19 March 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The
1. मीरा रोड पर धीरेंद्र शास्त्री के ठहरने वाली जगह का पता चला तो सुबह से ही लगने लगी भीड़
बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की चर्चा इस दिनों पूरे देश में हो रही. उनके दरबार में उपस्थित उनके समर्थकों का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर अक्सर वायरल हो रहा है. इस दिनों उनका कार्यक्रम मुंबई में है इस वजह से पंडित धीरेंद्र शास्त्री अभी मुंबई में ठहरे हुए हैं. पंडित धीरेंद्र शास्त्री जहां रुके हैं वहां सुबह से ही लोगों की भीड़ आनी शुरू हो गई. बता दें कि 18 मार्च और 19 मार्च को उनका दरबार सजना तय हुआ है. इसे लेकर लोगों की भीड़ देखी जा रही है. जहां ठहरे हैं वहां जुटी लोगों की भीड़
बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री मुंबई के मीरा रोड में जिस स्थान पर रुके हैं, लोगों को उस स्थान का पता चल गया है. इस वजह से लोग वहां सुबह से ही आने शरू कर दिए हैं. वहीं कुछ लोगों को यहां बुलाया भी गया है. वैसे तो लोगों की अर्जी पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में लगाई जाती है, लेकिन कुछ लोगों को उम्मीद है कि उनकी अर्जी यहीं लग जाएगी.
उन्हें उम्मीद है जहां पंडित धीरेंद्र शास्त्री ठहरे हुए हैं वहीं उनसे मुलाकात हो जाएगी. यहां बता दें कि मीरा रोड का उस स्थान पर जहां पंडित धीरेंद्र शास्त्री रुके हैं वहां पर लगातार भीड़ बढ़ती जा रही है.
कर्यक्रम का कांग्रेस ने किया विरोध
बता दें कि उनके कार्यक्रम का यहां विरोध भी किया गया है. पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम का महाराष्ट्र कांग्रेस और अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने विरोध किया था. महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने तो इसके विरोध में सीएम एकनाथ शिंदे को पत्र तक लिख दिया था. इस बीच 18 मार्च को धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के लाखों अनुयायी उन्हें सुनने के लिए उनके दरबार पहुंचे थे. शनिवार (18 मार्च) को उनका कार्यक्रम शाम 5 बजे शुरू हआ और रात 9 बजे खत्म हुआ.
2. इस कानून के आने के बाद वकीलों की प्रैक्टिस में क्या कुछ बदलने वाला है
13 मार्च को, बीसीआई ने आधिकारिक सूचना दी. सूचना में BCI ने कहा कि इससे भारतीय और विदेशी दोनों वकीलों को फायदा होगा. विदेशी वकील और लॉ फर्म भारत में काम कर सकेंगे. इसके लिए विदेशी विधि पंजीकरण और नियमन-2022 के लिए नियम बनाया गया है.
बीसीआई ने साफ कहा है कि कुछ पाबंदियों के साथ इस फैसले से सुनिश्चित किया जाएगा कि यह भारत और विदेशी वकीलों के हित में हो. बीसीआई अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है, और यह भारत में कानूनी प्रैक्टिस और कानूनी शिक्षा की देखरेख करती है.
इस फैसले के बाद बीसीआई ने तर्क दिया है कि उसके कदम से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर होने वाली चिंताए खत्म हो जाएगी. इससे भारत अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक के बीच मध्यस्थता का केंद्र बन जाएगा. ये नियम उन विदेशी लॉ फर्मों को कानूनी स्पष्टता प्रदान करेगा जो वर्तमान में भारत में बहुत सीमित तरीके से काम करती हैं.
बीसीआई ने अपने बयान में कहा कि यह नियम भारत में विदेशी कानून और अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय कानून के साथ अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता मामलों की प्रैक्टिस करने को और कारगर बनाने की दिशा में काम करेगा.
वकीलों के पेशे में क्या बदलने वाला है?
बार काउंसिल देश में विदेशी वकीलों की एंट्री के किसी भी प्रस्ताव का विरोध करता आया है. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी बात पर सहमति जताई थी कि मौजूदा कानून के तहत भारत में विदेशी वकीलों को प्रैक्टिस करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
अब नए फैसले से देश में विदेशी वकीलों की एंट्री में ज्यादा पेशेवराना रवैया देखने को मिलेगा. विदेशी वकीलों के लिए सीमित दायरे में भी बड़ा मार्केट उपलब्ध होगा , क्योंकि देश में बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियां काम कर रही है और आगे कई कंपनियां निवेश करने वाली हैं.
नए नियम के मुताबिक विदेशी वकील और कानून फर्मों को भारत में अभ्यास करने के लिए बीसीआई के साथ पंजीकरण कराने की अनुमति दी गई है . इसके तहत वो अपने देश के कानून का अभ्यास करने के हकदार होंगे, वे भारतीय कानून का अभ्यास नहीं कर सकते है.
इसके अलावा विदेशी वकीलों या विदेशी लॉ फर्मों को किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण या किसी भी वैधानिक या नियामक प्राधिकरणों के समक्ष पेश होने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
शर्तें जान लीजिए
नए नियम के मुताबिक विदेशी वकील और लॉ फर्म केवल बिना मुकदमे वाले मामलों में ही प्रैक्टिस कर पाएंगे.
देश में प्रैक्टिस करने के लिए विदेशी वकील या फर्मों को BCI के साथ पंजीकरण कराना होगा.
विदेशी वकील के लिए रजिस्ट्रेशन चार्ज 25,000 डॉलर है जबकि कानूनी फर्म के लिए 50,000 डॉलर है. ये रजिस्ट्रेशन केवल पांच साल के लिए वैध होगा.
विदेशी वकील या लॉ फर्म को 6 महीने के भीतर फॉर्म-B में नवीनीकरण के लिए आवेदन करने की जरूरत है.
विदेशी वकीलों को संयुक्त उद्यम, विलय और अधिग्रहण, बौद्धिक संपदा से संबंधित मामले, अनुबंध के मसौदे वगैरह मामलों पर प्रैक्टिस करने की इजाजत होगी.
एक या एक से ज्यादा विदेशी वकीलों या भारत में पंजीकृत विदेशी कानूनी फर्मों के साथ साझेदारी भी कर सकते हैं.
विदेशी कानून कंपनियां अब तक कैसे काम कर रही थी?
विदेशी कानून फर्मों के भारतीय बाजार में प्रवेश करने का मुद्दा 2009 में बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया गया था. 'लॉयर्स कलेक्टिव बनाम यूनियन ऑफ इंडिया' मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अनिवार्य रूप से कहा कि केवल भारतीय कानून की डिग्री रखने वाले भारतीय ही भारत में कानून का अभ्यास कर सकते हैं
उच्च न्यायालय में अधिवक्ता अधिनियम की धारा 29 के मुताबिक केवल बीसीआई के साथ नामांकित वकील ही कानून का अभ्यास कर सकते हैं. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि 'अभ्यास' में वादी और गैर-वादी दोनों तरह की प्रैक्टिस होंगी.
इसलिए विदेशी कंपनियां न तो भारत में अपने ग्राहकों को सलाह दे सकती थी और न ही अदालत में पेश हो सकती थी. साल 2012 में 'एके बालाजी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया' मामले में यह मुद्दा मद्रास हाईकोर्ट के सामने आया था.
2015 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में विदेशी कानून फर्मों की प्रैक्टिस को थोड़ी मान्यता दी थी. 'एके बालाजी बनाम भारत सरकार' मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि विदेशी कंपनियां मुकदमेबाजी या गैर-मुकदमेबाजी पक्ष पर तब तक अभ्यास नहीं कर सकती हैं जब तक कि वे अधिवक्ता अधिनियम और बीसीसीआई नियमों पूरा नहीं करती हैं.
नए फैसले में ये कहा गया कि विदेशी वकील भारतीय क्लाइंट को केवल अस्थायी आधार पर यानी ‘फ्लाई इन एंड फ्लाई आउट’ मोड पर सलाह दे सकते हैं. फैसले में यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक आर्बिट्रेशन से संबंधित अनुबंध से जुड़े विवादों के संबंध में आर्बिट्रेशन की कार्यवाही करने के लिए विदेशी वकीलों को भारत आने से कोई रोक-टोक नहीं होगी.
इसके अलावा, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 में पेश किए गए अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के मकसद ध्यान में रखते हुए, विदेशी वकीलों को भारत आने और अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता से संबंधित अनुबंध से जुड़े विवादों में मध्यस्थता कार्यवाही करने से नहीं रोका जाएगा.
कानूनी पेशे में पहले ही बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) जैसे फर्मों, लीगल प्रोसेस आउटसोर्सिंग (एलपीओ) ने वकीलों के लिए नियम बनाए गए हैं. ये कहा गया कि पहले वे अनिश्चित कानूनी ढांचे में काम कर रहे थे और सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करना पड़ा.
3. 'ISI से है अमृतपाल सिंह का लिंक', पंजाब पुलिस का दावा
वारिस पंजाब दे का चीफ अमृतपाल सिंह अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है. पंजाब पुलिस (Punjab Police) ने शनिवार (19 मार्च) को बड़ी कार्रवाई करते हुए खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के कई साथियों को गिरफ्तार किया था. हालांकि, अमृतपाल भागने में सफल हो गया जिसके बाद से ही पुलिस उसकी तलाश कर रही है. इस बीच बड़ा खुलासा हुआ है. जिस बात की आशंका जताई जा रही थी, वो सच साबित हुई है. पंजाब पुलिस की ओर से कहा गया है कि अमृतपाल का पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) से कनेक्शन है.
अमृतसर के डीआईजी स्वपन शर्मा ने दावा किया कि उनके कुछ पाकिस्तान-आईएसआईएस लिंक थे. हमें उसे (अमृतपाल सिंह) पकड़ने के लिए निर्देश दिया गया था. पीछा करते हुए वह हमसे आगे एक लेन की लिंक रोड पर आ गया. हमसे आगे निकलने के दौरान वह 5-6 मोटरसाइकिल सवारों से टकरा गया, इनमें से कुछ हमें पीछा करने से रोकने के मकसद से थे. मेहतपुर में दो कारों को बरामद कर लिया है. हमने सात अवैध हथियार भी बरामद किए हैं.
फोन से मिले पाकिस्तानी नंबर
दरअसल, अमृतपाल सिंह के कथित सलाहकार और फाइनेंसर दलजीत सिंह कलसी उर्फ सरबजीत सिंह कलसी को गिरफ्तार कर लिया गया है. कलसी के फोन और उससे जुड़े हुए लोगों के फोन में पाकिस्तानी नंबर मिले हैं. पाकिस्तान में जिन नंबरों से बात होती थी वो नंबर ट्रेस कर लिए गए हैं. बताया जा रहा है कि इन नंबरों से करीब 30 करोड़ रुपये की फंडिंग आई है.
4. पाकिस्तान में बैठे खालिस्तानी समर्थक सोशल मीडिया पर फैला रहे अफवाह, केंद्र ने जारी किया अलर्ट
वारिस पंजाब दे प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब पुलिस का एक्शन जारी है. उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया है. पूरे पंजाब में पुलिस प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखा गया है. वहीं अब पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने लोगों से अपील की है कि पाकिस्तान से सोशल मीडिया पर भेजी जा रही झूठी जानकारियों पर यकीन ना करें. फेक आइडीज से पाकिस्तान में बैठे खालिस्तानी पंजाब के लोगों को इस तरह की पोस्ट से गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. पंजाब सरकार ने फिर साफ किया है कि अमृतपाल सिंह अभी गिरफ्तार नहीं हुआ है. फिलाहल राज्य में हालात सामान्य हैं.
इंटरनेट और सरकारी बस सेवा बंद
एक तरफ जहां अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चला रखा है. तो वहीं दूसरी तरफ शनिवार शाम से रविवार दोपहर 12 बजे के लिए इंटरनेट सेवा भी बंद की गई है. इसके अलावा दो दिन के लिए पंजाब की सरकारी बस सेवाओं को भी बंद किया गया है. सरकारी आदेशों के अनुसार, सोमवार और मंगलवार को पनबस की कोई बस नहीं चलेगी. अमृतपाल समर्थकों द्वारा तोड़फोड़ की आशंका को देखते हुए बसों की बंद किया गया है.
शाह से मुलाकात के बाद एक्शन में मान
केंद्रीय एजेंसियों और विपक्षी दलों द्वारा लगातार पंजाब सरकार पर दवाब बनाया जा रहा था कि अजनाला हिंसा की आरोपियों पर कार्रवाई की जाए, जिसको लेकर पंजाब कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे थे. इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय गृह अमित शाह से मुलाकात की थी, जिसके बाद लगातार पंजाब सरकार द्वारा अमृतपाल पर कार्रवाई की संभावना जताई जा रही थी. आखिरकार शनिवार को रणनीति के तहत पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह पर शिकंजा कसने की तैयारी की. वही अब पूरे घटनाक्रम को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय लगातार पंजाब सरकार के संपर्क में है.
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