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16 June 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1. UGC NET Phase 2 Admit Card 2023 OUT: यूजीसी नेट फेज 2 एग्जाम एडमिट कार्ड रिलीज

यूजीसी नेट फेज 2 एग्जाम एडमिट कार्ड जारी हो चुका है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने आज, 16 जून, 2023 को यूजीसी नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NET) फेज 2 परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र आधिकारिक वेबसाइट ugcnet.nta.nic.in पर रिलीज की है। इस चरण में शामिल होने जा रहे उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे पोर्टल पर जाकर इसे डाउनलोड कर लें।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी NTA ने इस संबंध में एक आधिकारिक नोटिफिकेशन भी जारी किया है। इसके मुताबिक, 19, 20, 21 और 22 जून 2023 को देश भर के विभिन्न केंद्रों पर UGC NET जून 2023 चरण 2 परीक्षा आयोजित कर रहा है। उम्मीदवारों को उनके शहर और परीक्षा की तारीख के बारे में पहले ही सूचित कर दिया गया है। 

नोटिस में यह भी कहा गया है कि अगर किसी उम्मीदवार को UGC NET जून 2023 चरण- II परीक्षा शहर सूची को डाउनलोड करने/जांचने में कोई कठिनाई होती है तो वे 011-40759000 पर कॉल कर सकते हैं। इसके अलावा ईमेल ugcnet@nta.ac.in कर सकते हैं। उम्मीदवारों की सहूलियत के लिए नीचे आसान स्टेप्स भी दिए गए हैं, जिनको फॉलो करके भी प्रवेश पत्र को डाउनलोड किया जा सकता है। यूजीसी नेट फेज 2 एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए सबसे पहले उम्मीदवारों को आधिकारिक वेबसाइट ugcnet.nta.nic.in पर जाना होगा। इसके बाद, अब 'यूजीसी नेट जून 2023 एडमिट कार्ड' पर क्लिक करें। अब, अपना आवेदन संख्या और जन्म तिथि एंटर करें। अब एनटीए यूजीसी नेट जून चरण 2 प्रवेश पत्र डाउनलोड करें। एडमिट कार्ड का प्रिंट आउट लेकर रख लें।

2.आदिपुरुष के खिलाफ दिल्ली HC में जनहित याचिका

दिल्ली हाई कोर्ट में फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में फिल्म पर रामायण और भगवान राम के अपमान का आरोप लगाया गया है। फिल्म को बैन करने की मांग की गई है।

हिंदू सेना नाम के एक संगठन की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि फिल्म में भारतीय संस्कृति का मजाक उड़ाया गया है। हिंदू सेना की मांग है कि फिल्म पर प्रतिबंध लगाया जाए और सेंसर बोर्ड को फिल्म को सर्टिफिकेट जारी न करने का आदेश दिया जाए।

क्या कहा गया याचिका में?

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष व याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने कहा कि वह शनिवार को याचिका में जरूरी सुधार करेंगे और फिल्म आदिपुरुष को जारी सेंसर सर्टिफिकेट रद्द करने के साथ ही फिल्म को बैन करने की मांग करेंगे। याचिका में कहा गया है कि आदिपुरूष फिल्म से हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई है।

3.दिल्ली के नेहरू मेमोरियल का नाम बदला गया, कांग्रेस बोली- संकीर्णता और प्रतिशोध के पर्याय बने...

दिल्ली के नेहरू मेमोरियल का नाम अब पीएम मेमोरियल के नाम से जाना जाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आधिकारिक निवास तीन मूर्ति परिसर में प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन करने के लगभग एक साल बाद नेहरू का नाम परिसर से हटा दिया गया है। केंद्र के इस फैसले पर कांग्रेस ने कड़ा एतराज जताया है।  

जयराम रमेश का पीएम मोदी पर तंज कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस फैसला का विरोध करते हुए पीएम मोदी पर तंज कसा। उन्होंने कहा-

इमारतों का नाम बदलने से विरासत नहीं मिटतीः मनीष तिवारी

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदलने पर केंद्र पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जो लोग स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरू के योगदान को खत्म करना चाहते हैं, उन्हें नेहरू की सोच को समझने के लिए डिस्कवरी ऑफ इंडिया और विश्व इतिहास की झलक किताब पढ़नी चाहिए। मनीष ने कहा कि इमारतों का नाम बदलने से विरासत नहीं मिटती।

भारत की विकास यात्रा को दिखाएगा ये संग्रहालयः राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते दिन इस संग्रहालय का दौरा कर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा राष्ट्र की रक्षा और विकास में किए गये योगदान का सम्मान करने के लिए, नई दिल्ली में  ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ की स्थापना की है। उन्होंने आगे कहा-

बता दें कि नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) परिसर में ही पीएम मोदी द्वारा एक साल पहले प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन किया गया था। अब नेहरू मेमोरियल का नाम ही बदल दिया गया है।

4.Silver Loans: सिल्वर लोन के लिए नहीं हैं स्पष्ट नियम, आरबीआई से बैंक करने वाले हैं ये मांग

पिछले कुछ समय में चांदी (Silver) और चांदी के आभूषणों (Silver Jewellery) के निर्यात में तेजी आई है. इस कारण सर्राफा कारोबारी (Bullion Traders) चांदी खरीदने और इसके आभूषण बनाने के लिए बैंकों से कर्ज की लगातार मांग कर रहे हैं. हालांकि नियमों के स्पष्ट नहीं होने के चलते बैंकों को इसमें दिक्कतें हो रही है. इसे देखते हुए बैंकों ने आरबीआई से गोल्ड मेटल लोन (Gold Metal Loan) की तरह सिल्वर मेटल लोन (Silver Metal Loan) के लिए भी नियमों व दिशा निर्देशों को स्पष्ट करने की मांग की है.

आरबीआई के सामने रखेंगे बात

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पिछले एक साल में चांदी के निर्यात में काफी तेजी आई है. यही कारण है कि देश के सर्राफा कारोबारी बैंकों से चांदी व चांदी के सामानों को खरीदने तथा इनके आभूषण बनाने के लिए बैंकों से कर्ज की मांग कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि बैंकों ने पिछले महीने एक बैठक में यह मुद्दा रिजर्व बैंक के सामने उठाने का निर्णय लिया.

दिख रही है कर्ज की काफी मांग

खबर के अनुसार, चांदी का निर्यात 25 हजार करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है. इस सेक्टर में कर्ज की काफी मांग है. ऐसे में जिस तरह से सोने की खरीद और सोने के आभूषणों के विनिर्माण के लिए कर्ज देने की स्पष्ट रूपरेखा है, वैसा ही चांदी के मामले में भी तैयार करने की जरूरत है. रिजर्व बैंक के मौजूदा नियमों के अनुसार, नामांकित बैंकों को सोना आयात करने का अधिकार मिला हुआ है. जो बैंक गोल्ड मनीटाइजेशन स्कीम 2015 में शामिल हैं, वे सोने के आभूषणों का निर्यात करने वाले या इन्हें बनाने वाले घरेलू कारोबारियों को गोल्ड मेटल लोन दे सकते हैं.

गहनों के अलावा यहां भी इस्तेमाल

चांदी भी सोने की तरह महंगी धातुओं में गिनी जाती है. चांदी का आभूषणों के अलावा बड़े पैमाने पर औद्योगिक इस्तेमाल होता है. इस कारण चांदी के ऊपर सोने के अलावा औद्योगिक धातुओं के ट्रेंड का भी असर होता है. रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग जगत के कई लोगों का मानना है कि चांदी के आभूषणों का विनिर्माण और उनका निर्यात वैसा ही है, जैसा सोने के गहनों का. ऐसे में अगर सेंट्रल बैंक स्पष्ट दिशानिर्देश तय करता है तो मैन्यूफैक्चरर या ट्रेडर मौजूदा नियमों का उल्लंघन नहीं कर पाएंगे.

आगे भी बनी रहेगी तेजी

जेम ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल यानी जीजेईपीसी के ताजा आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान चांदी के आभूषणों का निर्यात 16.02 फीसदी बढ़कर 23,492.71 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. साल भर पहले चांदी के 20,248.09 करोड़ रुपये के गहनों का निर्यात हुआ था. चांदी के बाजार में आने वाले सालों के दौरान भी तेजी बरकरार रहने की उम्मीद है.

5. मणिपुर हिंसा: नेताओं के घरों में आग, सरेआम गोलीबारी और खूनी झड़प


 मणिपुर में हालात लगातार बेकाबू होते दिख रहे हैं, दो समुदायों के अधिकारों को लेकर शुरू हुई इस लड़ाई में लगातार हिंसा हो रही है और अब तक 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. तमाम सुरक्षा व्यवस्था और हजारों सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद हालात पर काबू नहीं पाया जा सका है. रोजाना मणिपुर के अलग-अलग इलाकों से हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं. उपद्रवी अब नेताओं के घरों को निशाना बना रहे हैं और उन्हें आग के हवाले किया जा रहा है. आइए जानते हैं कि इस हिंसा में अब तक क्या-क्या हुआ और अब तक के क्या बड़े .


गुरुवार 15 जून को मणिपुर के इंफाल में कुछ लोगों ने केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के घर पर हमला कर दिया और आग लगा दी. हालांकि इस दौरान केंद्रीय मंत्री अपने घर पर नहीं थे. उपद्रवियों ने न्यू चेकऑन में दो और घरों में भी आग लगाई. 

इससे पहले इंफाल पश्चिम जिले के लाम्फेल इलाके में अज्ञात लोगों ने मणिपुर की महिला मंत्री नेमचा किपगेन के आधिकारिक आवास में आग लगा दी थी. पुलिस की भारी तैनाती के बावजूद इस घटना को अंजाम दिया गया.  

बुधवार 14 जून को जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर के खमेनलोक इलाके के एक गांव में संदिग्ध बदमाशों के हमले में नौ लोगों की मौत हो गई और 10 घायल हो गए. इसी के बाद कुकी समुदाय की नेता किपगेन के आवास में जब आग लगाई गई.

मणिपुर में लगातार हो रही हिंसा के बीच विपक्ष भी केंद्र सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया. खरगे ने कहा कि पूर्वोत्तर के लिए लुक ईस्ट की बात करने वाले पीएम की मणिपुर में जारी हिंसा पर खामोशी लोगों के घाव पर नमक रगड़ने जैसा है. 

मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में शांति समिति का गठन किया गया था, समिति के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और तमाम राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं. इस कमेटी में रिटायर्ड ब्यूराक्रेट, शिक्षाविद्, साहित्यकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और जातीय समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं.

मणिपुर के 16 में से 11 जिलों में कर्फ्यू लागू है, जबकि पूरे राज्य में इंटरनेट पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है. चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है और उपद्रवियों से सख्ती के साथ निपटने के निर्देश दिए गए हैं. 

एक महीने पहले मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के लोगों के बीच हुई जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. इसके अलावा हजारों लोगों को जान बचाने के लिए विस्थापित होना पड़ा है.  

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद हिंसा शुरू हुई थी. इसके बाद से ही गोलीबारी और आगजनी की घटनाएं हर दूसरे दिन हो रही हैं.

मेइती समुदाय का आरोप है म्यांमार से आने वाले लोग आदिवासी समुदायों के साथ मिलकर आतंकवाद फैला रहे हैं. वहीं आदिवासी संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार मेइती समुदाय के साथ मिलकर उन्हें प्रताड़ित कर रही है. मणिपुर हिंसा में दोनों पक्षों के सैकड़ों घरों को फूंक दिया गया है, जबकि कई निर्दोषों की निर्मम हत्या भी हुई है. 

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदाय की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं. 


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