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1 May 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day

 1.AR Rahman के लाइव कॉन्सर्ट को पुलिस ने रोका, स्टेज पर चढ़कर सिंगर को गाने से किया मना

ऑस्कर विनर सिंगर और म्यूजिक कंपोजर एआर रहमान (AR Rahman) किसी अलग पहचान की मोहताज नहीं हैं. अपनी कमाल की गायकी के लिए एआर रहमान का नाम काफी जाना जाता है.  इस बीच एआर रहमान को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है. रविवार को एआर रहमान ने महाराष्ट्र के पुणे में लाइव म्यूजिक कॉन्सर्ट किया. लेकिन पुणे पुलिस ने बीच में आकर इस म्यूजिक कॉन्सर्ट को बंद करा दिया और स्टेज पर चढ़कर सिंगर को गाने से रोक दिया है. 

एआर रहमान के कॉन्सर्ट में पहुंची पुलिस 

मिली जानकारी के मुताबिक 30 अप्रैल को पुणे के राजा बहादुर मिल इलाके में एआर रहमान ने एक लाइव म्यूजिक कॉन्सर्ट में परफॉर्म किया. भारी तादाद में लोग एआर रहमान के इस म्यूजिक कॉन्सर्ट में शामिल हुए. अपनी जादुई आवाज से एआर रहमान मौजूद ऑडियंस का भरपूर मनोरंजन कर रहे थे, लेकिन तभी वहीं सूबे की पुलिस आ गई और उन्होंने एआर रहमान के इस लाइव म्यूजिक कॉन्सर्ट को बीच में ही रुकवा दिया है.

दरअसल, खबर है कि एआर रहमान के इस म्यूजिक कॉन्सर्ट को परफॉर्म किए जाने के लिए रात 10 बजे के बाद की कोई परमिशन प्रशासन से नहीं ली गई थी. जिसके चलते पुलिस अधिकारी ने इस बंद करा दिया. एक पुलिस ऑफिसर ने स्टेज पर चढ़कर इशारा करते हुए एआर रहमान के इस कॉन्सर्ट को रोकने के लिए कहा. बाद में प्रोग्राम बंद हो गया और एआर रहमान बैक स्टेज चले गए. 

पुलिस ने दिया ये बयान

इस मामले को लेकर पुणे पुलिस के एक अधिकारी की ओर से एक बयान जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है- एआर रहमान (AR Rahman) अपना आखिरी गाना गा रहे थे और गाते समय उन्हें ये पता ही नहीं चला कि रात के 10 बज चुके थे. इसलिए हमारे पुलिस अधिकारी जो कार्यक्रम स्पॉट थे, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार समय सीमा को लेकर अवगत कराया, इसके बाद सिंगर ने गाना बंद कर दिया. 

2. CMAT 2023 Admit Card: कॉमन मैनेजमेंट ऐडमिशन टेस्ट के लिए एडमिट कार्ड जारी, जानिए परीक्षा में क्या हुआ बड़ा बदलाव

कॉमन मैनेजमेंट ऐडमिशन टेस्ट के लिए एडमिट कार्ड राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा जारी कर दिया गया है. सीमैट एडमिट कार्ड 2023 के लिए छात्र लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. जो भी छात्र इस परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड डाउनलोड करना चाहते हैं, वो सीमैट की आधिकारिक वेबसाइट cmat.nta.nic.in पर जा कर अपना एडमिट कार्ड डाउनलोज कर सकते हैं.

कैसे करना है एडमिट कार्ड डाउनलोड

CMAT 2023 Admit Card को डाउनलोड करने के लिए छात्रों को सबसे पहले इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा. इसके बाद एडमिट कार्ड वाले लिंक पर क्लिक करके अपना अप्लीकेशन नंबर, डेट ऑफ बर्थ जैसी जानकारी भरनी होगी. जैसे ही आप इस पूरे प्रक्रिया को पूरा करेंगे आपके सामने एडमिट कार्ड खुल जाएगा, जिसे आप डाउनलोड भी कर सकते हैं. आपको बता दें, एनटीए ने इस परीक्षा के लिए सिटी इंटीमेशन स्लिप पहले ही जारी कर दी थी, ताकि उम्मीदवार समय रहते परीक्षा के लिए अपना ट्रेवेल प्लान बना लें. 

400 नंबरों की होगी परीक्षा

कॉमन मैनेजमेंट टेस्ट के मुताबिक, सीमैट 2023 की प्रवेश परीक्षा 400 नंबरों की होगी, इसमें अलग-अलग विषयों से कुल 100 प्रश्न पूछे जाएंगे. इन विषयों में क्वांटिटेटिव टेक्निक्स एंड डाटा इंटरप्रिटेशन, लॉजिकल रीजनिंग, लैंग्वेज कॉम्प्रीहेंशन, जनरल अवेयरनेस और इन्नोवेशन एंड आंत्रप्रेन्योरशिप जैसे विषय शामिल हैं. इन सभी विषयों से 20-20 प्रश्न पूछे जाएंगे. हर सही आंसर के लिए 4 नंबर मिलेंगे और हर गलत आंसर के लिए 1 नंबर काटा जाएगा.

3. सूडान में जारी गृहयुद्ध के बीच चर्चा में आया 'जर्म वारफेयर', कुछ ही दिनों मे ये ले सकता है करोड़ों की जान

वर्तमान में फोर्स ने इस लैब में प्रवेश के सभी रास्ते को बंद कर दिए हैं. वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन को डर है कि शायद लैब में घातक जीवाणु बम तैयार किए जा रहे है. अगर ये डर सच्चाई में बदलता है और रैपिड सपोर्ट फोर्स वाकई में इस लैब को कब्जे में लेकर जीवाणु बम बना रही है तो सूडान की लड़ाई आने वाले कुछ दिनों में बायोलॉजिकल युद्ध में बदल सकती है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बायोलॉजिकल हथियार क्या हैं और ये कितना खतरनाक हो सकता है? 

क्या है जैविक हमला?

आसान भाषा में कहा जाए तो जैविक हमले का मकसद आम युद्ध की तरह ही दुश्मन को हराना या कमजोर कर देना है. लेकिन इसके लिए बारूद या किसी दूसरे पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसमें कई तरह के वायरस, बैक्टीरिया, फंगस और जहरीले पदार्थों से हमला किया जाता है.

जैविक हमले के कारण लोग बीमार पड़ने लगते हैं, कमजोर पड़ जाते हैं या उनकी मौत हो जाती है. ऐसे में सामने वाले का युद्ध जीतना आसान हो जाता है. जैविक हमले का इंसानी शरीर पर बहुत भयानक असर पड़ता है. अक्सर इसका असर आने वाली कई पीढ़ियों तक देखा जा सकता है. कई मामलों में लोग विकलांग और साथ-साथ मानसिक बीमारियों के भी शिकार होते हैं. जैविक हथियार कम समय में बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं.

उदाहरण के तौर पर कोरोना वायरस को ही ले लेते हैं. दरअसल चीन पर आरोप है कि इस देश ने वुहान के लैब से कोविड वायरस को दुनिया भर में फैलाया है. इस संक्रमण ने पूरी दुनिया में करोड़ों लोगों की जान ली है. आरोप है कि कोरोना के संक्रमण के बाद कई देशों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बर्बाद हो गई जिसका सीधा फायदा चीन को मिला है.  हालांकि इसकी आज तक पुष्टि नहीं हो सकी.

कब हुई जैविक हमले की शुरुआत 

जैविक हमले की शुरुआत कब और कहां से हुई इसका कोई पुख्ता सबूत तो नहीं मिल पाया, लेकिन साल 1347 में जैविक हमले का सबसे पहला मामला दर्ज किया गया था. उस वक्त मंगोल सेना ने यूरोप को बर्बाद करने के लिए वहां व्यापार के लिए पहुंचे जहाजों का इस्तेमाल किया था. मंगोल सेना ने यूरोप जा रहे जहाज में प्लेग के जीवाणु और प्लेग वायरस से संक्रमित चूहे डाल दिए थे. कहा जाता है कि जब ये जहाज इटली के सिसली बंदरगाह पर पहुंचे तो इसमें सवार सभी लोग मारे जा चुके थे. जो कुछ लोग जिंदा थे वह या तो खून की उल्टियां कर रहे थे या तेज बुखार से ग्रसित थे. 

जहाज से शुरू हुआ प्लेग का संक्रमण जल्द ही सिसली के रास्ते स्पेन, इंग्लैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, हंगरी, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, स्कैंडिनेविया और बॉल्टिक जैसे कई देशों तक पहुंच गया. उस वक्त प्लेग ने करोड़ों लोगों की जान ली थी. कहा जाता है कि प्लेग ने यूरोप के लगभग एक तिहाई आबादी की मार डाला था. बाद में उन जहाजों को डेथ शिप कहा गया.

पहले विश्व युद्ध में भी हुआ जैविक हमला 

पहले विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने एंथ्रेक्स और हैजे से संक्रमित शवों को दुश्मन देश के इलाके में फेंक दिया. दुश्मन देश का कोई भी व्यक्ति जैसे ही इन शवों के संपर्क में आता था वह भी संक्रमित हो जाता.  कहा जाता है कि उस वक्त जर्मन सेना के इस हमले का रूस के सेंट पीटर्सबर्ग पर भारी प्रभाव पड़ा था.

रोक लगाने की हुई कोशिश

पहले विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद साल 1925 जेनेवा प्रोटोकॉल बनाया गया. इस प्रोटोकॉल पर 108 देशों ने दस्तखत किए थे. जेनेवा प्रोटोकॉल का साफ मकसद था आने वाले समय में देशों को जैविक या केमिकल युद्ध से बचाना. हालांकि ऐसा हुआ नहीं. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान ने इसी प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए चीन के खिलाफ जैविक प्रयोग किए थे.

साल 2001 में भी हुआ था जैविक हमला 

साल 2001 के सितंबर महीने में न्यूयॉर्क में हुए आतंकी हमले के बाद वहां जैविक हमला किया गया था. दरअसल हमले के बाद अमेरिका के कुछ पत्रकारों और नेताओं को ऐसी चिट्ठियां मिली जिसे छूने के बाद वह बीमारी का शिकार होने लगे. कुछ आतंकवादियों ने अमेरिकी कांग्रेस के कार्यालय में भी एंथ्रेक्स बैक्टीरिया से संक्रमित चिट्ठियां भेजी थी, जिसे छूने के बाद पांच लोगों की मौत हो गई थी. 

ये देश गुपचुप तरीके से बना चुके हैं जैविक हथियार 

दुनिया के अब कई देशों के पास जैविक हथियार है. इन देशों में जापान, अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, रूस, चीन जैसे 17 देश शामिल हैं. एक समय था जब जर्मनी के पास सबसे ज्यादा बायो वेपन हुआ करता था. साल 2022 में अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन लगातार अपना बायोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है. उसके सैन्य संस्थान भी अलग-अलग तरह के टॉक्सिन पर काम कर रहे हैं जिनका दोहरा इस्तेमाल करता है. अमेरिका दोहरे इस्तेमाल को जैविक- खतरा मानता है.

सूडान में क्यों हो रहा है गृहयुद्ध 

सूडान में वर्तमान में जो चल रहा है पीछे की कहानी को समझने के लिए सूडान के बारे में जानना बेहद जरूरी है. इस देश का जन्म सिविल वॉर से हुआ. दरअसल साल 2011 में सूडान दक्षिण सूडान से अलग होकर एक नया देश बना.

अफ्रीका के उत्तर-पूर्व में बसे सूडान के क्षेत्रफल की बात करें तो यह अफ्रीका का सबसे बड़ा देश है और इसकी सीमाएं सात देशों से लगती है. सूडान के उत्तर में मिस्र है और पूर्व में इरिट्रिया और इथियोपिया है. सूडान के उत्तर-पूर्व में लाल सागर है- जबकि साउथ में दक्षिण सूडान - चाड और लीबिया इसके पश्चिम में हैं. 

इन देश में खूनी संघर्ष का सिलसिला पिछले दो साल से चलते-चलते अब सिविल वॉर की हालत में पहुंच चुका है. इस युद्ध में अब तक तीन सौ से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

सूडान में हालात का जिम्मेदार कौन?

इस देश में मची तबाही के पीछे दो कद्दावर चेहरे हैं, दो जनरल जिनकी जिद और वर्चस्व की लड़ाई की कीमत आमलोग को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है. पहला आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान और दूसरा रैपिड सपोर्ट फोर्स का चीफ जनरल हमदान दगालो. 

बुरहान और दगालो दोनों ही इस देश के दो पावर सेंटर हैं. वर्तमान में सूडान की सेना का कमान जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथ में है जबकि हमदान दगालो  रैपिड सपोर्ट फोर्स यानी RSF के मुखिया है. इन दोनों जनरल के पास अपनी सेनाएं हैं, हथियार हैं और इन दोनों की सेना आपस में ऐसे भिड़ीं है कि इसने सूडान जंग का मैदान बन गया है.

तख्तापलट के बाद से ही खराब है देश की स्थिति 

दरअसल इस देश में 2 साल पहले से ही यानी साल 2021 से ही सत्ता संघर्ष चल रहा है. वर्तमान में सरकार की कमान आर्मी चीफ अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथ में है जबकि रैपिड सपोर्ट फोर्स यानी RSF के मुफिया मोहम्मद हमदान दगालो नंबर दो माने जाते हैं- सूडान इन दो जनरलों की लड़ाई में ही फंसा है. इस देश में दो साल पहले तक नागरिक और सेना की संयुक्त सरकार थी लेकिन साल 2021 में सरकार का तख्ता-पलट कर दिया गया. इसके बाद से ही सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स में ठनी है.

अपने अपने जिद पर अड़े दोनों जनरल

देश के दो बड़े जनरल फतेह अल बुरहान और हमदान दगालो अपनी-अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. खासकर सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स के विलय को लेकर. दरअसल मामला ये है कि अगर एक लाख सैनिकों वाले रैपिड सपोर्ट फोर्स का सेना में विलय हो जाता है तो नई सेना का नेतृत्व कौन करेगा. इस पर सहमति नहीं बन पाई है. इतना ही नहीं फतेह अल बुरहान चाहते हैं कि उनकी सेना किसी निर्वाचित सरकार को ही सत्ता हस्तांतरित करेगी- लेकिन यहां भी हमदान दगालो से कोई सहमति नहीं बन पाई है.

वहीं पश्चिमी देशों और क्षेत्रीय नेताओं ने सूडान के दोनों ही पक्षों से तनाव कम करने और बातचीत के टेबल पर लौटकर नागरिक शासन को बहाल करने के लिए कहा है. शुक्रवार को ऐसे संकेत मिले थे कि दोनों पक्षों के बीच का तनाव सुलझ जाएगा.

युद्ध में अब तक कितने लोगों की जा चुकी है जान 

सूडान में छिड़े गृहयुद्ध में अब तक 400 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. यहां कई भारतीय भी फंसे हैं. इन लोगों को ऑपरेशन कावेरी के तहत भारतीय एयर फ़ोर्स अब तक सूडान में फंसे 1200 लोगों को रेस्क्यू कर चुकी है.  

रैपिड सपोर्ट फोर्स क्या है?

सूडानी नेशनल असेंबली ने अपने सेशन नंबर 43 में समर्थित रैपिड सपोर्ट फोर्सेज एक्ट के तहत 18 जनवरी, 2017 को फोर्स की स्थापना की थी. ये सेना से अलग है. माना जाता है कि रैपिड सपोर्ट का ताकतवर होना भी सूडान सिविल वॉर की बड़ी वजह है. रैपिड सपोर्ट फोर्स के लड़ाकों ने सूडान के सोने की खानों पर भी कब्जा कर लिया है जिस पर देश की इकोनॉमी टिकी है. 

4. मेट्रो किराए में छूट से LPG रेट तक आज से बदले 6 बड़े नियम

एक मई यानी आज से हर महीने की पहली तारीख की तरह कई बड़े बदलाव हो रहे हैं. पीएनबी एटीएम चार्ज से लेकर जीएसटी के नियम और मेट्रो में छूट को लेकर 6 बड़े बदलाव हो रहे हैं. वहीं आज कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर के दाम भी सस्ते हो चुके हैं. इसकी कीमत में करीब 172 रुपये की कमी आई है, जिससे दिल्ली में 19 किलो सिलेंडर के दाम 1856.50 रुपये हो चुका है.

वहीं एटीएफ यानी की जेट फ्यूल की कीमत में बड़ी कटौती हुई है. दिल्ली में एटीएफ के दाम 2414.25 रुपये प्र​ति किलो लीटर कम हुए हैं. यहां नया प्राइस 95,935.34 रुपये प्रति किलो लीटर है. हालांकि लोगों को घरेलू गैस और पेट्रोल—डीजल की कीमतों से राहत नहीं मिली है. 1 मई इसके अलावा, 4 और बड़े बदलाव होने वाले हैं. 

बदल रहा है जीएसटी का नियम 

जिसके पास 100 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर है, उस बिजनेसमैन को अपने ​जीएसटी टांजेक्शन की रसीद इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल (IRP) पर सात दिन के अंदर ही अपलोड करनी होगी. अगर अपलोड नहीं होती है तो जुर्माना देना पड़ेगा. 

पंजाब नेशनल बैंक एटीएम 

अगर आपका पंजाब नेशनल बैंक में अकाउंट है तो नया नियम आज से लागू हो रहा है. इस नियम के तहत पर्याप्त पैसा खाते में नहीं होने पर, ट्रांजेक्शन किया जाता है तो खाताधारक को 10 रुपये और जीएसटी चार्ज देना होगा. 

म्यूचुअल फंड में केवाईसी अनिवार्य 

सेबी के मुताबिक, म्यूचुअल फंड कंपनियों को कहा गया है कि निवेशक केवाईसी वाले ई-वॉलेट से ही म्यूचुअल फंड में निवेश करें. यह नियम एक मई से लागू हो रहा है. 

मुंबई मेट्रो में 25 फीसदी किराए में छूट 

1 मई से मुंबई मेट्रो लाइन 2ए और 7 ने 65 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों विकलांग लोगों और कक्षा 12 तक के छात्रों के लिए किराए में 25 फीसदी की रियायत की घोषणा की है. ये लाइनें महा मुंबई मेट्रो ऑपरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMMOCL) और मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDAA) द्वारा संचालित है. इसका लाभ होने के लिए आपको दस्तावेज दिखाने होंगे. 


5.लुधियाना की दर्दनाक खबर दिल्ली-नोएडा तक भी बढ़ा रहीं धड़कनें

'गैस लीक' बस इतना सुनते या पढ़ते ही हमारे दिमाग में भोपाल गैस कांड की बातें कौंधने लगती हैं। लुधियाना में सीवर से निकली गैस से 11 लोगों की मौत... जिसने भी कल या आज यह खबर पढ़ी, हैरान रह गया। मन में एक ही सवाल है कि नाले तो पंजाब ही नहीं नोएडा, लखनऊ, प्रयागराज, पटना में भी खुले मिल जाएंगे तो लुधियाना की गैस इतनी खतरनाक कैसे हो गई? क्या ऐसा कहीं भी हो सकता है? नाले से निकलने वाली गैस क्या जान ले सकती है? कोई बंद कमरे में ऐसा नहीं हुआ है, खुले इलाके में ऐसा होना क्या आगे के लिए खतरे की घंटी है? कई तरह की बातें पता चल रही हैं। संडे की सुबह चाय का वक्त था। लुधियाना में भी लोग दूध लेने निकले थे। दुकानें जल्दी खुल गई थीं। ग्यासपुरा इंडस्ट्रियल एरिया के पास सुआ रोड पर सीवर ही काल बन गया। 7 बजे के आसपास लोग सड़क पर बेहोश होकर गिरने लगे। बताते हैं कि 50 मीटर के क्षेत्र में जो जहां था, वहीं बेहोश होकर गिर गया। कुछ लोग अस्पताल में बच गए लेकिन नाले से निकली हाइड्रोजन सल्फाइड गैस की चपेट में आए यूपी-बिहार के 11 लोगों की मौत हो गई। दो बच्चों और पांच महिलाओं ने भी दम तोड़ दिया।जिस जगह मेनहोल खुला था, उससे 10 मीटर दूर आरती क्लिनिक के पास वाले घर में सो रहे पांच लोग उठे ही नहीं। गोयल कोल्ड ड्रिंक्स की दुकान पर दूध लेने आए लोग खड़े-खड़े गिर पड़े। वो मंजर भयानक था। लोगों को समझ में ही नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर 8 बजे के बाद गैस का रिसाव होता तो मृतकों की संख्या बढ़ सकती थी।

अधिकारियों ने बताया है कि जिस जगह हादसा हुआ, वहां हाइड्रोजन सल्फाइड गैस हवा में बहुत ज्यादा थी। कहा जा रहा है कि सीवर में कोई केमिकल डालने से हाइड्रोजन सल्फाइड गैस बनी होगी। यह गैस कैसे बनी, किसने केमिकल डाला, इसकी जांच के लिए टीम बना दी गई है। वहां सीवर में गंदा पानी घरों और यहां-वहां से आता रहता है। अब केमिकल कौन डाला, इसे जांचने के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। कुछ सैंपल भी लिए गए हैं। पोस्टमार्टम में पता चला है कि सभी 11 लोगों की मौत दिमाग में गैस चढ़ने से हुई। हालात कैसे थे, यह तस्वीरों से पता चलता है। जो पुलिसकर्मी बचाव के लिए पहुंचे, उन्हें भी चेहरे को ढंककर रखना पड़ा। फिलहाल एक किमी का इलाका सील है।

​क्या जान ले सकती है नाले की गैस?

हाइड्रोजन सल्फाइड को आमतौर पर सीवर गैस भी कहा जाता है। वैसे सीवर से अकेले हाइड्रोजन सल्फाइड ही नहीं निकलती है। अमोनिया, कार्बन डाई ऑक्साइड और मीथेन भी निकलती है। एक्सपर्ट बताते हैं कि सीवर गैस में कई जहरीली और दूसरी गैसें भी शामिल होती हैं, जो घर और औद्योगिक कचरे के मिश्रण से बनती हैं। सबसे ज्यादा जहरीली गैस हाइड्रोजन सल्फाइड और अमोनिया होती है। अक्सर सड़क से गुजरते समय आपको सड़े अंडे की बदबू आती होगी। यह गैस ज्वलनशील होने के साथ ही जहरीली भी होती है। इसका इस्तेमाल फूड प्रोसेसिंग, डाइंग आदि में किया जाता है। ग्यासपुरा में हादसे वाली जगह पर सीवरेज मेनहोल का ढक्कन टूटा मिला है। अधिकारियों को आशंका है कि किसी घर या फैक्ट्री से सीवर में वेस्ट केमिकल बहाया गया होगा। इससे यह गैस घातक हो गई।

हाइड्रोजन सल्फाइड को आमतौर पर सीवर गैस भी कहा जाता है। वैसे सीवर से अकेले हाइड्रोजन सल्फाइड ही नहीं निकलती है। अमोनिया, कार्बन डाई ऑक्साइड और मीथेन भी निकलती है। एक्सपर्ट बताते हैं कि सीवर गैस में कई जहरीली और दूसरी गैसें भी शामिल होती हैं, जो घर और औद्योगिक कचरे के मिश्रण से बनती हैं। सबसे ज्यादा जहरीली गैस हाइड्रोजन सल्फाइड और अमोनिया होती है। अक्सर सड़क से गुजरते समय आपको सड़े अंडे की बदबू आती होगी। यह गैस ज्वलनशील होने के साथ ही जहरीली भी होती है। इसका इस्तेमाल फूड प्रोसेसिंग, डाइंग आदि में किया जाता है। ग्यासपुरा में हादसे वाली जगह पर सीवरेज मेनहोल का ढक्कन टूटा मिला है। अधिकारियों को आशंका है कि किसी घर या फैक्ट्री से सीवर में वेस्ट केमिकल बहाया गया होगा। इससे यह गैस घातक हो गई।

हाइड्रोजन सल्फाइड गैस लीक है, कैसे पता चलेगा?

कम मात्रा में भी गैस निकल रही होगी तो सड़े अंडे की बदबू आएगी। ऐसे में संपर्क में आने पर आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। सिर में दर्द, चक्कर आने के साथ घबराहट भी हो सकती है। ज्यादा मात्रा में गैस बनने पर हाइड्रोजन सल्फाइड से बेहोशी के बाद जान भी जा सकती है। यह एक रंगहीन गैस होती है। सांस लेते समय इसकी मात्रा बढ़ी तो 2-3 मिनट में ही इंसान बेहोश हो सकता है। अगर जल्दी इलाज न मिला तो आधे-पौन घंटे में मौत हो सकती है। पेट्रोलियम और नेचरल गैस की रिफाइनिंग में इसका इस्तेमाल होता है।

लुधियाना की घटना से यह चिंता जरूर बढ़ गई है कि नाले में केमिकल वेस्ट डाला जा रहा है, यह कैसे पता चलेगा? यह गैरकानूनी है लेकिन वीकेंड पर लुधियाना के ग्यासपुरा में ऐसा होता रहा है। दूसरे शहरों में तो ऐसा नहीं रहा? अस्पताल में भर्ती एक शख्स ने पुलिस को बताया कि इसी तरह की गैस मॉनसून के महीनों में आसपास निकलती थी। इस इलाके में कई डाइंग यूनिट और दूसरी फैक्ट्रियां हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि शनिवार को लुधियाना में बारिश हुई थी। हो सकता है कि बारिश का पानी रात में डंप किए गए केमिकल वेस्ट को बहाकर सीवर में ले गया हो। थोड़ा अलर्ट रहने की जरूरत है।


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