इंप्लाइज पर पहले फोकस करता है और कस्टमर पर उसके बाद!

अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो कस्टमर सेटिस्फेक्शन आखिरकार प्रभावित होती ही है. इसका कारण बड़ा साफ़ है, क्योंकि आप बेहतर मानव-संशाधन को अपने साथ बनाए रखने में अगर असफल रहते हैं तो ज़ाहिर तौर पर अंतिम परिणाम ठीक नहीं आता. ख़ास बात यह है कि अंतिम परिणाम के लिए कहीं न कहीं आप खुद ही जिम्मेदार होंगे, क्योंकि आप बॉस जो हैं.

एक और क्वालिटी जो आपको ध्यान में रखनी होती है, वह है एम्पैथी!

एंपैथी(Empathy)

यह एक फंडामेंटल लीडरशिप क्वालिटी मानी जाती है. वैसे भी यह रिलेशनशिप डिवेलप करने के लिए बेहद ज़रूर है.

कई बार आपको अपने लोगों के स्थान पर खड़े होकर सोचना पड़ता है, उनकी दृष्टि से प्रोजेक्ट्स को समझना होता है, इसलिए उनके साथ बेहतर तालमेल के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं!

सजग रहना आवश्यक है(need to be vigilant)

अगर आप अलर्ट नहीं हैं, अगर आप एक तेज-तर्रार ऑब्जर्वर की भूमिका में नहीं हैं, तो समस्याओं को आने से पहले उनकी रोकथाम करने में आप असफल ही रहेंगे.

ठीक ढंग से निर्णय लेने के लिए आप चीजों को बारीकी से ऑब्ज़र्व करने की आदत विकसित करें. इसी रास्ते से आप अपने सहयोगियों, उनकी कार्यक्षमताओं को पहचान पाएंगे और अगर आप चौकस नहीं रहेंगे, तो स्थिति काबू से बाहर हो जाएगी और फिर एक बॉस के तौर पर नुकसान होने के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे.

लगातार ट्रेनिंग लेने और देने में विश्वास (Belief in taking and giving continuous training)

ना…ना… यह सिर्फ आपके सहयोगियों के लिए ही नहीं है, बल्कि खुद आपके लिए भी है. वक्त चेंज होता है, टेक्नोलॉजी चेंज होती है, प्रोजेक्ट्स का नेचर चेंज होता है, टाइमलाइन चेंज होती रहती है और ऐसे में अगर आप ट्रेनिंग लेने में भरोसा नहीं करते हैं तो कार्य को लेकर विवाद उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है.

बोले तो यह एक तरह से खुद को प्रत्येक दिन रीन्यू करने जैसा है. इसलिए आप नित्य नई चीजों को लेकर खुद को ट्रेनिंग देते रहें अपने सहयोगियों को भी साथ-साथ ट्रेन करते रहें. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कॉम्पिटिशन में पिछड़ने से आपको कोई नहीं रोक सकता है.

इसके अलावा खुद को इंसान ही समझें! (Apart from this, consider yourself a human!)

जी हाँ, अक्सर बॉस लोग खुद को किसी और ग्रह का प्राणी समझ बैठते हैं और लोगों से कटते चले जाते हैं. ज़ाहिर तौर पर यह परिस्थिति उन्हें सामान्य इंसानी गुणों से महरूम कर देती है, जिसमें अपनी गलतियों पर 'सॉरी' बोलना और उसे सुधारना भी शामिल है.

इन तमाम चीजों के कारण आपकी एफिशिएंसी बढ़ जाती है और आप अपनी टीम के साथ खुद भी बेहतरीन परफॉर्म कर पाते हैं. तो क्यों न पढ़ाई के दिनों से ही एक बेहतर बॉस बनने के नियम-कायदे समझना शुरू करें और आप देखेंगे कि जल्द ही एक बेहतर लीडर के तौर पर आप उभर पाएंगे.

अगर आप जॉब में हैं तो निश्चित रूप से आपको उपरोक्त फॉर्मूले अपनाने चाहिए, ताकि आप एक बेहतर बॉस के रूप में खुद को निखार सकें.



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