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4 JUNE 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1.  'शार्क टैंक इंडिया' की फिर होगी वापसी, ऐसे करें रजिस्ट्रेशन

अपने पिछले दो सीज़न की सफलता के बाद, 'शार्क टैंक इंडिया' अपने सीज़न 3 के साथ वापसी करने के लिए पूरी तरह तैयार है.  देश भर के एंटरप्रेन्योर्स अब टीवी शो में भाग लेकर अपनी सपनों की कंपनी को अगले लेवल पर ले जा सकते हैं. सीजन 3 का मजेदार प्रोमो भी हाल ही में रिलीज हुआ है. 

शार्क टैंक इंडिया 3 का प्रोमो हुआ रिलीज

शार्क टैंक इंडिया 3 का प्रोमो भी रिलीज हो गया है. इस प्रोमो में एक बिजनेसमैन को बिजनेसमैन टाइकून ऑफ द ईयर की ट्रॉफी मिलते दिखाई जाती है. इसके बाद वो बोलते हुए नजर आते हैं कि क्या था मेरे पास जब मैं घर छोड़कर आया था. शर्ट की जेब में एक फटा हुआ दस का नोट. पैंट की जेब में मुड़ा हुआ एक लाख का चेक. बैंक अकाउंट में पिताजी की दी हुई 50 लाख की फंडिंग. तपती धूप में दादाजी के हेलीकॉप्टर में एक क्लाइंट से दूसरे क्लाइंट के पास जाना. फूफा जी के दिलाए 10 करोड़ के सरकारी कॉन्ट्रैक्ट से गुजारा किया है मैंने. आज इतनी मुश्किलों के बावजूद. इसके बाद एक शख्स स्क्रीन पर आता है और कहता है कि अब आपके बिजनेस को पापा, नाना, फूफा की फंडिंग मिले या ना मिले पर शार्क टैंक इंडिया पर फंडिंग जरूर मिल सकती है. आ रहा है शार्क टैंक इंडिया 3 रजिस्ट्रेशन करें सोनी लिव पर.

शार्क टैंक इंडिया सीज़न 2 ने 103 बिजनेस में 80 करोड़ रुपये का चौंका देने वाला इन्वेस्टमेंट किया था.  ब्रेकथ्रू टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन से लेकर कटिंग-एज हेल्थकेयर इनोवेशन तक, इस शो में कुछ एक्सेपशनल पिचें देखी गईं और एंटरप्रेन्योरशिप की भावना का जश्न मनाया गया, जिससे स्टार्टअप्स को नई ऊंचाइयों पर ले जाया गया.

शार्क टैंक इंडिया सीज़न 3 का रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है

शार्क टैंक इंडिया सीज़न 3 का पंजीकरण जारी है. अपनी यूनिकनेस और पोटेंशियल को हाईलाइट करते हुए अपने बिजनेस के कैप्टिवेटिंग आइडिया का डिस्क्रिप्शन प्रोवाइड करें. अगर आपका आइडिया शार्क टैंक इंडिया टीम का अटेंशन कैच करता है तो आप नेक्स्ट स्पेट पर आगे बढ़ेंगे. 

कैसे कर सकते हैं शार्क टैंक इंडिया सीज़न 3  के लिए रजिस्ट्रएशन

शार्क टैंक इडिंया 3 के रजिस्ट्रेशन के लिए सोनी लिव एप डाउनलोड करना होगा.

इसके बाद एक फॉर्म में कुछ जानकारी मांगी जाएगी जिन्हें सही से भरना जरूरी है.

शो में पार्टिसिपेट करने वालो की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए और वह भारतीय नागरिक होना चाहिए.

अगले स्टेप में आपको तीन मिनट का एक वीडयो अपलोड करना होगा और ये बताना होगा कि आप क्यों अपने बिजनेस में इंवेस्टमेंट चाहते हैं.

इसके बाद अगले स्टेप में आपका ऑडिशन होगा. यहां आपको अपने आइडिया शार्क टैंक इंडिया की टीम के सामने रखने होंगे.

बता दें कि शार्क टैंक इंडिया का ऑडिशन राउंड दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और कोलकाता में होगा.  

सीजन 2 को किन शार्क्स ने किया था जज

सीज़न दो को शार्क्स विनीता सिंह, अमन गुप्ता, नमिता थापर, अमित जैन, पीयूष गोयल और अनुपम मित्तल ने जज किया था. सीजन खत्म होने के बाद जज अपने बिजनेस में काफी बिजी हो गए हैं. हाल ही में अमन गुप्ता और उनकी पत्नी पिया डागर ने कान्स फिल्म फेस्टिवल में डेब्यू किया. रेड कार्पेट आउटफिट्स में एंटरप्रेन्योर्स काफी स्टनिंग लग रहे थे. उन्होंने वहां दिग्गजों से भी मुलाकात की और शानदार समय बिताया.

अनुपम मित्तल की हाथ की हुई है सर्जरी

दूसरी ओर, नमिता थापर और उनके पति ने एक प्यारी सी शाम के लिए शार्क टैंक इंडिया के उद्यमियों को अपने प्लेस और ऑफिस में होस्ट किया और उनके बिजनेस और प्रॉफिट चेक पर चर्चा की. जबकि विनीता अपनी सर्फिंग और रनिंग में काफी बिजी हैं. अनुपम मित्तल के बारे में बात करतें तो उन्होंने हाथ की सर्जरी करवाई है और ठीक हो रहे हैं.

2. दुनिया में सिर्फ भारत में होगा ऐसा, फोन पर SMS के बाद जल्द ही TV और रेडियो पर मिलेगी खराब मौसम की चेतावनी

जल्द ही टेलीविजन स्क्रीन पर देश में खराब मौसम की घटनाओं के बारे में चेतावनी संदेश प्रसारित होंगे। यही नहीं, इस अलर्ट के लिए रास्ता बनाने को रेडियो पर चल रहे गानों को भी छोटा कर दिया जाएगा।राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए, NDMA) ने हाल ही में मोबाइल फोन पर एसएमएस भेजना शुरू किया है। इस एसएमएस में भारी वर्षा, आंधी एवं लू की जानकारी दी जा जा रही है।

अधिकारियों के अनुसार, अब यह सूचना टीवी, रेडियो और अन्य माध्यमों के लिए चेतावनी प्रणाली का विस्तार करने की योजना बनाई जा रही है। ऐसा इसलिए ताकि लोगों को तुरंत सूचित किया जा सके और खराब मौसम से निपटने के लिए उन्हें बेहतर तरीके से तैयार किया जा सके।

एनडीएमए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'एसएमएस प्रणाली इस परियोजना के पहले चरण का हिस्सा है। टीवी, रेडियो व अन्य माध्यमों को दूसरे चरण में शामिल किया जा रहा है, जिसे इस साल के अंत तक लागू किया जाएगा।'

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और संचार के सम्मिश्रण के साथ, एनडीएमए का उद्देश्य टेक्स्ट-आधारित चेतावनियों की सीमाओं को पार करना है। इससे पहले, एनडीएमए 'राष्ट्रीय आपदा चेतावनी पोर्टल' व "सचेत" नामक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से ऐसी प्रारंभिक चेतावनियां जारी करता था।

एजेंसी ने मौसम विभाग, केंद्रीय जल आयोग, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और भारतीय वन सर्वेक्षण, चेतावनी प्रसार एजेंसियों और राज्य सहित अलर्ट पैदा करने वाली एजेंसियों को एक साथ लाने के लिए "कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल आधारित इंटीग्रेटेड अलर्ट सिस्टम" की परिकल्पना की थी।

एनडीएमए के एक अन्य अधिकारी ने कहा, "यह दुनिया का सबसे बड़ा प्रारंभिक चेतावनी कार्यक्रम है। लोगों को वॉट्सएप, ईमेल या एसएमएस समूहों की सदस्यता लेने की आवश्यकता नहीं है। आपको स्वचालित रूप से अलर्ट मिल जाएगा।"

संदेशों को स्थानीय भाषा सहित दो भाषाओं में प्रसारित किया जाएगा, जो लोगों को गंभीर मौसम की घटना के बारे में सचेत करेगा। उन्होंने कहा कि आगे चलकर इस तरह के अलर्ट मिलने पर मोबाइल फोन वाइब्रेट करेंगे।

अधिकारी ने कहा, "यदि आप टेलीविजन देख रहे हैं, तो टीवी स्क्रीन चेतावनी संदेश फ्लैश करेगी और आडियो भी होगा। यदि आप रेडियो पर कोई गाना सुन रहे हैं, तो इसे छोटा कर दिया जाएगा और अलर्ट प्रसारित हो जाएगा। ”उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत एकमात्र ऐसा देश होगा जिसके पास सामान्य चेतावनी प्रोटोकॉल होगा।

3. मिनट-मिनट में आप भी धोते रहते हैं हाथ? कहीं आपकी ये आदत कोई खतरनाक मेंटल डिसऑर्डर तो नहीं!

इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में काम की टेंशन, खराब लाइफस्टाइल, खराब खानपान का असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा पड़ता है.काम के प्रेशर के चलते लोग डिप्रेशन चिंता और कई तरह की मानसिक बीमारी के शिकार हो रहे हैं.इन्हीं में से एक समस्या है ओसीडी ( OCD) जिसे हम ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर के नाम से जानते हैं.इस समस्या से पीड़ित लोग एकदम सामान्य दिखते हैं लेकिन जो काम वो करते हैं वो सामान्य नहीं होता...आगे के आर्टिकल जानते हैं ओसीडी के बारे में विस्तार से सबकुछ.

क्या है ओसीडी ?( OCD)

जब ओसीडी को हम मानसिक बीमारी के तौर पर जानते हैं तो हमारे दिमाग में कई तरह के ख्याल आने लगते हैं जैसे कि यह कोई पागलपन या जानलेवा बीमारी है. लेकिन अगर हम इसे ध्यान से पढ़ें तो इसका मतलब साफ है ऑब्सेसिव का मतलब है किसी भी व्यवहार का बार-बार दोहराना. यानी कि जो विचार हमारे मन में बार-बार आते हैं उनके प्रति सोचने और उनसे प्रभावित होकर व्यवहार करना. ये नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रकार के हो सकते हैं.

अब दूसरे शब्दों पर गौर करें तो यह है कंपल्सिव यानी की मजबूरी अगर हमारे मन में यह ख्याल आता की हमारे हाथ गंदे हैं तो आप ना चाहते हुए भी इस बार-बार धोती रहते हैं और जब यह प्रक्रिया रिपीट होती रहती है तो यह एक तरह का कंपल्शन होता है. आमतौर पर कंपल्शन, ऑब्सेशन से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है.

ओसीडी के ज्यादा मरीज जो होते हैं वो गंदगी से डरते हैं.उन्हें आमतौर पर साफ सफाई और बार-बार हाथ धोने का कंपल्शन होता है. कुछ लोग बार-बार चीज को जांच करते हैं जैसे दरवाजा बंद किया या नहीं. गैस बंद है या नहीं. कई लोगों को गंभीर बीमारी की चपेट में आने का डर लगा रहता है.

क्या है इसके लक्षण

ऑब्सेशन

गंदगी लगने का डर होता है

चीज़ों को सीक्वेंस में लगाने की सनक

चीज़ों को गिनती को लेकर कॉन्शस रहना

किसी को चोट पहुंचाने का डर

कंपल्शन

बार-बार हाथ धोना

बार बार दरवाज़ा चेक करना

एक ही तरह की चीज़ को बार बार रिपीट करना

बेवजह चीज़ों को सजाना, इकट्ठा करना

किसी भी मेंटल इलनेस से बचने के लिए अपने जिवनशैली खानपान, नींद और स्क्रीन टाइम पर ध्यान देना चाहिए.वहीं अगर आपको भी उपर में बताएं कोई लक्षण बार-बार बार महसूस होते हैं तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

4.  डेड बॉडी से संबंध भारत में अपराध नहीं, कर्नाटक HC के फैसले से छिड़ी बहस, जानें क्या होता है नेक्रोफीलिया


 भारत में रेप की सजा पर सख्त कानून हैं, जो आरोपी को कड़ी सजा का प्रावधान करते हैं लेकिन आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि नेक्रोफीलिया (Necrophilia) के लिए कोई सजा नहीं है. यानी अगर कोई दरिंदा किसी लाश से यौन संबंध बनाता है तो उसके ऊपर रेप या यौन हमले का चार्ज नहीं लगेगा. कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लाश के साथ यौन हमले के आरोपी को बरी करते हुए इस तथ्य का जिक्र किया है. इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से देश में एक नए कानून की जरूरत की बात कहके बड़ी बहस भी छेड़ दी है. 

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार (30 मई) को अपने फैसले में कहा, शव का यौन उत्पीड़न भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत बलात्कार या अप्राकृतिक अपराध के दायरे में नहीं आता है. कोर्ट के इस फैसले के बाद मानव शव की गरिमा के अधिकार पर बहस छिड़ गई है.

क्या है पूरा मामला ?

साल 2015 में कर्नाटक के तुमकुरु जिले में 21 साल की लड़की का मर्डर करने के बाद उसके साथ रेप किया गया. सेशन कोर्ट ने आरोपी को मर्डर और रेप का दोषी माना. इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की गई, जहां सिंगल बेंच ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा.

मामला डबल बेंच में पहुंचा, कोर्ट ने मर्डर का चार्ज तो बरकरार रखा लेकिन रेप के आरोप से यह कहते हुए बरी कर दिया कि इसने जो किया वह नेक्रोफीलिया की श्रेणी में आता है और यह आईपीसी के तहत अपराध नहीं है.

जस्टिस बी वीरप्पा और जस्टिस वेंकटेश नाइक की बेंच ने कहा, दुर्भाग्य से, भारत में नेक्रोफीलिया के खिलाफ कोई कानून नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से नेक्रोफीलिया को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए आईपीसी में बदलाव करने का या नया कानून बनाने की अपील की.

डेड बॉडी से संबंध क्यों रेप नहीं ?

रेप के आरोप के साथ ही कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह मामला 377 के तहत अप्राकृतिक अपराध की श्रेणी में भी नहीं आएगा. बेंच ने कहा, पीठ ने कहा, "आईपीसी की धारा 375 और 377 को सावधानीपूर्वक पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि एक मृत शरीर को इंसान या व्यक्ति नहीं कहा जा सकता है।. इसलिए, धारा 375 या 377 के प्रावधान लागू नहीं होंगे."

क्या है नेक्रोफीलिया ?

नेक्रोफीलिया शब्द का इस्तेमाल ऐसे व्यक्तियों के बारे में बताने के लिए किया जाता है, जो मुर्दों के साथ यौन गतिविधियों में शामिल होते हैं या फिर मुर्दों के साथ यौनाकर्षण रखते हैं. नेक्रोफीलिया के साथ कई अन्य वीभत्स व्यवहार वाले पैराफिलिया भी हो सकते हैं. इनमें दूसरों को तकलीफ पहुंचाना, इंसानी मांस खाना या फिर मृतकों का मांस खाना शामिल हो सकता है.

"नेक्रोफिलिया" शब्द ग्रीक शब्द "फीलियोस" (आकर्षण / प्यार) और "नेक्रोस" (मृत शरीर) से लिया गया है. इसे बेल्जियन एलियनिस्ट जोसेफ गुइस्लेन ने पहली बार इस्तेमाल किया था. 19 वीं शताब्दी में इस शब्द को लोकप्रियता मिली.

इन देशों में नेक्रोफीलिया अपराध ?

ब्रिटेन में शवों के साथ किसी भी तरह का यौन संबंध या अनुचित शारीरिक आचरण कानून के खिलाफ है. इस मामले में दोषी ठहराए जाने पर छह महीने से लेकर दो साल तक जेल या जुर्माना हो सकता है. कनाडा, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में भी नेक्रोफीलिया के खिलाफ कानून मौजूद हैं. कनाड में नेक्रोफीलिया शब्द का इस्तेमाल किए बिना कहा गया है कि मृत शरीर की गरिमा को नुकसान पहुंचाने पर अधिकतम 5 साल की सजा हो सकती है. वहीं. न्यूजीलैंड में अधिकतम 2 साल की सजा का प्रावधान है.

5.सुप्रीम कोर्ट पहुंचा रेल हादसे की जांच का मामला, 'कवच' सिस्टम जल्द से जल्द लागू करने की मांग


बालासोर रेल हादसे की जांच का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. विशाल तिवारी नाम के एक वकील ने मामले को लेकर याचिका दाखिल की है. इस याचिका में दुर्घटना से बचाने वाले 'कवच' सिस्टम को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है.

साथ ही पूर्व जज की अध्यक्षता में जांच आयोग बनाने की मांग की गई है. इसके अलावा, रेलवे सुरक्षा को लेकर भी पूर्व जज की अध्यक्षता में विशेषज्ञ कमिटी बनाने की मांग की गई है. 

मनसुख मंडाविया ने हादसे पर दिया ताजा अपडेट

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्रेन हादसे में ताजा अपडेट देते हुए बताया, हादसे में 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और उनका इलाज चल रहा है. 100 से अधिक मरीजों को क्रिटिकल केयर की जरूरत है और उनके इलाज के लिए दिल्ली एम्स, लेडी हार्डिंग अस्पताल और आरएमएल अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टर आधुनिक उपकरणों और दवाओं के साथ यहां पहुंचे हैं. हमने विस्तृत चर्चा की और एक कार्य योजना भी तैयार की गई है. वहीं, अब तक इस हादसे में 288 लोगों की मौत हो चुकी है.

अश्विनी वैष्णन ने बताया हादसे का कारण

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हादसे के कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण यह दुर्घटना हुई है. उन्होंने कहा, इस हादसे के पीछे जिम्मेदार लोगों की पहचान भी कर ली गई है जल्द जांच रिपोर्ट सामने आ जाएगी. इस दौरान उन्होंने ये भी साफ किया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जो कवच को लेकर कहा वो सही नहीं है. अश्विनी वैष्णव बोले, हादसे का कवच से किसी प्रकार का कोई संबध नहीं है.

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