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1 June 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1. चिकन खाने से हो रही है दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी बीमारी, WHO ने किया आगाह

अगर आप चाव से चिकन खाते हैं तो सावधान हो जाइए...WHO ने आगाह कर दिया है कि यह दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी बीमारी का कारण है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने AMR को 10 सबसे बड़े स्‍वास्‍थ्‍य खतरों में एक बताया है. कहा है कि चिकन खाने की वजह से लोग तेजी से एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस (Antimicrobial Resistance) का शिकार हो रहे हैं. इसकी वजह से एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीपैरासिटिक्स दवाओं का असर काफी कम हो जाता है. इससे गंभीर बीमारी में इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. आइए जानते हैं पौष्टिक चिकन बीमारी का कारण क्यों बन रहा है...

पौष्टिक चिकन बीमारी का कारण क्यों

सबसे बड़ा सवाल कि जिस चिकन में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, वह बीमारी का कारण क्यों बन रहा है. दरअसल, आजकल पोल्‍ट्री फार्म में चिकन को अच्छा और सेहतमंद बनाने के लिए ज्यादा एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं. जिससे चिकन की बॉडी में अच्छी मात्रा में एंटीबायोटिक जमा हो जाती है और जब यह बिकता है तो इसका असर इसे खाने वालों में होने लगता है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, जब चिकन शरीर में जाता है तब कई एंटीबायोटिक को शरीर में ट्रांसफर कर देता है. जिससे शरीर में समय के साथ एंटीबायोटिक को लेकर रेजिस्टेंस पैदा होने लगती है और एंटीबायोटिक दवाएं शरीर पर काम करना बंद कर देती हैं.

चिकन खाने के बाद बीमारी का इलाज मुश्किल

डॉक्टर के मुताबिक, एएमआर यानी एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (Antimicrobial resistance) चिकन खाने से होता है. इससे शरीर में आने वाले एंटीबायोटिक कुछ समय के बाद एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस की स्थिति में लाते हैं. जिससे शरीर में तरह-तरह के इंफेक्‍शन होने लगते हैं. इससे इलाज काफी मुश्किल हो सकता है. WHO ने एएमआर को दुनिया के 10 सबसे बड़ी बीमारियों में से एक माना है.

चिकन खाना खतरे की घंटी

चिकन सबसे बड़ी बीमारी में से एक का कारण बन रहा है.

चिकन से शरीर में एंटीबायोटिक ट्रांसफर हो रहे हैं.

चिकन से मिल रहे एंटीबायोटिक से एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का खतरा. 

एएमआर का शिकार होने पर एंटीबायोटिक दवाईयां काम नहीं करती हैं.

2. पहलवानों के समर्थन में राष्ट्रपति से करेंगे मुलाकात- राकेश टिकैत

भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के निवर्तमान अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पहलवानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. पहलवानों के समर्थन में गुरुवार (1 जून) को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के सोरम गांव में खाप महापंचायत का भी आयोजन किया गया. इसी के साथ शुक्रवार (2 जून) को हरियाणा के कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) में भी पंचायत बुलाई गई है. जानिए इस मामले से जुड़ी बड़ी बातें. 

1. भारतीय किसान यूनियन के नेता और बाल्यान खाप के प्रमुख नरेश टिकैत ने गुरुवार को खाप महापंचायत बुलाई थी. जिसमें पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और दिल्ली से खापों के प्रतिनिधि हिस्सा लेने पहुंचे. इस महापंचायत में फैसला लिया गया कि खापों के प्रतिनिधि जल्द ही देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे. 

2. महापंचायत में नरेश टिकैत ने कहा कि आज सोरम सर्व खाप पंचायत का फैसला सुरक्षित रखा है. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में 2 जून को खाप पंचायत की बैठक होगी और उसमें आज का फैसला रखा जाएगा. उसके बाद सर्वसम्मति से फैसला सुनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि मंगलवार को मुझे जैसे ही खिलाड़ियों के मेडल बहाने के बारे में पता चला तो अपना फर्ज समझकर मैं तुरंत हरिद्वार में पहलवान बेटियों के पास गया और वहां बहुत मार्मिक दृश्य था. 

3. नरेश टिकैत ने कहा कि हमने अपने खिलाड़ियों को समझाया था और उन्होंने हमारी बात मानी. वहां करीब पौने दो घंटे बिताने के बाद खिलाड़ी खाप नेताओं के अनुरोध पर वापस लौट गए थे. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति जो स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री में काम करता है उसने अभी अपना आई कार्ड मुझे सौंप दिया है और कहा कि मैं विरोध में नौकरी छोड़ रहा हूं. 

4. इस महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि ये बच्चे शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे थे. इन्हें जबरदस्ती उठाया गया. इन पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि ये झूठ बोल रहे हैं. हमने आज पंचायत में फैसला सुरक्षित रखा है, लेकिन जल्द ही खाप प्रतिनिधि राष्ट्रपति और सरकार से मिलेंगे. खाप और ये लड़कियां (पहलवान) नहीं हारेंगी. उन्होंने कहा कि सरकार की पार्टी (बीजेपी) के लोग भी हमारे साथ हैं, लेकिन अभी कह रहे हैं कि बैठक में नहीं आ सकते क्योंकि सरकार उनका नुकसान कर देगी.

5. राकेश टिकैत ने आगे कहा कि ये पहलवान किसी जाति के नहीं हैं, इनकी जाति तिरंगा है. योद्धाओं की कोई जाति नहीं होती. सरकार की चाल है- इन्होंने यूपी में हिंदू मुस्लिम किया, बिहार में लालू परिवार को तोड़ा, हरियाणा में चौटाला परिवार को तोड़ा, गुजरात में यही किया, कई राजनैतिक परिवारों को तोड़ दिया है. हम इंटरनेशनल फेडरेशन में भी जाएंगे. कल कुरुक्षेत्र में कुछ फैसले सुनाएंगे. अब ये इन बच्चों का काम नहीं, अब ये हमारा काम है.

6. सरकार पर आरोप लगाते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि उसको (बृज भूषण शरण सिंह) तो सरकार ने बोलने की आजादी दी हुई तभी तो वह यह सब बातें बोल रहा है. उसको (बृज भूषण शरण सिंह) को सरकार का सरंक्षण प्राप्त है वरना पोक्सो के तहत अपराध में सीधे गिरफ्तारी होती है, लेकिन पुलिस तो उसके खिलाफ जांच करने से भी डर रही है. वो तो भला हो सुप्रीम कोर्ट का कि उनके निर्देश पर एफआईआर दर्ज हुई है नहीं तो वो भी नहीं होती.

7. खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि हम संवेदनशील तरीके से इस मामले से निपट रहे हैं. पहलवानों ने एफआईआर दर्ज कराने, कमेटी बनाने समेत जो भी मांगें रखी थी उन्हें पूरा कर दिया गया है. मामले में तेज गति से जांच आगे बढ़ रही है और खिलाड़ियों को जांच खत्म होने का इंतजार करना चाहिए. हमारे लिए खेल और खिलाड़ी दोनों ही जरूरी है.

8. बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने कहा कि दिल्ली पुलिस मामले की जांच कर रही है. पहले इनकी (पहलवानों की) मांग कुछ और थी और बाद में मांग कुछ और हो गई. ये लगातार अपनी शर्तों को बदल रहे हैं. बृज भूषण शरण सिंह ने कहा कि मैंने पहले दिन कहा था कि अगर एक भी प्रकरण मेरे ऊपर साबित हो जाएगा तो मैं फांसी पर लटक जाऊंगा. मैं आज भी अपनी उसी बात पर कायम हूं. मेरा सभी से अनुरोध है कि आप पुलिस की जांच का इंतजार कीजिए. 

9. इसी बीच पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि हम प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में आज कोलकाता में गांधी प्रतिमा तक कैंडल लाइट मार्च निकालेंगे. ममता बनर्जी ने बुधवार को भी कोलकाता में पहलवानों के समर्थन में मार्च निकाला था. 

10. पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इस मामले में कार्रवाई न होने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट समेत कई पहलवान अपने मेडल गंगा नदी में बहाने हरिद्वार गए थे. हालांकि उन्हें खाप नेताओं ने ऐसा करने से रोक दिया था. 

3. Asia Cup 2023: पाकिस्तान के बिना खेला जाएगा एशिया कप

इस साल होने वाले एशिया कप के आयोजन पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और पीसीबी के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीसीसीआई ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है. बीसीसीआई ने पाकिस्तान के बिना ही एशिया कप के आयोजन का प्लान बना लिया है. इससे पहले बीसीसीआई ने पीसीबी के हाईब्रिड मॉडल को रिजेक्ट कर दिया था. 

दरअसल, इस साल एशिया कप की मेजबानी का अधिकार पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पास है. इसी बात को लेकर सारे विवाद की शुरुआत हुई है. पाकिस्तान के साथ सुरक्षा मसले की वजह से बीसीसीआई ने अपनी टीम भेजने से इंकार दिया है. इसके बाद पीसीबी ने हाईब्रिड मॉडल निकालते हुए भारत के मैचों को न्यूट्रल वेन्यू पर करवाने का विकल्प दिया. लेकिन बीसीसीआई ने इस मॉडल को भी नकार दिया.

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक एशिया कप में हिस्सा लेने वाली बाकी टीमें पाकिस्तान के बिना ही खेलने को तैयार हैं. एशिया क्रिकेट काउंसिल ने श्रीलंका में टूर्नामेंट का आयोजन करवाने की तैयारी कर ली है. अगर पाकिस्तान को हिस्सा लेना है तो उसे श्रीलंका में ही खेलना होगा. अगर पाकिस्तान इस विकल्प को स्वीकार नहीं करता है तो उसे एशिया कप से बाहर ही रहना होगा.

वर्ल्ड कप तक पहुंचा विवाद

एशिया कप का विवाद इस साल भारत में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप तक पहुंच गया है. पाकिस्तान की ओर से लगातार ये धमकी दी जा रही है कि अगर भारत एशिया कप उसकी जमीन पर नहीं खेलता है तो वह वर्ल्ड कप का बॉयकॉट कर सकता है. हालांकि आईसीसी चेयरमैन की ओर से पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को ऐसा कोई कदम उठाने की हिदायत दी जा रहा है. अगर पीसीबी इस विकल्प को चुनता है तो उसे आईसीसी से कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

पीसीबी चीफ नजम सेठी के तेवर वर्ल्ड कप खेलने को लेकर नरम भी हुए हैं. पीसीबी चीफ ने अब सारे मुद्दे को पाकिस्तान सरकार पर छोड़ दिया है. नजम सेठी का कहना है कि अगर पाकिस्तान की सरकार इजाजत देगी तो उनकी टीम भारत में जाकर वर्ल्ड कप का हिस्सा बनेगी.

4.पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ का खुलेगा राज! ASI को खुदाई में मिले महाभारत काल से जुड़े सबूत

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा कि दिल्ली के पुराना किला के पास मिले सबूत महाभारत काल यानी 1100 ईसा पूर्व के आस-पास के नजर आ रहे हैं. एएसआई के निदेशक वसंत स्वर्णकार का कहना है कि उन्हें किले में खुदाई के दौरान रंगे हुए मिट्टी के बर्तन मिले हैं. इनका संबंध महाभारत काल से है. 

दिल्ली के पुराने किले में चल रहे खुदाई अभियान वसंत स्वर्णकार की ही देख-रेख में हो रहा है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग कालखंड को अलग-अलग मिट्टी के बर्तनों की शैलियों से पहचाना जाता है. यहां मिले मिट्टी के बर्तन ग्रे रंग से रंगे हुए हैं और इन पर काले रंग से डिजाइन और स्ट्रोक्स बनाए गए हैं.

1970 में शुरू हुई थी खोज- एएसआई

एएसआई के निदेशक स्वर्णकार ने कहा कि 1970 के दशक में भारत के प्रसिद्ध पुरातत्वविद बीबी लाल ने महाभारत में बताए गए स्थानों पर खुदाई शुरू की थी. उन्होंने बाद में निष्कर्ष निकाला कि सबसे गहरी सांस्कृतिक परत रंगे हुए मिट्टी के बर्तन ही थे.

उन्होंने कहा कि किसी भी कालखंड को समझने के लिए उसके मिट्टी के बर्तनों की शैलियों को पहचाना जाता है. मौर्य, गुप्त, राजपूत आदि संस्कृतियों की तरह ही महाभारत काल के भी मिट्टी के बर्तन इससे जुड़ी है. उन्होंने कहा कि समकालीन इतिहासकारों के बीच ये एक स्थापित तथ्य है.

फिलहाल इंद्रप्रस्थ कहना जल्दबाजी- एएसआई

उन्होंने कहा कि हाल ही में मौर्य काल की बावड़ी के नीचे मिट्टी के बर्तनों के टुकड़ों की खोज से पता चलता है कि खुदाई स्थल में महाभारत काल के दौरान कुछ गतिविधियां देखी गई होंगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगा, ये प्राचीन इंद्रप्रस्थ राजधानी है.

उन्होंने कहा कि खुदाई का काम पूरा होने में करीब दो साल लग जाएंगे. उसके बाद ही इस बारे में कोई ठोस दावा किया जा सकता है. वसंत स्वर्णकार ने कहा कि पुरातत्वविदों को एक ही जगह से गणेश (मुगल काल), गज लक्ष्मी (गुप्त काल) और भगवान विष्णु (राजपूत काल) की भी मूर्तियां मिली हैं.

क्या है महाभारत काल?

इस रिपोर्ट के मुताबिक, मौर्यकाल से पहले के कालखंड में भारत 16 महाजनपदों में विभाजित था. ये महाजनपद कुरु, पांचाल और अंग राज्यों से जुड़े थे, जिनका संबंध पांडव, द्रौपदी और कर्ण से जुड़ा है. संस्कृति मंत्रालय ने एक हालिया बयान में कहा था कि पुराने किले में चल रही खुदाई पांडवों की प्राचीन राजधानी इंद्रप्रस्थ को खोजने के लिए की जा रही है.

5. 'मैं पहला ऐसा व्यक्ति, जिसे मानहानि मामले में इतनी बड़ी सजा मिली', संसद सदस्यता जाने पर US में बोले राहुल गांधी


कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने को लेकर पहली बार विदेश में बयान दिया है. अमेरिका दौरे पर गए राहुल गांधी ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं पहला व्यक्ति बनूंगा जिसे मानहानि के मामले में सबसे बड़ी सजा मिलेगी और लोकसभा की सदस्यता गंवानी पड़ेगी. राहुल ने आगे कहा कि लेकिन राजनीतिक तौर पर इससे मुझे ज्यादा बड़ा मौका मिला है.

भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि भारत में समूचा विपक्ष संघर्ष कर रहा है. संस्थाओं पर कब्जा है. लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने के लिए हम संघर्ष कर रहे हैं. इसीलिए कुछ महीनों पहले हमने पूरे भारत में यात्रा करने की सोची.

सदस्यता जाने को बताया बड़ा मौका

राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर हैं. यहां तीन शहरों में उनका कार्यक्रम है. इसी क्रम में वे बुधवार (31 मई) को कैलिफोर्निया की प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के छात्रों से बात की और उनके सवालों के जवाब भी दिए.

राहुल गांधी ने कहा, साल 2000 में जब उन्होंने राजनीति ज्वाइन की थी, तो नहीं सोचा था कि इस स्थिति से गुजरेंगे. जो राजनीति में आने के समय सोचा था और आज जो चल रहा है, वह एक दूसरे से बिल्कुल अलग है. संसद सदस्यता के जाने का जिक्र करते हुए कहा, उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसा कुछ संभव है. उन्होंने आगे कहा, लेकिन मुझे लगता है कि इसने मुझे लगता है कि इसने मुझे बड़ा अवसर दिया है. शायद जो अवसर मेरे पास होता, उससे बहुत बड़ा है. राजनीति इसी तरह काम करती है.

इसी साल में मार्च में सूरत कोर्ट से आपराधिक मानहानि मामले में 2 साल की सजा के बाद सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिया गया था. राहुल गांधी ने सजा को सत्र न्यायालय में चुनौती दी है.

कभी नहीं मांगा सपोर्ट- राहुल

विदेश से सपोर्ट मांगने के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा, मैंने कभी किसी से कोई सपोर्ट नहीं मांगा. मैं एकदम स्पष्ट हूं. यह हमारी लड़ाई है. यहां के भारतीय छात्रों से रिश्ता रखना चाहता हूं. हां, प्रधानमंत्री क्यों ऐसी जगहों पर आकर के लोगों के सवालों का जवाब नहीं देते?


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