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12 March 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The

 1.चाइनीज सीसीटीवी कैमरे अमेरिका सहित कई देशों में बैन, अब भारत में भी उठी प्रतिबंध की मांग

भारत में बड़े पैमान पर चाइनीज सीसीटीवी कैमरों का इस्‍तेमाल होता है. अब इन सीसीटीवी पर भारत में बैन लगाने की मांग की जा रही है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र भेजकर चीनी सीसीटीवी सिस्टम को राष्ट्र की सुरक्षा के लिए संभावित खतरा बताते हुए इसके उपयोग पर देश भर में प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है. कैट का कहना है कि चीनी सीसीटीवी प्रणाली किसी भी डाटा को देश से बाहर सथानांतरित करने में सक्षम है. पहले जिस तरह सरकार ने चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था उसी तरह देश में चीनी सीसीटीवी के उपयोग को भी बंद करे.

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि फिलहाल देश में जो भी डेटा संरक्षण कानून या निगरानी तंत्र है उसमें चीनी सीसीटीवी सिस्टम द्वारा इकठ्ठा किए गए डेटा या सूचना को दुनिया में कहीं भी आसानी से भेजा जा सकता है. चूंकि सीसीटीवी नेटवर्क में इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) कैमरों का उपयोग किया जाता है और सीसीटीवी सिस्टम की इंटरनेट संचालित डिजिटल वीडियो रिकॉर्डिंग (डीवीआर) के जरिए डाटा को कहीं भी भेजा जा सकता है जो कि सुरक्षा के लिए एक खतरा बना रहेगा.

चीनी सरकार के नियंत्रण में भारत के कैमरे

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि भारत में बड़ी संख्या में चीनी मूल के सीसीटीवी कैमरों का उपयोग किया जाता है जो या तो चीनी सरकार द्वारा नियंत्रित हैं या आंशिक रूप से स्वामित्व में हैं. वहीं चीन के कानून के मुताबिक हर व्यक्ति सरकार द्वारा कभी भी मांगे जाने पर सरकार की मदद करने के लिए मजबूर है. इसी के चलते पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में चीनी सीसीटीवी के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है.

2. पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक को लेकर केंद्र ने भगवंत सरकार को लिखी चिट्ठी

बीते साल 5 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा में चूक हुई थी. इस मामले पर केंद्र सरकार ने अब पंजाब सरकार से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. दरअसल, पीएम की सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में हो रही देरी को लेकर केंद्र ने राज्य सरकार से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है. इस मामले को लेकर गृह सचिव ने मुख्य सचिव से बात भी की है.पीएम की सुरक्षा में चूक के मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 5 सदस्यों की एक कमेटी गठित की थी जिसकी अगुवाई रिटायर्ड जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने की. जांच कमेटी को रिपोर्ट पेश किए हुए 6 महीने हो चुके हैं. इस रिपोर्ट में राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी, पुलिस प्रमुख एस चट्टोपाध्याय और दूसरे टॉप के अधिकारियों को पीएम की सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. इसके बाद, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पंजाब के मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ से कार्रवाई की रिपोर्ट जमा करने को कहा था. 

क्या था रिपोर्ट में?

इस रिपोर्ट में पंजाब पुलिस के अधिकारियों पर लापरवाही भरे रवैये का आरोप लगाया गया था और इस घटना को योजना और तालमेल में भारी विफलता के रूप में बताया गया. यहां ये जान लेना जरूरी है कि जिस समय पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया था उस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री थे.

क्या था मामला?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला पंजाब के फिरोजपुर में पिछले साल 5 जनवरी को हुसैनीवाला में एक फ्लाईओवर पर 15-20 मिनट तक फंस गया था. प्रधानमंत्री फिरोजपुर में रैली के लिए जा रहे थे, जहां चुनाव के मद्देनजर उन्हें 42000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की लागत के कई प्रोजेक्ट्स की आधारशिला रखनी थी, लेकिन उनकी रैली को स्थगित करना पड़ा था. प्रधानमंत्री का काफिला राष्ट्रीय शहीद स्मारक से 30 किलोमीटर दूर हुसैनीवाला से गुजर रहा था, जहां फ्लाईओवर पर कुछ प्रदर्शनकारी विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे और फ्लाईओवर को जाम कर दिया था.

3. ‘टायर फटना एक्ट ऑफ गॉड नहीं’, मुंबई कोर्ट ने बीमा कंपनी को मुआवजा देने का दिया आदेश

मुंबई में सड़क दुर्घटना के एक मामले पर सुनवाई करते हुए मुंबई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि टायर फटना एक्ट ऑफ गॉड नहीं, बल्कि मानवीय लापरवाही है. एक बीमा कंपनी ने रोड एक्सीडेंट में मारे गए शख्स के परिवार को मुआवजा देने के खिलाफ एक याचिका डाली थी. इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.जस्टिस एसजी डिगे की एकल पीठ ने 17 फरवरी के अपने आदेश में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की मोटर एक्सिडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल के 2016 के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया. इसमें पीड़ित मकरंद पटवर्धन के परिवार को 1.25 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था. 25 अक्टूबर, 2010 को पटवर्धन अपने दो साथियों के साथ पुणे से मुंबई कार में आ रहे थे. इसी दौरान कार के पिछले पहिए का टायर फट गया और कार एक खाई में जा गिरी. इस हादसे में पटवर्धन की मौके पर ही मौत हो गई.

क्या कहा था बीमा कंपनी ने?

ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि पीड़ित अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति था. वहीं, बीमा कंपनी ने अपनी अपील में कहा था कि मुआवजे की राशि हद से ज्यादा है और टायर फटना एक्ट ऑफ गॉड है न कि ड्राइवर की लापरवाही का नतीजा. वहीं, हाईकोर्ट ने इस अपील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि एक्ट ऑफ गॉड का डिक्शनरी में अर्थ संचालन में बेकाबू प्राकृतिक शक्तियों का एक उदाहरण है. इस घटना में टायर फटने को ईश्वर का कार्य नहीं कहा जा सकता. ये मानवीय लापरवाही है.

4. फिर से शुरू हुआ कोरोना संकट! 113 दिन बाद सामने आए सबसे ज्यादा मामले

भारत में एक बार फिर से कोरोना के मामलों में उछाल देखा गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक रविवार (12 मार्च) को देश भर में कोरोना के 524 मामले दर्ज किए गए. 113 दिनों के बाद इतनी ज्यादा संख्या में मामले
रिपोर्ट किए गए हैं. एक्टिव मामलों की संख्या अब बढ़कर 3,618 हो गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि केरल में कोरोना से एक मरीज की मौत हो गई जिसके बाद कुल मरने वालों की संख्या बढ़कर 5,30,781 पर पहुंच गई है. संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 4.46 करोड़ (4,46,90,492) हो गई है. 98.80 प्रतिशत लोग कोरोना से रिकवर हो चुके हैं. इस बीमारी से उबरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4,41,56,093 हो गई है जबकि डेथ रेट 1.19 प्रतिशत दर्ज किया गया है. 

केंद्र ने बढ़ते मामलों पर जताई चिंता 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Ministry of Health) की वेबसाइट के अनुसार, देशव्यापी कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) अभियान के तहत अभी तक 220.64 करोड़ डोज दी जा चुकी हैं. केंद्र ने शनिवार को कुछ राज्यों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट (Corona Positivity Rate) में क्रमिक वृद्धि पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि इसे तुरंत कंट्रोल करने की जरूरत है. प्रशासन को पहले से ही अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया है. 

केंद्र की स्वास्थ्य विभाग से अपील 

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने स्वास्थ्य विभाग से अस्पतालों की तैयारियों का जायजा लेने का अनुरोध किया. दवाओं और मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता, और कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा के खिलाफ वैक्सीनेशन को बढ़ाने पर भी जोर दिया. स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि सतर्क रहने और टेस्टिंग की सबसे ज्यादा जरूरत है. उन्होंने कहा कि कोरोना से बचाव के हर उपाए को करने की कोशिश करें. 

5. क्या है अल नीनो और ला नीना, जिसकी वजह से भारत में पड़ रही है भयंकर गर्मी

मौसम विभाग की मानें तो इस साल 2024 का फरवरी महीना, 122 सालों में सबसे गर्म महीना रहा है. वहीं अप्रैल- मई के महीने में भीषण गर्मी पड़ने वाली है. इस रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा बल्कि देश के कई हिस्सों में सूखे की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है. हाल ही में इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट चेंज स्टडीज के डायरेक्टर डीएस पई ने आने वाले गर्मी को लेकर दिए चेतावनी में कहा, 'अल नीनो मौसमी घटना के कारण इस साल मानसून की बारिश काफी कम रहने की संभावना है.' 

हम अक्सर मौसम के जुड़ी खबरों में अल नीनो और ला नीना का जिक्र जरूर सुनते हैं. ऐसे में सवाल उठता कि आखिर ये अल नीनो और ला नीनो है क्या? और इन दोनों का हमारे देश के मौसम पर किस तरह असर पड़ता है?

अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टीट्यूट के अनुसार इन दोनों टर्म का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में होने वाले बदलावों से है, इस तापमान का असर पूरी दुनिया के मौसम पर पड़ता है. एक तरफ अल नीनो है जिसके कारण तापमान गर्म होता है तो वहीं ला नीना के कारण तापमान ठंडा. 

क्या है अल नीनो 

प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल-नीनो कहा जाता है. आसान भाषा में समझे तो समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्री घटना को अल नीनो का नाम दिया गया है.  इस बदलाव की वजह से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा हो जाता है. 

अल नीनो का मौसम पर क्या पड़ता है असर 

अल नीनो के कारण प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है यानी गर्म हो जाता है. इस गर्मी की वजह से समुद्र में चल रही हवाओं के रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आ जाते हैं. इस परिवर्तन के कारण मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है.

अल नीनो का असर दुनिया भर में महसूस किया जाता है. जिसके कारण बारिश, ठंड, गर्मी सब में अंतर दिखाई देता है. अब मौसम के बदल जाने के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है. 

जिस साल अल नीनो की सक्रियता बढ़ती है, उस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून पर इसका असर पड़ता है. जिससे धरती के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा होती है तो कुछ हिस्सों में सूखे की गंभीर स्थिति सामने आती है. 

हालांकि कभी-कभी इसके सकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं, उदाहरण के तौर पर अल नीनो के कारण अटलांटिक महासागर में तूफान की घटनाओं में कमी आती है.

ला नीना क्या है?

ला नीना का स्पेनिश मतलब है 'छोटी लड़की'.  इसे कभी-कभी अल विएखो, एंटी-अल नीनो या "एक शीत घटना" भी कहा जाता है. यह स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने से पैदा होती है. ला नीनो बनने के कई अलग-अलग कारण माने जाते हैं लेकिन सबसे मशहूर कारण है, जब ट्रेड विंड, पूर्व से बहने वाली हवा काफी तेज गति से बहती हैं तो समुद्री की सतह का टेम्प्रेचर गिरने लगता है. इस कम होते तापमान को ही ला नीनो कहते हैं. इस स्थिति का पैदा होना पूरी दुनिया के तापमान पर असर डालता है और इसके कारण उस वर्ष तापमान औसत से ज्यादा ठंडा हो जाता है. 

ला नीना का मौसम पर असर

इसके असर दुनियाभर में आने वाले साइक्लोन पर असर होता है. ये अपनी गति के साथ उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की दिशा को बदल सकती है. जिसके कारण दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में बहुत ज्यादा नमी वाली स्थिति पैदा होती है. ला नीनो के कारण इंडोनेशिया और उसके आसपास के क्षेत्र में भारी वर्षा हो सकती है. जबकि इक्वाडोर और पेरू में सूखा पड़ सकता है. ला नीनो ही ऑस्ट्रेलिया में बाढ़ लाने की वजह होती है. और इसके कारण उत्तर-पश्चिम में मौसम ठंडा और दक्षिण-पूर्व में मौसम गर्म होता है. 

ला नीना के कारण उत्तरी यूरोप खासतौर पर ब्रिटेन में कम सर्दी और दक्षिणी/पश्चिमी यूरोप में ज्यादा सर्दी पड़ती है जिसके कारण भूमध्यसागरीय क्षेत्र में बर्फबारी होती है.

अल नीनो और ला नीनो का भारत पर क्या होगा असर?

मौसम वैज्ञानिक इस साल यानी 2024 अल नीनो के प्रभाव की चेतावनी दे रहे हैं, यह भारत के लिए बिल्कुल ही अच्छी  खबर नहीं है. क्योंकि एक तरफ जहां भारत की ज्यादातर आबादी अपनी जिंदगी जीने के लिए कृषि पर निर्भर है. वहीं अगर अल नीनो का प्रभाव पड़ता है तो इस साल लोगों को रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की मार झेलनी पड़ सकती है.

भारत में अल-नीनो के कारण सूखे की स्थिति पैदा होती है. कई राज्यों में लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है. सूखे के कारण क्षेत्र में जलापूर्ति का संकट उत्पन्न होता है, क्योंकि गर्मी से जलाशय सूख जाते हैं और नदियों में भी पानी की कमी होती है. कृषि जो कि सिंचाई जल पर निर्भर होती है, पर भी संकट उत्पन्न होता है. वहीं भारत में ला नीनो के कारण  भयंकर ठंड पड़ती है और बारिश भी ठीक-ठाक होती है.


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