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4 April 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

1.सिक्किम के नाथू ला बॉर्डर इलाके में भारी हिमस्खलन, 7 लोगों की मौत, 22 पर्यटकों को किया गया रेस्क्यू

सिक्किम के नाथू ला (Nathu La) में बॉर्डर इलाके में मंगलवार (4 अप्रैल) को भारी हिमस्खलन हुआ है. इस घटना में 7 पर्यटकों की मौत हो गई है और 11 घायल हुए हैं. करीब 80 पर्यटकों के फंसे होने की आशंका है. सेना के अधिकारियों ने ये जानकारी दी. मृतकों में चार पुरुष, एक महिला और एक बच्चा शामिल है. हिमस्खलन (Avalanche) के बाद गंगटोक को नाथू ला से जोड़ने वाले 15वें मील जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर बचाव अभियान जारी है.

सेना के अधिकारियों ने बताया कि बर्फ में फंसे 27 पर्यटकों को रेस्क्यू किया गया था. उन्हें गंगटोक के एसटीएनएम अस्पताल और सेंट्रल रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया. इनमें से सात लोगों की मौत हो गई. सड़क से बर्फ हटाने के बाद 350 पर्यटकों और 80 वाहनों को बचाया गया.

भारत-चीन सीमा के पास हुआ हिमस्खलन 

हिमस्खलन दोपहर करीब 12 बजे भारत-चीन सीमा के पास स्थित एक ऊंचे पहाड़ी दर्रे नाथू ला के पास हुआ. पहाड़ी दर्रा समुद्र तल से 4,310 मीटर (14,140 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. 

"पर्यटक बिना अनुमति के 15वें मील की ओर गए"

चेकपोस्ट के महानिरीक्षक सोनम तेनजिंग भूटिया ने बताया कि पास केवल 13वें मील के लिए जारी किए जाते हैं, लेकिन पर्यटक बिना अनुमति के 15वें मील की ओर जा रहे हैं. ये घटना 15वें मील में हुई. फिलहाल सिक्किम पुलिस, सिक्किम के ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन, पर्यटन विभाग के अधिकारियों और वाहन चालकों की ओर से बचाव अभियान चलाया जा रहा है.

2.  केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन के लिए अहम अपडेट

केंद्रीय विद्यालयों में फर्स्ट क्लास में एडमिशन शुरू होने के बाद अब दूसरी से 10वीं कक्षा में दाखिले की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सेकेंड से लेकर दसवीं तक की कक्षा के लिए एडमिशन प्रक्रिया बीते दिन यानी कि 03 अप्रैल, 2023 से शुरू कर दी है। इन कक्षाओं में प्रवेश के लिए स्टूडेंट्स के पैरेंट्स को उनके नजदीकी केंद्रीय विद्यालय में जाकर संपर्क करना होगा। वहीं, इन कक्षाओं में प्रवेश लेने की अंतिम तिथि 12 अप्रैल, 2023 तक है। इसके बाद कोई आवेदन पत्र स्वीकार नहीं होगा। दूसरी से दसवीं तक की कक्षा में अपने बच्चे का केवीएस स्कूलों में प्रवेश कराने का सोच रहे पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे इन तिथियों में अप्लाई कर दें। आवेदन करते वक्त कुछ नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। 

आइए जानते हैं क्या हैं ये नियम

ये हैं आयु से जुड़े नियम  

- दूसरी कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे की न्यूनतम 7 वर्ष और अधिकतम 9 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

- तीसरी कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे की न्यूनतम 7 वर्ष और अधिकतम 9 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

- चौथी कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे कीन्यूनतम 8 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

-पांचवी कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम 9 वर्ष और अधिकतम 11 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

-छठवीं कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम 10 वर्ष और अधिकतम 12 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

अप्लाई करते वक्त ध्यान रखें ये बातें 

केवीएस स्कूलों में सेकेंड से 10वीं क्लास में एडमिशन कराने के लिए पैरेंट्स को आवेदन फॉर्म केंद्रीय विद्यालयों से ही प्राप्त होंगे। आधिकारिक सूचना के अनुसार, यह फॉर्म निशुल्क होंगे। अभिभावकों को इसे पूरी सावधानी के साथ भरकर स्कूलों में 12 अप्रैल, 2023 से पहले जमा करना होगा।  

3. शिरडी साईं बाबा पर बयान देकर फंसे बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री, मुंबई पुलिस ने दर्ज की शिकायत

बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के शिरडी के साईं बाबा पर दिए बयान को लेकर मुंबई पुलिस में शिकायत की गई है. शिकायत में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है.

बागेश्वर धाम सरकार के खिलाफ ये शिकायत मुंबई के बांद्रा पुलिस में शिकायत की गई है. शिकायत में शिवसेना (उद्धव गुट) युवा सेना के नेता और शिरडी साईं संस्थान के पूर्व ट्रस्टी राहुल कनाल ने धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था.

4.ब्रह्मास्त्र के सीक्वल की रिलीज डेट की हुई घोषणा

सितंबर 2022 में रिलीज हुई रणबीर कपूर-आलिया भट्ट की 'ब्रह्मास्त्र' को ऑडियंस का जबरदस्त रिस्पांस मिला। यह लोगों के प्यार का ही कमाल रहा कि मूवी ने चंद दिनों में ही 100 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली। 'ब्रह्मास्त्र' की ब्लॉकबस्टर सक्सेस के बाद डायरेक्टर अयान मुखर्जी जल्द ही इस फिल्म का दूसरा और तीसरा पार्ट लेकर हाजिर होने वाले हैं। उन्होंने रिलीज डेट का ऐलान कर दिया है।

अयान मुखर्जी बनाएंगे 'ब्रह्मास्त्र' का सीक्वल

अयान मुखर्जी ने मंगलवार को 'ब्रह्मास्त्र' के सीक्वल पर अपडेट शेयर की। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसमें बताया कि 'ब्रह्मास्त्र' के सीक्वल की शूटिंग एक साथ होगी। सीक्वल दो पार्ट्स में बनेगा, लेकिन दोनों को अलग-अलग समय पर रिलीज किया जाएगा। हालांकि, दोनों की रिलीज डेट में लंबा गैप नहीं होगा।

एक साथ होगी 'ब्रह्मास्त्र' के सीक्वल की शूटिंग

उन्होंने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया, 'ब्रह्मास्त्र: अस्त्रावर्स पर बात करने का समय आ गया है। पार्ट वन पर मिले लोगों के प्यार के बाद मैं पार्ट टू और थ्री को बनाने पर फोकस कर रहा हूं, जो कि मैं जानता हूं कि पार्ट वन से ज्यादा बड़ा और महात्वाकांक्षी होगा। हमने तय किया है कि दोनों सीक्वल की शूटिंग एक साथ होगी, लेकिन उन्हें अलग-अलग समय पर रिलीज किया जाएगा।' इसी के साथ उन्होंने एक और मूवी को भी डायरेक्ट करने की जानकारी शेयर की। हालांकि, इस फिल्म के टाइटल का खुलासा नहीं किया गया है।

5.  कानूनी लड़ाई में क्यों पिछड़ी कांग्रेस, लीगल सेल पर क्यों उठ रहे सवाल?

मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से मिली सजा के बाद कांग्रेस लीगल सेल पर सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने भी लीगल टीम पर मजबूती से केस नहीं लड़ने को लेकर नाराजगी जाहिर की थी. 2017 में कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं पर राजनीतिक एक्शन को देखते हुए इस सेल का गठन किया था. 

6 साल बाद भी लीगल सेल पूरे देश में जिला स्तर पर एक्टिव नहीं हो पाई है. राष्ट्रीय स्तर पर भी पदाधिकारी सक्रिय नहीं हैं. लीगल सेल के चेयरमैन विवेक तन्खा 2019 और 2021 में अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं. तन्खा सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील हैं और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद हैं. 

2021 में कांग्रेस लीगल सेल से इस्तीफा देते हुए विवेक तन्खा ने कहा था कि लीगल सेल में नए लोगों को मौका देने के लिए मैंने यह कदम उठाया है. सोनिया गांधी जी ने मेरा इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है. उन्होंने इस्तीफा देते हुए 4 पन्नों की एक चिट्ठी लिखी थी. हालांकि, कांग्रेस के वेबसाइट पर अब भी विवेक तन्खा ही लीगल सेल के अध्यक्ष हैं. 

राहुल गांधी मानहानि केस को लेकर कांग्रेस ने रणनीति बदल ली है और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के नेतृत्व में एक टीम केस की पैरवी करेगी. इसमें वरिष्ठ वकील आरएस चीमा, वकील किरीट पनवाल और वकील तरन्नुम चीमा शामिल हैं. कांग्रेस ने केस की मेरिट पर सवाल उठाया है और केस को खारिज करने की मांग की है.

2017 में लीगल सेल का किया गया था पुनर्गठन

2017 में राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से पहले कांग्रेस ने कानूनी प्रकोष्ठ का पुनर्गठन किया था. उस वक्त इस प्रकोष्ठ के साथ आरटीआई को भी जोड़ा गया था. मकसद था कि आरटीआई का उपयोग कर बड़े-बड़े मुद्दे को उजागर करना. 

लेकिन पिछले 6 साल से कानूनी प्रकोष्ठ यह करने में विफल रही. इतना ही नहीं, जमीन तक संगठन का विस्तार भी ठीक ढंग से नहीं हो पाया. कांग्रेस का विधि प्रकोष्ठ सोशल मीडिया पर भी एक्टिव नहीं है. 

कानूनी प्रकोष्ठ की जरूरत क्यों, 3 वजह...

1. पार्टी कार्यकर्ताओं को राजनीतिक एक्शन से बचाना- किसी मसले पर सरकार के खिलाफ जब विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ता विरोध-प्रदर्शन करते हैं तो पुलिस की ओर से उन पर राजनीतिक केस लाद दिया जाता है. कानूनी प्रकोष्ठ उसी केस से कार्यकर्ताओं को बचाने का काम करती है.

कानूनी प्रकोष्ठ जमानत दिलाने से लेकर राजनीतिक केसों में बरी कराने तक का काम करती है. कांग्रेस ने जिला स्तर पर इसकी संरचना तैयार करने के लिए ही 2017 में इस प्रकोष्ठ का पुनर्गठन किया था.

2. अपने नेता के खिलाफ अफवाह पर कानूनी एक्शन लेना- पार्टी नेता के खिलाफ अगर कोई अफवाह फैलाता है या राजनीतिक द्वेष के लिए गलत बयानी करता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई करने का काम लीगल सेल का होता है. 

लीगल सेल पहले नोटिस भेजती है और फिर उस पर आगे की कार्रवाई करती है, लेकिन कांग्रेस लीगल सेल अब तक यह करने में असफल रही है. कई मौकों पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी को लेकर अफवाह फैलाई गई, लेकिन सेल कोई एक्शन नहीं ले पाई. 

2022 में ईडी की जांच के बीच विवेक तन्खा ने गृहमंत्री और वित्त मंत्री को एक नोटिस जरूर भेजा था, लेकिन उस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो पाई थी. 

3. चुनाव में मदद करना, ताकि पर्चा खारिज न हो- चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के नामांकन की देखरेख लीगल सेल के जिम्मे होता है. लीगल सेल कानूनी वैधता की जांच कर प्रत्याशियों का पर्चा दाखिल करवाने का काम करता है. 

चुनाव आयोग में जब भी कोई शिकायत दर्ज करानी होती है तो लीगल सेल के लोग ही राजनेता के साथ जाते हैं, जिससे धांधली पर लगाम लगाया जा सके. यानी निष्पक्ष चुनाव कराने में अगर कोई गड़बड़ी हो रही हो तो वहां कानूनी प्रकोष्ठ की भूमिका बड़ी हो जाती है. 

मुख्य कांग्रेस से ज्यादा एक्टिव युवा कांग्रेस का लीगल सेल

दिलचस्प बात है कि मुख्य कांग्रेस से ज्यादा एक्टिव युवा कांग्रेस का लीगल सेल है. देश से लेकर कई राज्यों के जिला स्तर तक पर युवा कांग्रेस का लीगल सेल एक्टिव है. अफवाह फैलाने के कई मामलों में युवा कांग्रेस का लीगल सेल सत्ताधारी नेताओं और पत्रकारों को नोटिस तक भेज चुका है.

युवा कांग्रेस का लीगल सेल सोशल मीडिया पर भी एक्टिव है. हाल ही में इंदिरा गांधी के खिलाफ फेक न्यूज फैलाने वाले एक पत्रिका पर युवा कांग्रेस का लीगल सेल ने कानूनी एक्शन लिया था. 

वकीलों की पार्टी में कानूनी प्रकोष्ठ निष्क्रिय क्यों?

मनमोहन सरकार के वक्त कांग्रेस को वकीलों की पार्टी कहा जाता था. सरकारी फैसलों में वकील से राजनेता बने लोगों का दबदबा होता था. सरकार और पार्टी में बड़े-बड़े वकीलों की तूती बोलती थी. मगर सत्ता जाने के बाद 9 साल में ही कांग्रेस कानूनी मोर्चे पर फिसलने लगी है. आखिर वजह क्या है, इसे विस्तार से जानेंगे, लेकिन पहले जानते हैं किन वकीलों को मनमोहन सरकार में खास तवज्जो मिली?

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