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19 May 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1. भारत-चीन सीमा विवाद और पाकिस्तान से बातचीत पर पीएम मोदी का अहम बयान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (19 मई) को तीन देशों (जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया) की छह दिवसीय यात्रा के लिए रवाना होने से पहले भारत-चीन सीमा विवाद और पाकिस्तान से बातचीत को लेकर अपने एक इंटरव्यू में अहम बयान दिया. चीन के साथ सीमा विवाद पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है. निक्केई एशिया को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा, ''चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती इलाकों में अमन-चैन जरूरी है.'' उन्होंने कहा, ''भविष्य में भारत-चीन संबंध का विकास केवल परस्पर सम्मान, पारस्परिक संवेदनशीलता और पारस्परिक हितों पर आधारित हो सकता है. पीएम ने कहा कि संबंधों को सामान्य करने से व्यापक इलाके और दुनिया को फायदा होगा. 

पाकिस्तान के साथ बातचीत के सवाल पर ये बोले PM मोदी

वहीं, पाकिस्तान के साथ बातचीत के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत उससे सामान्य और पड़ोसी वाले संबंध चाहता है. हालांकि, आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त एक अनुकूल माहौल बनाना उसके लिए जरूरी है. इस संबंध में कदम उठाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है.

रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख

रूस-यूक्रेन युद्ध में क्या भारत मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है? यह पूछे जाने पर पीएम मोदी ने कहा कि यूक्रेन विवाद पर भारत की स्थिति स्पष्ट और अटल है. पीएम मोदी ने कहा, '' भारत शांति के पक्ष में खड़ा है और अपने रुख पर मजबूती से बना रहेगा. हम उन लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है जो बुनियादी जरूरतों, खासकर भोजन, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों के चलते चुनौतियों का सामना करते हैं. रूस और यूक्रेन दोनों के साथ हम संपर्क बनाए रखते हैं.'' पीएम मोदी ने कहा, ''सहयोग और सहभागिता को हमारे समय को परिभाषित करना चाहिए, संघर्ष को नहीं.''

2. ज्ञानवापी मस्जिद में मिली 'शिवलिंग' के वैज्ञानिक परीक्षण पर SC ने लगाई रोक

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में मिली शिवलिंग जैसी रचना के वैज्ञानिक परीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (19 मई) को रोक लगा दी. अब मुख्य मामले के साथ आगे की सुनवाई होगी. इलाहाबाद हाई कोर्ट के वैज्ञानिक जांच के आदेश पर मस्ज़िद कमेटी ने रोक लगाने की मांग की थी. यूपी सरकार ने भी मामले को बारीकी से देखने की ज़रूरत बताई.

सुनवाई के दौरान मस्जिद कमेटी का पक्ष रख रहे वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि सोमवार से वैज्ञानिक परीक्षण शुरू हो जाएगा. ऐसे में इस पर रोक जरूरी है. मामले में सिविल मुकदमे से जुड़े नियमों का पालन नहीं हो रहा है. वहीं हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि हमें एएसआई (ASI) ने रिपोर्ट दी है कि जगह को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.

इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा हम भी एएसआई से रिपोर्ट ले सकते हैं. सरकार को भी विचार करने दीजिए कि क्या तरीके अपनाया जा सकता है. हम बाद में सुनवाई करेंगे. उन्होंने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं क्योंकि सभी पक्षों ने इसे स्वीकार भी किया है. अभी हाई कोर्ट के आदेश की समीक्षा की ज़रूरत है. ऐसे में इस पर अमल न हो. 

मामला क्या है?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 मई को अत्याधुनिक तकनीक जैसे कि कार्बन डेटिंग सहित वैज्ञानिक जांच का इस्तेमाल कर ज्ञानवापी मस्जिद में मिली उस संरचना के प्राचीन होने का पता लगाने का आदेश दिया था, जिसके शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है. 

हाई कोर्ट ने वाराणसी जिला अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसके तहत मई 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किए गए सर्वे के दौरान मिली संरचना की ‘कार्बन डेटिंग’ सहित अन्य वैज्ञानिक जांच कराने की अपील संबंधी याचिका खारिज कर दी गई थी. 

3.शाहरुख ने कहा था-आर्यन को जेल में मत डालना:वो टूट जाएगा, NCB के पूर्व अफसर समीर वानखेड़े ने हाईकोर्ट में पेश की चैट

आर्यन ड्रग्स केस में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के पूर्व जोनल चीफ समीर वानखेड़े ने शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में शाहरुख खान से हुई चैट पेश कीं। इसमें शाहरुख वानखेड़े से कह रहे हैं कि उनके बेटे को जेल में ना डाला जाए। समीर वानखेड़े ने अपने खिलाफ CBI एक्शन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई है।

वानखेड़े ने 2 अक्टूबर 2021 को मुंबई से गोवा जा रहे कॉर्डेलिया क्रूज में रेव पार्टी की सूचना मिलने के बाद छापेमारी की थी। यहां से आर्यन खान की गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद आर्यन 27 दिन तक आर्थर रोड जेल में थे। आर्यन के खिलाफ पुख्ता सबूत न मिलने की वजह से कोर्ट ने उन्हें 28 अक्टूबर को बेल दी गई और 30 को वो जेल से बाहर आए थे।

समीर ने याचिका में दावा किया- मेरे खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है। मुझ पर पहले भी करप्शन के आरोप लगे थे। तब भी सबूत नहीं मिला था। CBI को भी सबूत नहीं मिलेगा। CBI का आरोप है कि समीर ने आर्यन को छोड़ने के लिए 25 करोड़ रुपए मांगे।

कोर्ट ने शुक्रवार की सुनवाई के बाद समीर वानखेड़े को सोमवार, 22 मई तक राहत दी है। कोर्ट इस दिन अगली सुनवाई करेगी। इधर, CBI ने शनिवार सुबह 11 बजे एक बार फिर वानखेड़े को पूछताछ के लिए बुलाया है।

4. पहली महिला रेसलर सोनिका का बयान, रेसलर का सेक्शुअल हैरेसमेंट नहीं हो सकता

ओलिंपियन रेसलर साक्षी मलिक और विनेश फोगाट दिल्ली के जंतर-मंतर पर 26 दिन से प्रोटेस्ट कर रही हैं। मामला सेक्शुअल हैरेसमेंट से जुड़ा है, पॉक्सो एक्ट के तहत FIR दर्ज है, लेकिन आरोपी BJP नेता और WFI प्रेसिडेंट बृजभूषण शरण सिंह की अब तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई। धार्मिक किताबों में कुश्ती को मल्लयुद्ध कहा जाता था, लेकिन औरतों के ये खेल खेलने का जिक्र कहीं नहीं है।


पहला जिक्र साल 1950 में मिलता है, जब UP के मिर्जापुर की रहने वाली हमीदा बानो ने मर्दों के टूर्नामेंट में कुश्ती लड़ना शुरू किया। उन्होंने अलीगढ़ आकर कुश्तियां लड़ीं और वे काफी मशहूर भी थीं। मैट रेसलिंग की बात करें, तो सोनिका कालीरमन को भारत की पहली महिला पहलवान माना जाता है।


सोनिका के पिता मास्टर चंदगीराम ने पहली बार लड़कियों के लिए दिल्ली में अखाड़ा शुरू किया था। खुद भी मशहूर पहलवान थे। उन्हें अर्जुन अवॉर्ड और पद्मश्री मिल चुका है। सोनिका की ट्रेनिंग इसी अखाड़े में हुई।सोनिका कालीरमन इस वक्त अमेरिका में रह रही हैं। उन्होंने भी 1998 में अपने कोच पर आरोप लगाए थे। 

सोनिका कालीरमन ने कहा मेरा आंदोलन करने वालों से कहना है कि रेसलिंग जैसे खेल की नाक मत कटवाइए। एक लड़की अगर एथलीट है, जो 100 मीटर का स्प्रिंट मार सकती है, वो एक आदमी को मैट में भी ठूंस सकती है। मैं नहीं मानती कि वो किसी आदमी से मोलेस्ट हो सकती है।


वो लड़की मर जाएगी, पिट जाएगी, लेकिन मोलेस्ट नहीं होगी। वो सेल्फ डिफेंस कर सकती है। एक एक्टिव स्पोर्ट्स गर्ल को कोई यूं ही टच नहीं कर सकता। कोई न कोई रीजन जरूर होगा। मैं किसी विशेष के बारे में नहीं कह रही हूं, लेकिन मैं खुद रेसलर हूं। रेसलिंग बहुत ताकत वाला खेल है। एक रेसलर का यौन शोषण नहीं हो सकता, कहीं न कहीं उसका कंसेंट रहा होगा।


धरना करने या झंडा उठाने से कुछ नहीं होगा। आपको प्रॉपर चैनल से शिकायत करनी चाहिए। कोच होता है, फिर सीनियर कोच होता है। फेडरेशन के अधिकारी होते हैं। ओलिंपिक एसोसिएशन होती है।


उन्होंने नहीं सुनी, तो कम से कम हर जगह थाने तो होते ही हैं। उस व्यक्ति को पकड़कर थाने ले जाना था। इससे केवल रेसलिंग का नुकसान हो रहा है। आप कह रहे हैं फेडरेशन खत्म कर दो। तो फिर फेडरेशन का काम कौन करेगा? कैंप इतने महंगे होते हैं कि उन्हें कोई पेंरेंट करा नहीं पाएगा। स्टेट, नेशनल, इंटरनेशनल तक जाने का रास्ता कैसे बनेगा।

5. क्या है G7, जिसमें चौथी बार शामिल होंगे PM मोदी


19 मई को जापान के हिरोशिमा शहर में दुनिया के अमीर देशों के संगठन ‘G7’ की बैठक शुरू हो रही है। लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संगठन की मीटिंग में बतौर गेस्ट शामिल हो रहे हैं।

G7 ने पहली बार 2003 में भारत को अपनी बैठक में शामिल होने का न्योता भेजा था। इसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी फ्रांस गए थे। संगठन का सदस्य नहीं होने के बावजूद भारत इसकी बैठकों में शामिल होता रहा है।जी-7 दुनिया के सात विकसित और अमीर देशों का समूह है। जिसमें अभी कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। इसे ग्रुप ऑफ सेवन भी कहा जाता है।

इसकी शुरुआत शीत युद्ध के दौरान उस समय हुई जब एक तरफ सोवियत संघ और उसके समर्थन वाले देशों ने मिलकर वॉरसा के नाम से एक ग्रुप बनाया था। वहीं, दूसरी तरफ पश्चिम के औद्योगिक और विकसित देश थे।

1975 में वामपंथ विरोधी पश्चिमी देश फ्रांस, इटली, वेस्ट जर्मनी (उस समय जर्मनी दो टुकड़ों में बंटा था) अमेरिका, ब्रिटेन और जापान एक मंच पर आते हैं। उनका मकसद अपने हितों से जुड़े अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर एक साथ बैठकर चर्चा करना होता है। तब से इस अनौपचारिक संगठन की शुरुआत होती है। शरुआत में ये 6 देश थे, 1976 में कनाडा के शामिल होने से ये G7 हो गया।

1998 में G7 संगठन के दूसरे फेज की शुरुआत होती है। जब रूस को इसमें शामिल किया जाता है। इस समय रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन थे। तब रूस की पॉलिसी भी अमेरिका और पश्चिमी देशों के समर्थन वाली थी। G7 में रूस के शामिल होने के बाद इसका नाम G8 हो गया। 2014 में क्रिमिया में रूस की घुसपैठ के बाद उसे संगठन से बाहर कर दिया गया था।

G7 संगठन की पहली बैठक में सऊदी की ओर से शुरू की गई ऑयल क्राइसिस से निपटने के लिए योजना बनाई गई थी। साथ ही उस समय एक्सचेंज रेट क्राइसिस शुरू हुआ था। इसका मतलब ये हुआ कि अमेरिका ने डॉलर की वैल्यू को सोने से डी-लिंक कर दिया था। अमेरिका ने ऐसा दुनिया में सोने की बजाय डॉलर के दबदबे को बढ़ाने के लिए किया था। हालांकि इससे दूसरे देशों के लिए आर्थिक परेशानियों शुरू हो गईं।

इस बीच पश्चिमी देशों को लगा कि उन्हें फाइनेंशियल लेवल पर पॉलिसी बनाने के लिए एक साथ आने की जरूरत है। ताकि वो आपस में अपने बिजनेस और ट्रेड के मसले सुलझा पाएं।

तब से लगातार हर साल इस संगठन की बैठक होती है। ये देश दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

उदाहरण- पिछले साल हुई G7 की बैठक में सातों देशों ने यूक्रेन जंग के चलते रूस पर पाबंदी लगाने की घोषणा की थी।

मेंबर नहीं होने के बावजूद G7 की बैठक में शामिल होने से भारत को क्या फायदा है?

इस बैठक में प्रधानमंत्री के जाने से भारत को 3 तरह से फायदे हो सकते हैं…

1.चीन की वजह से साउथ चाइना सी वाले क्षेत्र में काफी सारे डेवलपमेंट हो रहे हैं। चीन की पॉलिसी सिर्फ जापान और साउथ कोरिया को लेकर ही नहीं बल्कि भारत को लेकर भी काफी एग्रेसिव है।

ऐसे में भारत G7 की बैठक में चीन को लेकर अपना पक्ष रख सकता है। वो भी तब जब चीन को काबू करने के लिए भारत भी अमेरिका और जापान के साथ मिलकर काम कर रहा है।

2. G7 में कई ट्राइलैट्रल यानी जरूरत के मुताबिक अलग-अलग तीन देशों की मीटिंग होती हैं। इसमें भारत भी किन्हीं दो देशों के साथ बैठकर किसी मुद्दे पर अपनी बात रख सकता है।

3. भारत कई मुद्दों को लेकर G7 देशों से सहमत नहीं है। जैसे क्लाइमेट चेंज और बिजनेस-ट्रेड। ऐसे में G7 की बैठक में शामिल होकर हम विकासशील देशों का नजरिया G7 के अमीर देशों के सामने रख सकते हैं। हालांकि भारत का रोल डिसीजन मेकिंग में काफी लिमिटेड है।

वहीं, G7 के देश भी भारत की कई बातों से सहमत नहीं है। जैसे हमारे वर्करों को फ्री वीजा इश्यू करना। भारत G7 देशों के दूसरे देशों में सत्ता पलटने और दखलअंदाजी की पॉलिसी से सहमति नहीं रखता है।

UN में फैसला हुए बिना ही ये देश दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देते हैं, इससे भारत सहमत नहीं है। वो गेस्ट के रूप में भारत बुलाते हैं तो इन मामलों में हम अपना पक्ष रख पाते हैं।

भारत इंटरनेशल लॉ का पालन करता है। दुनिया के देशों का चीन के मुकाबले भारत पर भरोसा करना ज्यादा आसान है। उन्हें लगता है भारत को अपने पक्ष में रखना जरूरी है।

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