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हर साल सिर्फ 180 IAS अधिकारियों का ही क्यों होता है सेलेक्शन ?



देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में स एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (UPSC CSE) में हर साल लाखों लोग बैठते हैं. इसके जरिए आईएएस, आईपीएस, आईआरएस और आईएफएस जैसे पदों के लिए सेलेक्शन होता है. यह सेलेक्शन यूपीएससी रैंक के आधार पर होता है. सबसे अच्छी रैंक वाले कैंडिडेट्स को आईएएस का पद मिलता है. लेकिन एक बात आपने सोचा ही होगा कि आईएएस की सिर्फ 180 सीट ही क्यों होती है?

इसकी जानकारी संसद में केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक सवाल के जवाब में दिया था. उन्होंने बताया था कि सरकार ने काबिल और योग्य आईएएस अधिकारियों को अधिक संख्या में लेने के लिए एक समिति बनाई थी. जिसके अध्यक्ष भारतेंद्र सिंह बसवान थे. समिति ने काबिल अधिकारियों की संख्या बढ़ाने को लेकर कई सिफारिशें की थी. इसी सिफारिश को मानते हुए सरकार ने आईएएस अधिकारियों की वैकेंसी बढ़ाकर 180 की है.

क्यों 180 आईएएस ही होते हैं भर्ती ?

180 आईएएस अधिकारियों की भर्ती हर साल क्यों की जाती है, यह सवाल अभी भी जस का तस है. इसका जवाब ये है कि इससे ज्यादा आईएएस अधिकारियों को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन यानी लबासना में एक साथ ट्रेनिंग नहीं दी जा सकती. समिति ने कहा था कि एक साथ अधिक अधिकारियों को ट्रेनिंग देने से ट्रेनिंग की गुणवत्ता खराब हो जाएगी.

अधिकारियों के 3 हजार से अधिक पद खाली

कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कुछ महीने पहले लोकसभा में बताया था कि देश में सिविल सेवा अधिकारियों के 3,393 पद खाली पड़े हैं. इसमें आईएएस के 1472 पद शामिल हैं. उन्होंने यह जानकारी भी दी थी कि आईएएस के 6,789, आईपीएस के 4,984 और आईएफएस के 3,191 पदों को स्वीकृति दी जा चुकी है.




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