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7 June 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1. खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मिले रेसलर: रखीं 5 मांगें


रेसलर बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक बुधवार को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात करने पहुंचे। दोनों ने अनुराग ठाकुर के सामने 5 मांगें रखीं। बजरंग और साक्षी ने कहा कि रेसलिंग फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण को गिरफ्तार किया जाए और फेडरेशन का अध्यक्ष किसी महिला को बनाया जाए।

अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को कहा था कि सरकार पहलवानों से बातचीत के लिए तैयार है। हमने उन्हें दोबारा बुलाया है। इससे पहले 24 जनवरी को खेल मंत्री और पहलवानों के बीच बातचीत हुई थी और पहलवानों ने आंदोलन खत्म कर दिया था।

हाल ही में 4 जून को रेसलर्स ने गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। इसके बाद बजरंग, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने रेलवे में अपनी ड्यूटी जॉइन कर ली थी। इससे खाप और किसान नेता नाराज थे।

रेसलर्स की 5 मांगें

1. WFI का अध्यक्ष महिला हो

2. बृजभूषण या उनकी फैमिली का कोई मेंबर WFI का हिस्सा न रहे

3. WFI के चुनाव निष्पक्ष तरीके से कराए जाएं

4. रेसलर्स पर दिल्ली में दंगा फैलाने की FIR रद्द हो

5. बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार किया जाए


महिला पहलवानों के आंदोलन को लेकर गांव में बलाली (चरखी दादरी) में सर्व खाप महापंचायत शुरू ।

बृजभूषण शरण सिंह बुधवार सुबह दिल्ली पहुंचे। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को उनके 15 कर्मचारियों से पूछताछ की। इनमें ड्राइवर, सुरक्षाकर्मी, माली और नौकर भी शामिल थे।

बजरंग पूनिया ने मंगलवार को कहा था कि गृहमंत्री अमित शाह से मीटिंग की बातें बाहर शेयर नहीं करने का निर्देश है। धरना जारी रहेगा।

यह फोटो 24 जनवरी की है। तब खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और रेसलर्स के बीच पहली बार बातचीत हुई थी। इसके बाद रेसलर्स ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया था।

यह फोटो 24 जनवरी की है। तब खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और रेसलर्स के बीच पहली बार बातचीत हुई थी। इसके बाद रेसलर्स ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया था।

राकेश टिकैत बोले- हमने पहले ही कहा था बातचीत हो

करनाल पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा, ''पहलवानों की गृह मंत्री से मीटिंग हुई। आज खेल मंत्री से मिल रहे हैं। हम पहले से कह रहे थे कि बातचीत होनी चाहिए। महिला रेसलर्स और किसानों का सरकार पर दबाव था। हम पहलवानों के हक में हैं। सारे सवाल पहलवानों से पूछे जा रहे, जिस पर आरोप लगे, उसकी जांच होनी चाहिए। बृजभूषण पर कानून के मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए।''

पहलवानों के विरोध में नहीं हैं खापें

आंदोलन से पीछे हटने की खबरों के बीच खाप प्रधानों ने ऐलान किया है कि वे अभी भी उनके साथ हैं। पीछे नहीं हटे हैं। मंगलवार को भी विभिन्न खाप पंचायतों के प्रधानों ने दैनिक भास्कर से कहा कि निश्चित तौर पर एक बार लगा था कि संघर्ष कहीं बिना ठोस परिणाम के समाप्त न हो जाए, लेकिन पहलवानों से बातचीत के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है।

2.  प्लास्टिक के कंटेनर में क्या खाना स्टोर करना खतरनाक है?



आजकल के मॉर्डन लाइफस्टाइल में फ्रिज में बचा हुआ खाना स्टोर करना आम बात हो गई है. ऑफिस गोइंग लोग तो जानकर एक्सट्रा खाना बना लेते हैं ताकि उन्हें अगले दिन सुविधा हो. लेकिन हमारा सबसे बड़ा सवाल यह है कि बचे हुए खाने को हम फ्रिज में स्टोर करते तो हैं. लेकिन क्या प्लास्टिक के बर्तन में खाना रखना ठीक है? कई लोग तो किचन के बर्तन ही फ्रिज में रख देते हैं. वहीं कुछ लोग ग्लास के बर्तन का यूज करते हैं. लेकिन आज हम बात कर रहे हैं वैसे लोगों के बारे में जो बचे हुए खाने को प्लास्टिक के बर्तन में स्टोर करते हैं. प्लास्टिक ऐसी चीज है जिसमें हम आराम से यूज करते हैं और सबसे अच्छी बात यह है कि टूटने-फुटने का कोई डर भी नहीं रहता है. 

प्लास्टिक का कंटेनर फ्रिज में रखना सुरक्षित है?

फ्रिज में रखने के लिए हम ऐसे बर्तन का यूज करते हैं जो सुरक्षित हो यानि टूटने का डर न रहे. लेकिन क्या हेल्थ के हिसाब से प्लास्टिक सुरक्षित है. प्लास्टिक को लेकर अक्सर एक बात कही जाती है कि इसमें खाना पकाने, या गर्म करने, रेफ्रिजरेट करना या स्टोर करना अच्छा नहीं माना जाता है. आज के समय में प्लास्टिक माइक्रेवेव और ओवन के हिसाब से सेव माना जाता है लेकिन हेल्थ के हिसाब से सुरक्षित नहीं है. ऐसे में आप प्लास्टिक के बर्तन में खाना पैक करने के बजाय एलुमिनियम फॉइल का इस्तेमाल कर सकते हैं. 

पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट


मार्केट में मिलने वाले पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट प्लास्टिक कंटेनर सबसे अच्छा माना जाता है. इस प्लास्टिक के बर्तन को पानी से साफ करके दोबार यूज किया जा सकता है. लेकिन इसे बार-बार धोने से इसमें पाए जाने वाले केमिकल खाना या पानी में मिल जाते हैं. ऐसे में बर्तन में किसी भी तरह की दिक्कत हो जाए तो उसे समय रहते हैं फेंक दें और यूज न करें. 

बायो प्लास्टिक का करें इस्तेमाल

अगर आपको बचा हुआ खाना स्टोर ही करना है तो बायो प्लास्टिक का इस्तेमाल करें. बायो प्लास्टिक का इस्तेमाल प्लास्टिक के कप, प्लेट बनाने के लिए यूज किया जाता है. इसे बनाने के लिए मकई, आलू, गन्ना का उपयोग किया जाता है. 

3. क्या है किसानों को मिलने वाली MSP, कैसे तय होता है फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य

अगर आपको याद हो तो देश में 2020 से 2021 तक पूरे एक साल तक किसानों ने सरकार के विरोध में आंदोलन चलाया था। यह आंदोलन किसान आंदोलन के नाम से काफी प्रचलित हुआ था। यह आंदोलन एक साल तक सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए लड़ा गया था।

उपर-उपर से शायद सभी एमएसपी के बारे में सभी जानते होंगे, लेकिन आज हम इसी के बारें में आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं। जिसके बाद आपके इसे समझने में कोई भी कठीनाई नहीं होगी।

क्या है MSP?

सरल भाषा में कहें तो सरकार, किसानों द्वारा उगाए गए फसल के लिए एक दाम तय करती है, जिसे फसल पूरा होने के बाद जब किसान उस फसल को मंडी में बेचता है तो सरकार द्वारा उस फसल के लिए तय की हुई कीमत किसान को दी जाती है।

MSP की शुरुआत आजादी के बाद हुई थी। दरअसल देश में अकाल और खाद्य संकट से देश के किसान परेशान थे। किसानों को इस संकट से बचाने के लिए एमएसपी की शुरुआत की गई थी।

किसानों को MSP से क्या फायदा?

एमएसपी सरकार द्वारा किसानों को दिया जाने वाला एक आर्थिक भरोसा है जिससे किसानों को फसल उगाने से पहले उसकी कीमत का अंदाजा हो जाता है कि उसे इस फसल की कितनी कीमत मिलेगी। अकसर ऐसा होता था कि किसान ने फसल तैयार की लेकिन बाजार में उसकी मांग नहीं होने की वजह से किसान को उस फसल का सही दाम नहीं मिलता था, कभी-कभी तो किसान की फसल उगाने में लगी लागत भी नहीं निकलती थी।

मांग और सप्लाई को आसान बनाने के लिए किसान के फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है ताकि कुछ भी हो उस किसान को उस फसल के लिए कम से कम इतनी रकम तो मिलेगी ही।

कानूनी रूप से बाध्य नहीं है सरकार

आपको बता दें कि सरकार कानूनी रूप से किसानों को MSP देने के लिए बाध्य नहीं है। आसान भाषा में कहें तो देश में एमएसपी को लेकर कोई कानून नहीं है। इसलिए कल को किसान, सरकार को एमएसपी के लिए कोर्ट में नहीं घसिट सकते। सरकार चाहें तो किसानों को एमएसपी दें या फिर ना दे।

कौन तय करता है फसलों की MSP?

केंद्र सरकार की कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) हर साल रबी और खरीफ फसलों के लिए MSP तय करती है।

CACP के द्वारा कि जाने वाली सिफारिशों के आधार पर ही सरकार हर साल 23 फसलों के लिए एमएसपी का ऐलान करती है।

कौन से हैं 23 अनाज?

इन 23 अनाजों में से 7 अनाज मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं, जौ और रागी होती हैं। 5 दालें, मूंग, अरहर, चना, उड़द और मसूर होती है।


7 तिलहन, सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम, मूंगफली, तोरिया-सरसों, और नाइजर बीज होती है और आखिरी 4 कमर्शियल फसलें, कपास, खोपरा, गन्ना और कच्चा जूट होता है।

4. तीन साल की सृष्टि को बचाने के लिए अब आर्मी संभालेगी मोर्चा


मध्य प्रदेश के सिहोर के मुगावली गांव में मंगलवार को दोपहर 1:15 बजे ढाई साल की सृष्टि पुत्री राहुल कुशवाह खेलते समय करीब 300 फीट गहरे बोरवेल के गड्ढे में गिर गई। बोरवेल में सृष्टि करीब 25 फीट अंदर फंसी गई। वहीं अब बच्ची 110 फीट पर पहुंच गई है। उसे बाहर निकालने के लिए पुलिस, प्रशासन और NDRF का अमला जुटा हुआ है। लेकिन अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। वहीं, प्रशासन अब आर्मी को बुलाने की तैयारी कर रहा है। 
बता दें कि मंगलवार दोपहर 2 बजे से सृष्टि को बोरवेल से निकालने के लिए चलाया गया रेस्क्यू लगातार 20 घंटे से अभी भी जारी है। अब तक 35 फीट समानांतर गड्ढा खोदा जा चुका है, लेकिन सुबह 8 बजे बताया गया कि सृष्टि खिसककर बोरवेल में 50 फीट नीचे पहुंच गई है, जिससे मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं, लेकिन NDRF की टीम बोरवेल में रॉड में कुंदे लगाकर बोरवेल में डालकर बच्ची को नीचे जाने से और खिसकने से रोकने का प्रयास कर रही है।

वहीं, बुधवार सुबह 8 बजे तक करीब 35 फीट तक खोदाई की जा चुकी थी। पूरी रात रेस्क्यू चला, लेकिन 12 फीट के बाद पत्थर आना शुरू हुआ, जिससे खोदाई में अधिक समय लग रहा है। मजबूत पत्थर को तोड़ने के लिए 380 और 220 क्षमता वाली 6 पोकलेन लगी हैं। जिला पंचायत सीईओ आशीष तिवारी का कहना है कि बच्ची में मूवमेंट नजर नहीं आ रहा है, लगातार रेस्क्यू जारी है।

सिलेंडर से दी जा रही ऑक्सीजन
मौके पर दो एंबुलेंस सहित पांच से अधिक बड़े ऑक्सीजन के सिलेंडर पहुंचे हैं जिनसे पाइप के माध्यम से बोरवेल में लगातार ऑक्सीजन सप्लाइ की जा रही है, जिससे सृष्टि को सांस लेने में तकलीफ न हो।

कैमरे में दिखा बच्ची का हाथ
बोर में गिरी बच्ची को देखने के लिए टॉर्च सहित कैमरे की मदद ली गई। DIG और SP ने स्क्रीन पर बच्ची की गतिविधि देखने का प्रयास किया, लेकिन स्क्रीन पर बच्ची का सिर्फ हाथ ही दिखाई दे रहा है।

दो घंटे में 20 फीट लंबा और 10 फीट गहरा हुआ गड्ढा
3 पोकलेन की मदद से जहां बोर के सामने गड्ढा करना शुरू किया तीन बजे से शुरू होकर पांच बजे तक 20 फीट लंबा और दस फीट गहरा गड्ढा किया, जिसके बाद मुरम आना शुरू हो गई। वहीं, 12 फीट गहराई पर पत्थर आ गया, जिसकी खोदाई के लिए हेमर और ब्रिक्स मशीन बुलाई गई है और बचाव कार्य जारी है।

5.'दिल्ली के आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा...' किसानों पर लाठीचार्ज के बाद भड़के राकेश टिकैत

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में फसल की कीमतों के उचित दामों को लेकर प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों किसानों पर लाठीचार्ज किया गया. सड़क पर प्रदर्शन करने बैठे किसानों को पुलिस ने जबरन हटा दिया और इस दौरान बल का भी इस्तेमाल हुआ. अब इस मामले पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बड़ा बयान दिया है. राकेश टिकैत ने इस लाठीचार्ज की निंदा की और कहा कि ये देश में एमएसपी पर पहला लाठीचार्ज है, अब दिल्ली के आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा. 

धरने को लेकर राकेश टिकैत का जवाब

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में चले किसान आंदोलन के बड़े चेहरे रहे राकेश टिकैत ने एक बार फिर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. कुरुक्षेत्र में हुए लाठीचार्ज को लेकर टिकैत ने कहा कि अगर लाठीचार्ज होगा तो जाम भी होगा. पहलवानों के धरने पर भी राकेश टिकैत ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि फिलहाल खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से बात हो रही है. इस मामले को लेकर धरना, पंचायतें और बैठक आगे भी चलती रहेगी. 

लाठीचार्ज के बाद बढ़ रहा गुस्सा

कुरुक्षेत्र में किसानों और पुलिस के बीच हुए बवाल और किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी की गिरफ्तारी के विरोध में आज भी हरियाणा में अलग-अलग जगह सड़कों को जाम किया जा रहा है. लाठीचार्ज से किसान गुस्से में हैं और हरियाणा सरकार की जमकर आलोचना हो रही है. इसके विरोध में सोनीपत के गन्नौर में भी किसानों ने गन्नौर शाहपुर रोड पर जाम लगा दिया, वहीं गोहाना में किसानों ने पानीपत रोहतक रोड को भेसवान गांव के पास जाम कर दिया. 

प्रदर्शन करने वाले तमाम किसान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं. किसान अपने नेता गुरनाम सिंह चढूनी की रिहाई की मांग कर रहे हैं. किसानों के जाम लगाने की सूचना मिलने के बाद सोनीपत पुलिस मौके पर पहुंची है, हालात को देखते हुए फिलहाल किसानों को समझाने की कोशिश की जा रही है. 

क्यों प्रदर्शन कर रहे थे किसान 

हरियाणा के कुरुक्षेत्र के शाहबाद में सैकड़ों किसान सूरजमुखी की फसल की एमएसपी को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. किसानों ने इसके लिए सड़क को जाम कर दिया और वहीं बैठ गए. इसके बाद हरियाणा पुलिस ने कार्रवाई शुरू की. किसानों को खदेड़ दिया दिया गया और इस दौरान जमकर लाठीचार्ज भी हुआ. वहीं कुछ किसान नेताओं को हिरासत में भी लिया गया. किसानों का कहना है कि सुरजमुखी की फसल का MSP ₹ 6,400 है, लेकिन किसान फसल को ₹4,000-4,500 में बेचने को मजबूर हैं. 

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