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22 May 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1. मणिपुर के इंफाल में फिर भड़की हिंसा, सेना ने संभाला मोर्चा

मणिपुर के इंफाल (Imphal) में सोमवार (22 मई) को फिर से हिंसा भड़कने के बाद सेना (Indian Army) बुलाई गई है. इंफाल के न्यू लेमबुलेन इलाके में शरारती तत्वों ने खाली मकानों में आग लगाई थी. मौके पर सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं. सेना ने कहा कि इंफाल के बाहरी इलाके में आज सुबह संभावित संघर्ष के इनपुट के जवाब में, सेना और असम राइफल्स की टुकड़ी को वहां भेजा गया और स्थिति को नियंत्रण में लाया गया.

सेना की ओर से कहा गया कि 3 संदिग्धों को पकड़ा गया और 2 हथियार बरामद किए गए हैं. स्थिति शांतिपूर्ण है. गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को मणिपुर में जनजातीय एकता मार्च के दौरान हिंसा भड़क गई थी. हिंसा शुरू होने के बाद से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हुई झड़पों में 70 से अधिक लोगों की जान चली गई है. 

हजारों लोगों ने छोड़े अपने घर

राज्य में इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित की गई थीं. हिंसा के दौरान करोड़ों की संपत्ति को आग लगा दी गई और हजारों लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. जो अब सरकार की ओर से लगाए गए राहत शिविरों में रह रहे हैं. कुकी समुदाय का आरोप है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार उन्हें जंगलों और पहाड़ियों में उनके घरों से हटाने के उद्देश्य से निशाना बना रही है. 

सेना और अर्द्धसैनिक बल को किया तैनात

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया था और दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और ये ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. जनजातीय समुदायों-नगा और कुकी समेत अन्य की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं. पूर्वोत्तर राज्य में हालात काबू में करने के लिए सेना और अर्द्धसैनिक बलों के करीब 10,000 कर्मियों को तैनात करना पड़ा था. 

2. 2 हजार के नोट वापस लेने के फैसले से भारत की अर्थव्यवस्था को कितना बड़ा नुकसान होगा?

भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते शुक्रवार यानी 19 मई को एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की. इसका मतलब है कि अब 2000 रुपये के नोट की छपाई भी नहीं होगी और कोई भी बैंक आपको यह नोट नहीं देगा. हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि यह नोट बंद हो गया है.

आरबीआई ने ऐलान किया है कि 23 मई से लेकर 30 सितंबर तक 2 हजार रुपये के नोटों को खातों में जमा कराएं जा सकेंगे या बैंकों में जाकर बदले जा सकेंगे. 

आरबीआई के इस फैसले ने एक बार फिर से देश को साल 2016 में हुए नोटबंदी की याद दिला दी है. दरअसल बाजार में 2000 रुपये के नोट आने के 78 महीने बाद ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसे चलन से बाहर करने का ऐलान कर दिया. आरबीआई के इस फैसले के बाद अब सवाल उठता है कि 2000 हजार के नोट को वापस लेने के फैसले से भारत की अर्थव्यवस्था को कितना बड़ा नुकसान पहुंच सकता है?

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

1. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों ने कहा, 'सरकार और केंद्रीय बैंक ने इस कदम को उठाने का सही कारण तो अब तक नहीं बताया है. लेकिन आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह का निर्णय लेना बुद्धिमानी भरा फैसला है, क्योंकि चुनाव के दौरान जनता को लुभाने और प्रचार में आमतौर पर नकदी का उपयोग बढ़ जाता है. 

2. वहीं एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स के समूह मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे ने रॉयटर्स को बताया, ' 2,000 रुपये का नोट वापस लिए जाना 'बहुत बड़ी घटना' नहीं है और इससे अर्थव्यवस्था या मौद्रिक नीति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा. क्योंकि पिछले 6-7 सालों में देश में डिजिटल लेन-देन और ई-कॉमर्स का दायरा काफी बढ़ गया है."

3. हालांकि क्वांटिको रिसर्च की एक अर्थशास्त्री युविका सिंघल ने मिंट को बताया को बताया कि इस फैसले का असर कृषि और निर्माण जैसे छोटे व्यवसायों पर पड़ सकता है. इसके अलावा वैसे क्षेत्र जहां आज भी डिजिटल ट्रांजेक्शन के मुकाबले ज्यादा लोग  नकदी का इस्तेमाल करते हैं उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ सकता है.

4. अर्थशास्त्र के प्रोफेसर वरुण सिंह ने एबीपी को बताया कि 2000 रुपये के वापस लेने के फैसले के बाद रियल एस्टेट और सोने जैसी महंगी चीज़ों की मांग बढ़ने लगेगी. लोग अपने 2000 के नोट को गहनों और जमीन में इन्वेस्ट करना चाहेंगे. इसके अलावा छोटे नोटों की मांग भी बढ़ जाएगी. ऐसा ही कुछ साल 2016 में हुई नोटबंदी के बाद भी देखा गया था. लोग ज्यादा से ज्यादा पैसा रियल स्टेट और सोने चांदी जैसी चीजों में लगाने लगे थे. 

बाजार पर पड़ेगा असर

'द हिंदू' अखबार के रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल भारत में 3.7 लाख करोड़ रुपये के मूल्य के 2000 रुपये के नोट मौजूद हैं. अगर उसका एक तिहाई नोट भी बैंकों के पास वापस जाता है तो बाजार में नकदी बढ़कर 40 हज़ार करोड़ रुपये से लेकर 1.1 लाख करोड़ रुपये के बीच पहुंच सकती है.

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अघोषित आय पर टैक्स बचाने के लिए जिन लोगों ने 2000 रुपये के नोटों को जमा कर के रखा था, उन्हें अब गहने खरीदने और रियल एस्टेट सेक्टर में लगा दिया जाएगा.

2019 के बाद से ही छपना बंद हो चुका है 2000 का नोट

आरबीआई के आंकड़ों की मानें तो 2000 रुपये के नोट को साल 2019 के बाद से ही छापना बंद कर दिया था. यही कारण है कि  2023 मार्च तक बाजार में 2000 रुपये का नोट सिर्फ 10.8 प्रतिशत रह गया है. ऐसे में अगर आरबीआई ने यह फैसला नहीं भी लिया होता तो कुछ सालों में यह नोट बाजार में दिखना बंद हो जाता. 

दरअसल वर्तमान में भारत में 31 लाख 33 हजार करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में हैं. इनमें केवल 3 लाख 13 हजार करोड़ रुपये की 2 हजार रुपये की करेंसी चलन में है. आरबीआई के अनुसार मार्च 2017 से पहले ही 2000 रुपये के लगभग 89 प्रतिशत नोट जारी कर दिए गए थे. 

साल 2018 के मार्च महीने में 6.73 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 2,000 रुपये के नोट चलन में मौजूद थे, लेकिन साल 2023 के मार्च महीने तक इनकी संख्या घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये रह गई. इसी तरह वर्तमान में मौजूद कुल नोट का सिर्फ 10.8 प्रतिशत ही 2,000 रुपये के नोट रह गए हैं जो मार्च, 2018 में 37.3 प्रतिशत थे.

क्यों की गई नोट की छपाई बंद 

साल 2016 में यानी आज से लगभग साढ़े छह साल पहले नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार ने 2000 रुपये के नए नोट की छपाई शुरू की थी. ये नोट आईबीआई एक्ट की धारा 24(1) के तहत आरबीआई द्वारा जारी किए गए थे.

वहीं बीते शुक्रवार को 2000 रुपये के नोट के चलन को बंद करने के फैसला के बाद आरबीआई ने अपने बयान में कहा है कि ये फैसला नोटबंदी के बाद पैदा हुई ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था.

आरबीआई ने कहा, "ये उद्देश्य बाजार में अन्य नोट पर्याप्त मात्रा में आ जाने के बाद पूरा हो गया था और इसलिए साल 2018-19 में दो हज़ार रुपये के नोट छापने बंद कर दिए गए थे." रिज़र्व बैंक ने दो हज़ार रुपये के नोटों को वापस लेते हुए कहा है कि ये बैंक की क्लीन नोट पॉलिसी के तहत किया जा रहा है.

क्या है क्लीन नोट पॉलिसी 

क्लीन नोट पॉलिसी ये सुनिश्चित करता है कि लोगों के बीच अच्छे क्वालिटी के बैंक नोट पहुंचे. इस पॉलिसी का उद्देश्य भारतीय करेंसी के डैमेज, नकली और गंदे नोटों को हटाकर भारतीय मुद्रा की अखंडता को बनाए रखना है. 

इस पॉलिसी के तहत क्या होता है 

यह पॉलिसी अनफिट या डैमेज नोटों को बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट सर्कुलेशन से बाहर करता है. इस पॉलिसी के तहत पुराने नोटों को नए नोटों के साथ बदलना होता है. आरबीआई की इस नीति के तहत सर्कुलेशन में नोटों की क्वालिटी को मॉनिटर किया जाता है. 

इस फैसले पर कांग्रेस समेत विपक्ष के नेताओं ने साधा निशाना  

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 'आरबीआई और तथाकथित स्वयंसेवी विश्वगुरु, पहले करते हैं फिर सोचते हैं. 8 नवंबर 2016 को तुगलकी फरमान के बाद इतने शोर शराबे से पेश किए गए 2000 रुपये के नोट अब वापस लिए जा रहे हैं.

वहीं अलका लांबा ने इस फैसले पर कहा, 'इस मामले में जांच होती है तो नोटबंदी इस सदी का सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा. काले धन पर हमले के नाम पर 1000 रुपये का नोट बंद कर 2000 रुपये का नोट जारी कर प्रधानमंत्री मोदी ने मात्र अपने भगोड़े पूंजीपति मित्रों का ही काम आसान किया. 

आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा पीएम ने नोटबंदी कर नए नोट शुरू करने का चलन शुरू किया था. जब उन्होंने ऐसा किया था तो लोगों की जान चली गई थी, व्यवसाय चौपट हो गए थे. मुझे आशा है कि यह फैसला विशेषज्ञों की सिफारिश पर लिया गया है.

आप नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार पहले कहती थी कि 2000 का नोट लाने से भ्रष्टाचार बंद होगा. अब बोल रहे हैं 2000 का नोट बंद करने से भ्रष्टाचार खत्म होगा. इसीलिए हम कहते हैं, PM पढ़ा लिखा होना चाहिए. एक अनपढ़ पीएम को कोई कुछ भी बोल जाता है. उन्हें समझ आता नहीं है. भुगतना जनता को पड़ता है.

2000 के नोट के वापस लेने के फैसले पर जनता क्या सोचती है 

इसे लेकर एक सर्वे किया है. इस सर्वे में पूछा गया कि क्या 2000 के नोट बंद करने का असर वोटिंग के फैसले पर पड़ेगा. इस पर 22 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि हां इसका असर पड़ेगा, लेकिन बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो ये मानते हैं कि इसका कोई असर नहीं होगा.

सर्वे में 58 प्रतिशत लोगों ने माना है कि वोटिंग के फैसले पर दो हजार के नोट बंद करने का कोई प्रभाव नहीं होगा. इस सर्वे में 20 फीसदी लोगों ने कहा कि वह इस बारे में स्पष्ट नहीं हैं और कह नहीं सकते कि असर होगा या नहीं.

मोदी सरकार ने नोटबंदी क्यों की थी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8  नवंबर 2016 को नोटबंदी को ऐलान किया था. उस वक्त 500-1000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था. सरकार ने बताया कि इस फैसले को भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लिया गया है. बाद में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी हलफनामा दाखिल कर नोटबंदी का कारण बताया.

साल 2022 के नवंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने बताया कि नोटबंदी को गलत निर्णय नहीं कहा जा सकता है. केंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आरबीआई के सुझाव पर ही इसकी घोषणा की थी. नोटबंदी की तैयारी 6 महीने पहले से आरबीआई कर रही थी.

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा- नोटबंदी करना फेक करेंसी, टेरर फंडिंग, काले धन और टैक्स चोरी की समस्याओं से निपटने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा और एक प्रभावी उपाय था. मोदी सरकार ने नोटबंदी को नीतिगत निर्णय बताया था. 

3.हार्ट अटैक से पहले शरीर में ही नहीं बालों में भी होने लगते हैं ये बदलाव

हाल ही में हुए एक रिसर्च में खुलासा किया गया है कि किसी भी व्यक्ति के बाल से पता लगाया जा सकता है कि भविष्य में उसे हार्ट अटैक पड़ सकता है या नहीं. रिसर्चर ने हाल ही में पाया कि इंसान के बालों में स्ट्र्रेस हार्मोन मौजूद होते  हैं. जिसकी जांच करने के बाद हार्ट अटैक (सीवीडी) के जोखिम का पता लगाया जा सकता है. डबलिन, आयरलैंड  में इस साल के 'यूरोपियन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी' (ईसीओ) में प्रेजेंट किए गए स्टडी से पता चला है कि ग्लूकोकॉर्टीकॉइड का लेवल- स्टेरॉयड हार्मोन किसी भी इंसान के बालों में मौजूद रहता है. जो एक टाइम के बाद बढ़ जाता है. जांच करने के बाद पता चला है कि इन हार्मोन्स का लेवल फ्यूचर में बढ़ने के कारण हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ जाता है. 

ऐसे बाल वालों को हार्ट अटैक का जोखिम काफी ज्यादा बढ़ जाता है

इस पूरे रिसर्च का एक निष्कर्ष तैयार करने के लिए आदमी और औरत की एक टीम बनाई गई. जिसमें 18 साल से अधिक उम्र वाले लोगों को शामिल किया गया. इस लोगों के कुल 6,341 बालों के नमूनों लिए गए हैं. जिसमें कोर्टिसोल और कोर्टिसोन के लेवल की जांच कि गई. इसमें शामिल सभी प्रतिभागियों के बालों का परिक्षण किया गया. इस पूरी जांच प्रकिया में यह पता चला कि जिन लोगों के बालों में कोर्टिसोन की मात्रा काफी ज्यादा है और काफी दिनों तक यह बढ़ हुआ रहता है. जिसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता है. उन लोगों को हार्ट अटैक का जोखिम दो गुना बढ़ जाता है.

57 साल की उम्र के बाद हार्ट अटैक का खतरा दोगुना बढ़ जाता है

जिन व्यक्तियों की उम्र 57 साल या उससे भी ज्यादा है. और उनके बालों में काफी ज्यादा मात्रा में कोर्टिसोन स्तर बढ़ा हुआ है. उनमें हार्ट अटैक का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है. हालांकि सीवीडी के सबसे अधिक मामले 57 साल और उससे अधिक उम्र वाले लोगों को होता है.  उम्मीद जताई जा रही है कि बालों की यह खास जांच इस पूरे परिक्षण के लिए काफी ज्यादा उपयोगी साबित होगी. इस जांच प्रक्रिया के आधार पर डॉक्टर एक हद तक यह पता तो लगा सकते हैं कि कौन से व्यक्ति दिल की बीमारी, हार्ट अटैक के जोखिम में हो सकते हैं. फिर शायद भविष्य में शरीर में तनाव हार्मोन के प्रभावों पर को कंट्रोल करने के लिए अलग से कुछ कदम उठाए जाएंगे. 

4.  होम लोन पर बचेगा खूब टैक्‍स, बस इस छूट का फायदा उठाना न भूलें

इनकम टैक्‍स रिटर्न (ITR Filig) दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है. आईटीआर में दी गई जानकारी के अनुसार ही हमारी टैक्‍स देनदारी तय होती है और हमें टैक्‍स छूट मिलती है. इसलिए आईटीआर भरते वक्‍त सभी आवश्‍यक जानकारी जुटा लेनी चाहिए और आयकर अधिनियम में दी गई सभी टैक्‍स छूट और कटौतियों के बारे में जान लेना चाहिए. अगर आपने होम लोन लिया है, तो आप आयकर अधिनियम की धारा 24 (बी) के तहत होम लोन के ब्‍याज भुगतान पर टैक्‍स छूट (Home Loan Tax Deductions) ले सकते हैं. खास बात यह है कि यह छूट निर्माणाधीन मकान के लिए चुकाए ब्‍याज पर भी मिलती है.

आप मकान का कब्‍जा लेने के बाद इस छूट का दावा कर सकते हैं. बस, ध्‍यान देने वाली बात यह है कि धारा 24 (बी) के तहत छूट आप पुरानी कर व्‍यवस्‍था अपनाकर आईटीआर भरेंगे तभी मिलेगी. टैक्‍स एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि मकान का कब्‍जा मिलने के 5 साल तक आयकरदाता इस छूट के लिए दावा कर सकता है. लेकिन, अगर होम लोन पर एक वित्तीय वर्ष में 2 लाख रुपये से ज्‍यादा ब्‍याज चुकाया गया है, तो आप इस छूट के हकदार नहीं होंगे.

कब्‍जा होना जरूरी

खास बात यह है कि धारा 24 (बी) के तहत छूट हासिल करने के लिए करदाता के पास मकान का कब्‍जा होना जरूरी है. कब्‍जा मिलने के बाद आयकरदाता मकान बनने के दौरान होम लोन के चुकाए गए ब्‍याज पर छूट प्राप्‍त कर सकता है. अगर किसी टैक्सपेयर्स ने मकान का कब्‍जा मिलने से पहले 4 लाख रुपये ब्याज के रूप में चुकाए हैं और उसे आयकर निर्धारण वर्ष में 1 लाख रुपये होम लोन के ब्याज का भुगतान करना है, तो धारा 24(बी) के अनुसार, वह व्यक्ति इस 1 लाख के साथ ही 80 हजार रुपये (₹4 लाख / 5) अतिरिक्‍त ब्‍याज भुगतान पर भी छूट का दावा कर सकता है.

इस तरह वह अगले पांच वर्षों तक मकान बनने के दौरान चुकाए गए ब्‍याज पर छूट प्राप्‍त कर सकता है. इसलिए, धारा 24 (बी) का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए, टैक्सपेयर को असेसमेंट ईयर में होम लोन पर चुकाए गए लोन को देखना होगा और फिर उसमें मकान का कब्‍जा मिलने से पहले चुकाए गए पूरे ब्‍याज को उसमें जोड़ देना है. कब्‍जा मिलने के पांच साल तक 5 किस्‍तों में हर साल चुकाए जा रहे ब्‍याज में पिछले ब्‍याज को मिलाकर छूट का दावा किया जा सकता है.

5. 2000 रुपये के नोटों से खरीदने जा रहे हैं सोना, ज्वैलर्स इन शर्तों के साथ ले रहे ये करेंसी

भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से 2000 रुपये के चलन से बाहर लेने के फैसले के बाद कई खुदरा ज्वैलर्स हाई वैल्यू अमाउंट को एक्सेप्ट करने के लिए आधार और पैन कार्ड की प्रति मांग रहे हैं. ऐसा इस कारण, क्योंकि ज्वैलर्स टैक्स जांच के खिलाफ एतिहात बरतना चाहते हैं. 

आरबीआई ने शुक्रवार को कहा था कि लोगों को 30 सितंबर तक 2 हजार रुपये के नोट को बदलना होगा. एक व्यक्ति 20 हजार रुपये तक किसी भी ब्रांच में जाकर चेंज कर सकते है. जमाकर्ताओं के लिए ये कोई लिमिट नहीं हैं, लेकिन KYC नियम अप्लाई होंगे. 

ज्वैलर्स पर टैक्स की जांच 

2016 में नोटबंदी के बाद कई ज्वैलर्स को 500 और 1000 रुपये के अमान्य नोटों को स्वीकार करने के लिए कड़ी टैक्स जांच का सामना करना पड़ा था. मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, आईपीओ बाउंड सेंको गोल्ड एंड डायमंड के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि हम सभी 139 स्टोर्स पर ग्राहकों से केवाईसी के साथ 2000 रुपये के नोट एक्सेप्ट किया जाए. उन्होंने कहा कि केवाईसी का मतलब नो योर कस्टमर है और इसमें पैन और आधार कार्ड की प्रतियों का प्रमाण शामिल है. 

पैन और आधार कार्ड की मांग  

पुणे स्थित पीएन गाडगिल एंड संस की ओर से कहा गया है कि तीन राज्यों में 29 स्टोर के साथ घोषणा पत्र के साथ दो हजार के नोट एक्सेप्ट किए जा रहे हैं. वहीं मुंबई के कई ज्वैलर्स का कहना है कि 20 हजार, 50 हजार और उससे ज्यादा के कैश ​पर पैन और आधार कार्ड मांगे जा रहे हैं. 


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