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3 May 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1. CTET 2023 Application: ‘पहले आओ पहले पाओ’ से 3 दिन में पूर्वांचल के जिलों की सीटें फुल, सीट बढ़ाने की मांग

प्राइमरी और अपर प्राइमरी (जूनियर हाई स्कूल) कक्षाओं में अध्यापन हेतु पात्रता निर्धारित करने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) का आयोजन हर साल दो बार (जुलाई और दिसंबर) में करता है। इस परीक्षा में देश भर से लाखों उम्मीदवार सम्मिलित होते हैं। इस परीक्षा के जुलाई 2023 सत्र के लिए अधिसूचना 27 अप्रैल को जारी के बाद आवेदन प्रक्रिया 27 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। इस परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए उम्मीदवारों उनके परीक्षा केंद्र के शहर का आवंटन सीबीएसई द्वारा ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर किया जाना है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के जिलों के लिए आवंटित सीटों की संख्या 3 दिन में ही फुल हो चुकी है।

CTET 2023 Application: पूर्वांचल के जिलों की सीटें बढ़ाने की मांग

ऐसे में उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से (पूर्वांचल) के 21 जिलों के उम्मीदवार सीटीईटी जुलाई 2023 के लिए आवेदन में नजदीकी परीक्षा शहर का विकल्प ऑनलाइन फॉर्म में न मिलने से परेशान हैं। ये उम्मीदवार अब सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए सीबीएसई के अधिकारियों से लेकर शिक्षा मंत्री और अन्य से सीटें बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

CTET 2023 Application: उम्मीदवारों के पास विकल्प

हालांकि, सीटीईटी जुलाई 2023 के लिए पूर्वांचल के जिलों में सीटे बढ़ाने की मांग का इंतजार न करते हुए उम्मीदवारों को जल्द से जल्द अप्लाई कर लेना चाहिए ताकि वे नजदीकी परीक्षा शहर प्राप्त कर सकें। आमौतर पर विभिन्न परीक्षा एजेंसियों द्वारा आवेदन प्रक्रिया पूरी करने के बाद अप्लीकेशन करेक्शन का मौका दिया जाता है, जिस दौरान परीक्षा शहर बदलने का विकल्प भी हो सकता है। ऐसे में यदि सीबीएसई द्वारा सीईटी जुलाई 2023 के लिए सीटें बढ़ाई भी जाती हैं तो उसका चुनाव उम्मीदवार आवेदन सुधार की अवधि के दौरान कर सकेंगे। ऐसे में उम्मीदवारों अधिक दूरी के परीक्षा शहर के आवंटन की प्रायिकता समाप्त हो जाएगी।

2.  BTSC Recruitment 2023: फार्मासिस्ट पदों पर आवेदन की लास्ट डेट एक्सटेंड

बिहार तकनीकी सेवा आयोग (BTSC) की ओर से फार्मासिस्ट के 1539 रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती निकाली गयी थी। भर्ती के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 4 मई निर्धारित की गयी थी जिसे विभाग की ओर से एक्सटेंड कर दिया गया है। बीटीएससी की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर इससे संबंधित जानकारी साझा की गयी है। नोटिफिकेशन के अनुसार अब जो उम्मीदवार बीटीएससी फार्मासिस्ट भर्ती 2023 में भाग लेना चाहते हैं वे 19 मई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जिन उम्मीदवारों ने अभी तक आवेदन नहीं किया है और अप्लाई करना चाहते हैं वे अब निर्धारित तिथियों में ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं।

BTSC Recruitment 2023: कैसे करें आवेदन

इस भर्ती में भाग लेने के लिए कैंडिडेट्स को सबसे पहले बीटीएससी की ऑफिशियल वेबसाइट btsc.bih.nic.in पर जाना होगा। होम पेज पर दिए गए भर्ती से संबंधित लिंक पर क्लिक करें। इसके बाद उम्मीदवार मांगी गयी जानकारी भरकर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं। इसके बाद उम्मीदवारों को भर्ती के लिए निर्धारित आवेदन शुल्क जमा करना होगा। सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें। इसके बाद आप अपने आवेदन पत्र का एक बार रिव्यू कर लें और अपने फॉर्म को सबमिट कर दें। पूर्ण रूप से भरे हुए एप्लीकेशन फॉर्म का एक प्रिंट निकालकर भविष्य के लिए सुरक्षित रख लें।

उम्मीदवारों को बता दें कि बीटीएससी की ओर से आवेदन शुल्क सामान्य, ईडब्ल्यूएस, बीसी कैटेगरी के लिए 200 रुपये एवं एससी, एसटी, ओबीसी एवं महिला उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क 50 रुपये निर्धारित है।

BTSC Recruitment 2023: क्या है योग्यता

जो उम्मीदवार इस भर्ती के लिए आवेदन करना चाहते हैं उन्होंने मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की हो। इसके साथ ही उम्मीदवार ने फार्मेसी में डिप्लोमा भी प्राप्त किया हो। इसके अलावा उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष से कम एवं अधिकतम आयु 37 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। आयु सीमा की गणना 1 अगस्त 2019 के अनुसार की जाएगी।


3. क्या शरद पवार की जगह प्रफुल्ल पटेल बनेंगे NCP के अध्यक्ष? खुद दिया ये जवाब

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष पद से शरद पवार के इस्तीफे देने की घोषणा के बाद से चर्चा होने लगी कि किसे पार्टी की कमान मिलेगी? एनसीपी के अध्यक्ष पद के लिए शरद पवार के भतीजे अजित पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले का नाम आ रहा है, लेकिन इसी बीच एनसीपी के वाइस प्रेसिडेंट प्रफुल्ल पटेल को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही है कि वो पार्टी के प्रेसिडेंट बनेंगे. 

प्रफुल्ल पटेल ने एनसीपी के अध्यक्ष बनने को लेकर अटकलों को पूरी तरह से खारिज तो नहीं किया, लेकिन कहा कि अंतिम निर्णय शरद पवार के इस्तीफे पर फैसले के बाद होगा. उन्होंने कहा, ''आखिरी फैसला होने तक किसी भी तरह के कयास नहीं लगाने चाहिए. मेरी अध्यक्ष पद के लिए कोई दिलचस्पी नहीं है.'' 

प्रफुल्ल पटेल से पूछा गया कि क्या अध्यक्ष पद के चयन के लिए जो कमेटी बनाई गई है. अगर वह सर्वसम्मति से आपके नाम का सुझाव करें तो क्या आप प्रेसिडेंट बनने के लिए तैयार होंगे? इस पर उन्होंने कहा कि मैं मुंगेरीलाल के हसीन सपने नहीं देखता. 

शरद पवार के इस्तीफे की घोषणा पर क्या कहा?

एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शरद पवार ने मंगलवार (2 मई) को बार-बार कहा कि जेनेरेशन बदलाव की जरूरत है. शायद वो (शरद पवार) चाहते हो कि नयी पीढ़ी आगे आएं. हमें उनके (शरद पवार) पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने के ऐलान से पहले कुछ नहीं पता था. उन्होंने आगे बताया कि एनसीपी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि शरद पवार के पास ही पार्टी का अध्यक्ष पद रहे. ऐसे मैं, सुप्रिया सुले, अजित पवार और छगन भुजबल उनसे (शरद पवार) मिले हैं. 

शरद पवार के इस्तीफे पर क्या कोई चर्चा हुई

जब पटेल से सवाल किया गया कि शरद पवार ने एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा क्या पार्टी में चल रही आतंरिक राजनीति के कारण की है? इस पर उन्होंने कहा कि पार्टी एकजुट है. हम सभी उनके (शरद पवार) के नेतृत्व में साथ हैं. उन्होंने बताया कि आज कोई बैठक नहीं थी और ना ही शरद पवार के इस्तीफे के मुद्दे पर कोई चर्चा हुई. उन्होंने दो से तीन दिन का समय मांगा है. एक-दो दिन में जो भी होगा वो आप लोगों को बताया जाएगा.

4. बजरंग दल के बहाने बजरंग बली की चुनाव में एंट्री


 कर्नाटक में बोम्मई फॉर्मूले के नहीं चल पाने के बाद बीजेपी लगातार हिंदुत्व कार्ड को खेलने की कोशिश कर रही थी, जिससे ध्रुवीकरण कर वोटों को अपने पाले में लाया जाए. इसके लिए बीजेपी ने हिजाब से लेकर अजान तक के मुद्दे उछाले, वहीं चुनावी घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता का वादा किया. हालांकि बीजेपी नॉर्थ के राज्यों की तरह हिंदुत्व के एजेंडे को कर्नाटक में पूरी तरह नहीं भुना पाई, लेकिन अब कांग्रेस के घोषणापत्र से बीजेपी के हाथ कुछ ऐसा लगा है, जिससे बीजेपी खुलकर हिंदुत्व की पिच पर उतर आई है. मामला बजरंग दल को बैन करने का है, जिसे अब बीजेपी और खुद प्रधानमंत्री मोदी ने बजरंग बली से जोड़ दिया है. 

चुनाव में कैसे हुई बजरंग बली की एंट्री

दरअसल कांग्रेस ने कर्नाटक के लिए जारी अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि सरकार बनने के बाद वो बजरंग दल पर बैन लगाने का काम करेंगे. उन्होंने बजरंग दल की तुलना पीएफआई जैसे विवादित संगठन से की. हालांकि बजरंग दल भी पिछले कुछ सालों से लगातार विवादों में रहा है. अब बीजेपी ने हर मुद्दे की तरह इस मुद्दे को भी जनभावनाओं से जोड़ दिया और कांग्रेस को भगवान विरोधी बता दिया. मुद्दा बजरंग दल का था, लेकिन इसे बजरंगबली से जोड़कर लोगों के सामने रखा गया. खुद प्रधानमंत्री मोदी इसे चुनावी मंचों से भुनाने की कोशिश कर रहे हैं. 

कर्नाटक चुनाव के लिए बजरंग बली बीजेपी के लिए कितने जरूरी हैं, इसका उदाहरण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से अपने भाषण के इस हिस्से को शेयर भी किया. जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा- "यह देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस को प्रभु श्रीराम से तो तकलीफ रही ही है, अब उसे जय बजरंगबली बोलने वाले भी बर्दाश्त नहीं"

बजरंग बली करेंगे बेड़ा पार?

अब बीजेपी को हिंदुत्व की पिच पर खेलने के लिए जो फुलटॉस गेंद चाहिए थी, लग रहा है कि वो कांग्रेस ने उन्हें दे दी है. जिसे बीजेपी अपनी पूरी ताकत लगाकर बाउंड्री के बाहर भेजना चाहती है. कर्नाटक में बीजेपी का पूरा मैकेनिज्म इसी ध्रुवीकरण के काम में लगा हुआ था, इसका उदाहरण हाल ही में बीजेपी युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेतारू की हत्या के बाद देखने को मिला. इस हत्याकांड के बाद पीएफआई के कई सदस्यों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई और कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. इतना ही नहीं बीजेपी ने हिंदू वोटर्स और अपने कार्यकर्ताओं को मैसेज देने के लिए नेतारू के परिवार की बड़ी मदद की और पक्का मकान बनाकर दिया. इसके बाद अब बीजेपी ने बजरंग दल को बजरंग बली से जोड़कर बड़ा मुद्दा बना दिया है. ऐसे में लग रहा है कि कर्नाटक में बजरंग बली बीजेपी का बेड़ा पार लगा सकते हैं. 

धार्मिक भावनाओं का सहारा लेकर बीजेपी पहले भी कांग्रेस और तमाम पार्टियों को नुकसान पहुंचाती आई है. हाल ही में जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी की तुलना सांप से कर दी थी तो इसे भी सीधे भगवान से जोड़ दिया. पीएम मोदी ने कहा कि सांप तो शिव के गले का हार होता है. तब भी भगवान शिव का नाम लेकर पीएम मोदी ने खरगे के इस वार को उनके सेल्फ गोल में तब्दील कर दिया था. ठीक इसी तरह अब बजरंग दल को लेकर कांग्रेस के वादे को उनके ही खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है. 

क्या है बजरंग दल?

बजरंग दल की स्थापना अयोध्या में हुई थी. राम मंदिर को लेकर जब आरएसएस लगातार जन आंदोलन खड़ा करने की कोशिश कर रहा था, तब उसे ऐसे लोगों की जरूरत महसूस हुई जो लोगों को मोबलाइज कर सकें. यानी बड़ी संख्या में लोगों को और खासतौर पर युवाओं को सड़कों पर उतारने की कोशिश हो रही थी. इसके लिए 8 अक्टूबर 1984 में एक संगठन की शुरुआत हुई, जिसे बजरंग बली के नाम पर बजरंग दल का नाम दिया गया. इस संगठन की जिम्मेदारी विनय कटियार को दी गई, जो तब हिंदुत्व और राम मंदिर आंदोलन के एक फायर ब्रांड नेता थे. क्योंकि बजरंग दल जोशीले युवाओं से भरा एक संगठन था, इसीलिए बजरंग दल को राम मंदिर आंदोलन में सुरक्षा की जिम्मा मिला था.  

बाबरी विध्वंस के बाद लगा बैन

बजरंग दल का शुरुआत से ही "सेवा, सुरक्षा और संस्कृति" का नारा रहा है. स्थापना के बाद से ही इस संगठन की ताकत लगातार बढ़ती चली गई और इसने राम मंदिर निर्माण, मथुरा कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ मंदिर निर्माण को लेकर मुहिम छेड़ दी. विश्व हिंदू परिषद की छत्रछाया में ये संगठन बड़ा हुआ और इससे जुड़े लोगों ने राम जन्मभूमि आंदोलन और बाबरी विध्वंस में बड़ी भूमिका निभाई. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद नरसिम्हा राव सरकार ने इस संगठन पर बैन लगा दिया. हालांकि करीब एक साल बाद दल की भूमिका साबित नहीं होने के चलते इस बैन को हटा लिया गया. 

5. पुतिन के घर पर ड्रोन अटैक की कोशिश:रूस बोला- यह यूक्रेन का आतंकी हमला

रूस ने आरोप लगाया है कि उसके राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के घर पर यूक्रेन ने ड्रोन से हमले की कोशिश की है। रूस ने कहा- पुतिन बिल्कुल सुरक्षित हैं और अपना काम कर रह रहे हैं। उनके वर्क शेड्यूल में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हम इसे आतंकी हमला मानते हैं। यह प्रेसिडेंट को जान से मारने की साजिश थी। हमले का जवाब दिया जाएगा। इसके लिए वक्त का चुनाव भी रूस ही करेगा।

यूक्रेन ने कहा- हमें जानकारी नहीं

यूक्रेन के प्रेसिडेंट वोलोदिमिर जेलेंस्की के प्रवक्ता सर्गेई निकिफोरोव ने पुतिन पर हमले की कोशिश के बारे में कहा- हमें इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि क्रेमलिन पर कोई कथित हमला किया गया है। हम सिर्फ अपने देश की हिफाजत कर रहे हैं, दूसरों पर हमले का कोई इरादा नहीं है।

क्रेमलिन को निशाना बनाया

पुतिन के पास एक पर्सनल मीडिया डिपार्टमेंट है। इसे प्रेसिडेंट प्रेस सर्विस कहा जाता है। इसके एक बयान के मुताबिक क्रेमलिन पर मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात ड्रोन से हमले किए गए। इसमें राष्ट्रपति को कोई नुकसान नहीं हुआ। पुतिन पूरी तरह महफूज हैं और उनके वर्क शेड्यूल में भी किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया। हम इसे आतंकी हमला मान रहे हैं।

पुतिन के स्पोक्सपर्सन दिमित्री पेस्कोव ने कहा- जिस दौरान यह हमला किया गया, उस वक्त पुतिन क्रेमलिन में मौजूद नहीं थे। हमले में ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। फिलहाल, प्रेसिडेंट मॉस्को में अपने ऑफिशियल रेसिडेंस में मौजूद हैं और वहीं से काम कर रहे हैं।

परेड वक्त पर होगी

रूस में हर साल 9 मई को विक्ट्री डे परेड होती है। पेस्कोव ने कहा- इस तरह की हरकतों से हम डरने वाले नहीं हैं। हम साफ कर देना चाहते हैं कि विक्ट्री डे परेड भी शेड्यूल के मुताबिक ही होगी।

इस हमले के कुछ दिन पहले रूस ने आशंका जताई थी कि पुतिन पर हाईटेक ड्रोन से हमला किया जा सकता है। फिलहाल, जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक क्रेमलिन पर हमले के लिए 2 ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। रूस ने अपने रडार और ट्रैकिंग सिस्टम से इनका पता लगा लिया। अब रूस इसका जवाब अपने अंदाज में देगा।

रूस ने कहा- हम इसे सोचे-समझे आतंकी हमले की तरह देख रहे हैं। इसका माकूल जवाब दिया जाएगा।

जवाब देगा रूस

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक- फिलहाल, ये मुमकिन नहीं है कि रूस के दावे की पुष्टि की जाए। क्रेमलिन ने कहा है- ये हमारे प्रेसिडेंट पर प्लान्ड टेरेरिस्ट अटैक की कोशिश है। हमारे पास ये अधिकार है कि अब इसका जवाब किस तरह दिया जाए। हमने वक्त पर जवाबी एक्शन लिया। दोनों ड्रोन को मार गिराया गया। दोनों ड्रोन का मलबा बरामद हो चुका है। हमले वाली जगह यूक्रेन बॉर्डर से 280 किलोमीटर दूर है।

पुतिन हमेशा सख्त सुरक्षा के बीच रहते हैं। वो कहीं जाते हैं तो उसके पहले हर बिल्डिंग की ठीक से जांच की जाती है। उनके ऑफिस और उसके आसपास की तमाम इमारतों को चेक किया जाता है। फिलहाल, मॉस्को और क्रेमलिन के एयरस्पेस में ड्रोन्स को बैन कर दिया गया है।

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