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18 March 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The

 1.वुहान के बाजार में रैकून डॉग से फैला कोरोना:नए जेनेटिक डेटा से मिले संकेत

दुनिया भर में कोरोना चीन के वुहान में जानवरों के बाजार में बिक रहे रैकून डॉग्स से फैला। इस बात के तगड़े संकेत कुछ नए जेनेटिक सबूतों में मिले हैं।

लेकिन इस थ्योरी को पुख्ता करना अब असंभव हो गया है, क्योंकि जिस जेनेटिक डेटा के आधार पर ये एनालिसिस किया गया, उसे शेयर करने के कुछ ही दिनों बाद चीन ने हटा लिया है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने भी चीन को इस बात के लिए फटकारा है कि इस डेटा का खुलासा 3 साल पहले क्यों नहीं किया गया, और अब इस डेटा को क्यों हटा दिया गया है।

रोचक ये है कि वुहान के एनिमल मार्केट से कोरोना के ओरिजिन को जोड़ने वाला ये जेनेटिक डेटा उस समय सामने आया जब अमेरिका में एक बार फिर ये बात जोर पकड़ने लगी थी कि कोरोना वायरस वुहान की वायरोलॉजी लैब में बना और एक एक्सीडेंट में लीक हो गया।

ये नया जेनेटिक डेटा वुहान के हुनान सी-फूड होलसेल मार्केट से जनवरी, 2020 में लिए गए स्वाब के नमूनों से आया है। इस बाजार को चीनी सरकार ने शुरुआती दौर में शक के आधार पर बंद करा दिया था।जिस समय ये स्वाब के नमूने लिए गए उस समय मार्केट में कोई जानवर मौजूद नहीं था, लेकिन वैज्ञानिकों ने बाजार की दीवारों, स्टॉल्स और पिंजरों से स्वाब के नमूने लिए थे।

इन्हीं में से एक नमूना रैकून डॉग का है जिसमें कोरोना वायरस के भी जेनेटिक हिस्से मिले हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ इतने डेटा के आधार पर ये पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस इंसानों में रैकून डॉग्स से फैला।

हो सकता है कि ये रैकून डॉग्स वायरस से संक्रमित हों लेकिन इंसानों को ये वायरस उनसे नहीं, बल्कि उनसे संक्रमित हुए किसी और जानवर से मिला हो।

ये भी हो सकता है कि ये रैकून डॉग्स किसी और जानवर से या वहां काम करने वाले और खरीदारी करने वाले इंसानों से संक्रमित हुए हों।

2. IAF Agniveer Vayu 2023: एयरफोर्स में अग्निवीरवायु भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू, 31 मार्च तक करें अप्लाई


 इंडियन एयरफोर्स में अग्निवीरवायु भर्ती के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है। आईएएफ ने इन पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया बीते दिन यानी कि 17 मार्च, 2023 से शुरू होगी। वहीं, इन पदों पर आवेदन करने की लास्ट डेट 31 मार्च, 2023 तक है। आखिरी तारीख बीतने के बाद कोई एप्लीकेशन फॉर्म स्वीकार नहीं किया जाएगा। अप्लाई करने के लिए अभ्यर्थियों को www.agnipathvayu.cdac पर जाकर लॉगइन करना होगा। वहीं, इस संबंध में जारी अधिकारिक सूचना के अनुसार, इन पदों पर ऑनलाइन पंजीकरण 17 मार्च 2023 को 1000 बजे शुरू हुआ और 31 मार्च 2023 को 1700 बजे बंद होगा।
ये होनी चाहिए आयु

अग्निवीरवायु के पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की आयु 26 जून 2006 और 26 दिसंबर 2002 के बीच होना चाहिए। हालांकि आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट्स को नियमानुसार छूट दी जाएगी। इन पदों पर आवेदन करने से पहले कैंडिडेट्स को एजुकेशन क्वालिफिकेशन और परीक्षा पैटर्न सहित अन्य की जांच करनी चाहिए। 

Agniveer Vayu recruitment 2023 application fee: अग्निवीर भर्ती के लिए देना होगा शुल्क

अग्निवीर भर्ती के लिए ऑनलाइन परीक्षा के लिए पंजीकरण करते समय उम्मीदवार को 250 का परीक्षा शुल्क देना होगा। उम्मीदवार इस बात का ध्यान रखें कि ऑनलाइन आवेदन में आधार संख्या दर्ज करनी चाहिए। आधार कार्ड नहीं होने पर जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय के उम्मीदवारों को इससे छूट दी गई है।
How to apply for IAF Agniveer Vayu 2023 Registration: अग्निवीरवायु भर्ती के लिए ऑनलाइन ऐसे करें आवेदन

अग्निवीरवायु भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेन करने वाले सबसे पहले उम्मीदवारों को आधिकारिक वेबसाइट agnipathvayu.cdac पर जाना होगा। इसके बाद होमपेज पर, अग्निवीरवायु एप्लिकेशन 2023 के लिए उपलब्ध लिंक पर क्लिक करें। अब अपना लॉगिन क्रेडेंशियल दर्ज करें। अब आवेदन पत्र भरने और पूछे जाने पर सभी दस्तावेज अपलोड करने के लिए आगे बढ़ें। अब ऑनलाइन आवेदन शुल्क का भुगतान करें।

3. नीट यूजी परीक्षा साल में दो बार होगी या नहीं, यहां से पढ़ें लेटेस्ट जानकारी

देश भर के मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए अहम सूचना है। मेडिकल काॅलेजों में अंडग्ररेजुएट प्रोगाम में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाली नीट यूजी परीक्षा के संबंध में चर्चा थी कि यह साल में दो बार आयोजित की जा सकती है। वहीं, अब नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट के संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोकसभा को बताया कि स्नातक पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए नीट यूजी, 2023 परीक्षा साल में दो बार आयोजित करने की कोई योजना नहीं है।  इस संबंध में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीन पवार (Minister of State for Health and Family Wafare Bharati Pravan Pawar) ने कहा, "नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने सूचित किया है कि नीट यूजी परीक्षा साल में दो बार आयोजित नहीं की जाएगी। उन्होंने यह जवाब सांसद रमेश चंद बिंद के सवाल में दिया था। दरअसल,सांसद रमेश चंद बिंद ने पूछा था कि क्या केंद्र की इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई मेन की तरह दो बार नीट आयोजित करने की योजना है।  


वहीं, इस साल नीट यूजी परीक्षा 2023 के लिए फिलहाल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैं। वहीं, इस एग्जाम के लिए अप्लाई करने की लास्ट डेट 06 अप्रैल 2023 है। इस तारीख के बाद एप्लीकेशन लिंक बंद हो जाएगा, इसलिए समय रहते आवेदन कर दें। नीट यूजी परीक्षा का आयोजन 07 मई 2023 के दिन किया जाएगा। नीट यूजी परीक्षा के लिए जनरल कैंडिडेट्स को अब फीस के रूप में 1700 रुपये देने होंगे। वहीं जनरल-ईडब्ल्यूएस, ओबीसी-एनसीएल कैंडिडेट्स के लिए फीस 1600 रुपये देने होंगे।


4. हर साल 2500 मौतें, फिर भी बिजली गिरने को प्राकृतिक आपदा क्यों नहीं मानती सरकार?


देश के कई राज्यों ने केंद्र सरकार से बिजली गिरने को प्राकृतिक आपदा घोषित करने की मांग की है. राज्यों का ये कहना है कि बिजली गिरने से देश में बड़ी संख्या में मौतें होती हैं. ये मौतें दूसरी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से होने वाली मौतों की संख्या से कहीं ज्यादा है.
बिजली गिरने को प्राकृतिक आपदा घोषित करवाने के पीछे का तर्क ये है कि ऐसे राज्यों को भारत सरकार से वित्तिय पोषण मिलेगा. और राज्य सरकारें इस आपदा से निबटने में सक्षम हो पाएंगी. 

बिजली गिरना क्या है समझिए

बरसात में मौसम में अक्सर बादलों के बीच बिजली चमकती है और जमीन पर गिरती दिखाई देती है, इससे कई लोग घायल हो जाते हैं कई बार ग्रामीण इलाकों में इतनी तेज गिरती है कि लोग मर भी जाते हैं.


आकाशीय बिजली ज्यादातर बारिश के मौसम में गिरती है. अगर आप खुले आसमान के नीचे, हरे पेड़ के नीचे या पानी के करीब होते हैं या फिर बिजली और मोबाइल के टॉवर के नजदीक होते हैं तो आपको इससे ज्यादा खतरा होता है. 

क्यों गिरती है बिजली

इसे आप ऐसे समझिए कि आसमान में बहुत बड़ा इलेक्ट्रिक स्पार्क है, और जब मीनार, ऊंचे पेड़, घर या इंसान पॉजिटिव चार्ज हो जाते हैं तो वो पॉजिटिव इलेक्ट्रिसिटी निकलकर ऊपर की तरफ जाती है. इसे स्ट्रीमर कहते हैं . 

बारिश के मौसम में बादल के निचले हिस्से में मौजूद निगेटिव चार्ज स्ट्रीमर की तरफ आकर्षित होता है. जिससे बिजली धरती पर गिरती है. यही वजह है कि ऊंची जगहों जैसे पहाड़ों पर बिजली गिरने का खतरा ज्यादा होता है. 

देश में हर साल 2,500 से ज्यादा लोगों की होती है मौत 

लाइटनिंग रेजिलिएंट इंडिया कैंपेन यानी एलआरआईसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 और मार्च 2021 के बीच भारत में 18.5 मिलियन तक बिजली गिरने की घटनाओं का अंदाजा लगाया गया था.

दिल्ली स्थित आरएमएसआई के एक अध्ययन की मानें तो ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और झारखंड ऐसे राज्य हैं, जहां हाल के सालों में सबसे ज्यादा बिजली गिरने की घटनाएं हुई हैं. 

सरकारी आकंड़ों के मुताबिक 1967 और 2019 के बीच भारत में बिजली गिरने से 100,000 से ज्यादा मौतें हुई हैं, जो इस अवधि के दौरान प्राकृतिक आपदाओं की वजह से होने वाली मौतों के एक तिहाई से भी ज्यादा है. 

भारत में बिजली गिरने से बड़ी संख्या में मौतें होने के अलावा संपत्ति और बुनियादी ढांचे को भी नुकसान होता है. अगर बिजली गिरना प्रकृतिक आपदा घोषित हो जाती है तो  इससे होने वाला नुकसान कम होगा साथ ही इससे निबटने के लिए बेहतर उपाय भी किए जाएंगे. 

एसडीआरएफ के तहत कवर नहीं हैं बिजली गिरना 

बिजली गिरना दूसरी प्राकृतिक आपदाओं की तरह स्टेट डिसासटर रिस्पॉन्स फंड यानी एसडीआरएफ के तहत कवर नहीं किया जाता है.  ये फंड आपदा की स्थिति में राज्यों को वित्तीय सहायता देती है. 

कवर की जाने वाली आपदाओं में चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सुनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, कीट के हमले, ठंड और शीत लहरें शामिल हैं. एसडीआरएफ को राज्य और केंद्र दोनों सरकारें वित्तिय सहायता देती हैं. जिसमें केंद्र सरकार 75 प्रतिशत की राशि की मदद पहुंचाती है.

बिजली गिरने को एसडीआरएफ के तहत कवर नहीं किए जाने का मतलब ये है कि राज्यों को बिजली गिरने से संबंधित आपदाओं से निबटने के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल करना होगा. इस तरह से ये राज्यों के लिए एक बड़ा वित्तिय बोझ हो सकता है. गरीब राज्यों के लिए तो ये बेहद ही मुश्किल हो जाता जिनके पास संसाधन की कमी है. 

कौन से राज्य होते हैं इसका सबसे ज्यादा शिकार 

हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने प्रेस काफ्रेंस में कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल, सिक्किम, झारखंड, ओडिशा और बिहार में बिजली दूसरे राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा गिरती है. हांलाकि यहां पर इससे होने वाली मौत के नंबर कम है. लेकिन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में मौतों की संख्या ज्यादा हैं.

मृत्युंजय महापात्र  ने ये भी कहा कि भारत दुनिया के केवल पांच देशों में से एक है, जिनके पास बिजली गिरने को लेकर एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली है. जिसकी मदद से बिजली गिरने की  घटना से पांच दिन या  तीन घंटे पहले तक लाइटिंग की घटना के बारे में जानकारी दी सकती है. 

बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री शाहनवाज आलम ने द हिंदू को बताया था कि जलवायु परिवर्तन बिजली गिरने की सबसे बड़ी वजह है. उन्होंने कहा था कि पिछले पांच सालों में राज्य में 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी है. यानी हर साल 300 मौतें बिजली गिरने से हुई हैं. 

बिजली गिरने को लेकर अलग-अलग राज्यों में दिन और रात का फर्क देखा गया है. जैसे पहाड़ी राज्यों में  बिजली गिरने की घटनाएं रात में ज्यादा होती है. वहीं मैदानी इलाकों में दिन के दौरान बिजली गिरने की घटनाएं होती हैं.

जैसे हिमालयी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में बिजली रात में गिरती है. वहीं महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसी जगहों में बिजली दोपहर में ज्यादा गिरती है. यहां उन  लोगों की जान को ज्यादा खतरा होता है जो घर के बाहर होते हैं या खेतों में काम कर रहे होते हैं.

5. 'भारत के कहने पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष किया घोषित'- PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (18 मार्च) नई दिल्ली में ग्लोबल मिलेट्स सम्मेलन (Global Millets Conference) का उद्घाटन किया. यहां संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) कॉन्फ्रेंस जैसे आयोजन न सिर्फ ग्लोबल गुड्स के लिए जरूरी है बल्कि ग्लोबल गुड्स में भारत की बढ़ती जिम्मेदारी का भी प्रतीक हैं. पीएम मोदी ने कहा कि जब हम किसी संकल्प को आगे बढ़ाते हैं तो उसे सिद्धि तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उतनी ही अहम होती है. आज विश्व जब 'international millet year' मना रहा है तो भारत इस अभियान की अगुवाई कर रहा है. भारत के कहने पर ही संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष किया घोषित था. दो दिनों तक चलने वाले ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन में सौ से अधिक देशों के कृषि मंत्रियों, मोटे अनाज के शोधार्थियों ने हिस्सा लिया है. 

'ऐसे ही किसी के आगे नहीं लगता है श्री'

पीएम ने कहा कि 'श्री अन्न' केवल खेती या खाने तक सीमित नहीं हैं, जो लोग भारत की परंपराओं से परिचित हैं वह ये भी जानते हैं कि हमारे यहां किसी के आगे 'श्री' ऐसे ही नहीं जुड़ता है. जहां 'श्री' होता है वहां समृद्धि भी होती है और समग्रता भी होती है. 'श्री अन्न' भी भारत में समग्र विकास का माध्यम बन रहा है इसमे गांव भी जुड़ा है और गरीब भी जुड़ा है. श्री अन्न यानी देश के छोटे किसानों के समृद्धि का द्वार, देश के करोड़ों लोगों के पोषण का कर्णधार, देश के आदिवासी समाज का सत्कार. कम पानी में ज्यादा फसल की पैदावार, केमिकल मुक्त खेती का बड़ा आधार, क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से निपटने में मददगार. 


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