9 April 2023: दिन की पांच बड़ी ख़बरें 'Top 5 News Of The Day
1. महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे अपने सभी सांसदों और विधायकों के साथ पहुंचे अयोध्या
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे CM बनने और शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह मिलने के बाद पहली बार अपने सभी विधायकों और सांसदों के साथ अयोध्या पहुंचे हैं. शिंदे शनिवार को ही देर रात लखनऊ पहुंच गए थे और आज सुबह वो पूरे काफिले के साथ अयोध्या पहुंचे. अयोध्या में शक्ति प्रदर्शन कर एकनाथ शिंदे अपने आप को हिंदुत्व की राजनीति करने वाले नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश में हैं. शिंदे के अयोध्या दौरे को लेकर पूरे अयोध्या में शिवसेना के झंडे और मुख्यमंत्री के बैनर लगाए गए हैं.
शिवसेना नाम और धनुष बाण का चुनाव चिन्ह मिलने के बाद एकनाथ शिंदे अपने आप को बालासाहेब ठाकरे का सच्चा अनुयायी बताने की कोशिश कर रहे हैं और इसलिए पूरे विधायकों और सांसदों के साथ मुख्यमंत्री अयोध्या का दौरा करने पहुंचे हैं.
शिवसेना के प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने कहा कि हमारी मुख्य विचारधारा हिंदुत्व की है और पार्टी उससे पार्टी दूर जा रही थी. हालांकि एकनाथ शिंदे उसे वापस हिंदुत्व की विचारधारा के रास्ते पर ले आए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री होने के बाद रामलला का यह पहला दर्शन है, यह असली हक हमें मिला है, पार्टी हिंदुत्व की विचारधारा से फिसल रही थी, उसे वापस हिंदुत्व की विचारधारा की तरफ हम लेकर आए हैं.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शाम को सरयू तट पर आरती में भी हिस्सा लेंगे. साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिलने का कार्यक्रम है. अयोध्या के महंतों से धनुष बाण लेकर मुख्यमंत्री महाराष्ट्र वापस जाएंगे. महाराष्ट्र के कई जिलों में इस साल होने वाले महानगर पालिका के चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले इसे एकनाथ शिंदे की हिंदुत्व की राजनीति की तरफ एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है.
महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री उदय सामंत ने कहा कि शिवसेना का यह अयोध्या का तीसरा दौरा है. इससे पहले के दो दौरों में भी वे शामिल थे. तब सीएम अलग थे, लेकिन जो अब चुनाव आयोग का निर्णय होने के बाद शिवसेना एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में काम कर रही है, जो दो बार नहीं हुआ, वो इस बार हो रहा है.
इससे पहले, महाविकास आघाड़ी के 100 दिन पूरे होने पर उद्धव ठाकरे ने अयोध्या का दौरा किया था और पिछले साल मई में आदित्य ठाकरे भी अयोध्या आए थे. एकनाथ शिंदे के इस अयोध्या दौरे पर ठाकरे गुट के नेताओं ने कटाक्ष किया है. संजय राउत ने कहा कि जाने दो, राम सबके हैं, लेकिन राम सत्य वचनी हैं, राम सत्य के प्रतीक हैं, अगर वहां कोई बेईमान जाता है तो उन्हें राम का आशीर्वाद नहीं मिलेगा, इतना मैं कह सकता हूं. राम के चरणों में सब जाते हैं और मुख्यमंत्री को अयोध्या का रास्ता हमने ही दिखाया है.
शिवसेना के इतिहास में बालासाहेब ठाकरे से लेकर उद्धव ठाकरे और अब एकनाथ शिंदे, हर किसी के राजनैतिक करियर में अयोध्या की एक अहम भूमिका रही है. पिछली बार जब एकनाथ शिंदे अयोध्या आए थे, तब उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री थे, लेकिन बाद में शिंदे ने ठाकरे पर हिंदुत्व का पालन नहीं करने का आरोप लगाकर बगावत की और अब उनकी ओर से खुद को हिंदुत्व का पालन करने वाले असली नेता बताने के लिए उनकी पार्टी कोई कसर छोड़ती नजर नहीं आ रही है.
2. अल्लू अर्जुन को 'मां काली' के रूप में देख भड़के लोग, कहा- बर्दाश्त नहीं हिंदू देवी का अपमान
'पुष्पा वापस आ गया है...' अल्लू अर्जुन ने अपने बर्थडे पर पुष्पा द रूल के टीजर से बवाल मचा दिया। साथ एक्टर ने अपना पहला लुक भी शेयर किया है, जिसे देखकर दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए। नोज रिंग, गले में मुंड की जगह नींबू की माला और पूरी तरह से काली मां का गेटअप दिखाने की कोशिश की गई। इस खौफनाक लुक को कुछ तो पसंद कर रहे हैं, लेकिन कुछ को ये हिंदू धर्म का अपमान लगा।
अल्लू अर्जुन के लुक पर मचा बवाल
अल्लू अर्जुन के सवा 3 मिनट के टीजर की शुरुआत होती है 'पुष्पा' को ढूंढने से। जंगल-जंगल और शहर-शहर इसी बात की चर्चा है कि पुष्पा आखिर है कहां। दूसरी तरफ पुष्पा, मां काली का रूप धरकर दुश्मन की घात में बैठा हैं। सोशल मीडिया पर उनके लुक की चर्चा हो रही है। लोगों को ये हिंदू धर्म का अपमान लग रहा है। 'पुष्पाः द राइज' के पहले पोस्टर को लेकर लोग गुस्से में है।
लोगों ने बताया हिंदू धर्म का अपमान
एक सोशल मीडिया यूजर ने गुस्से में लिखा कि हिंदुओं की देवी काली मां की तरह तैयार होकर हाथ में गन पकड़ा हुआ है और फिल्म में गैंगस्टर का रोल प्ले कर रहा है, किसी को हक नहीं हमारी आस्था के साथ खिलड़वाड़ करने का, चाहे वो कोई साउथ का ही एक्टर क्यों ना हो। एक दूसरे यूजर ने लिखा- अगर ये पोस्टर किसी बॉलीवुड एक्टर का होता तो अब तक ट्रोलिंग शुरू हो चुकी होती।
इस साल रिलीज होगी पुष्पा 2
आपको बता दें कि फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है और इसका निर्देशन सुकुमार ने किया है। इस साल ही पुष्पा द रूल रिलीज होने वाली है। फिलहाल फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन का काम चल रहा है। ऑफिशियल तौर पर अभी भी फिल्म के रिलीज डेट का ऐलान नहीं किया गया है। पुष्पा 1 ने बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार कमाई की थी। अकेले हिंदी में ही इसने 100 करोड़ से ऊपर का कलेक्शन कर लिया था।
3. Project Boomerang: अपनी ही कंपनी में कैब चलाने पर मजबूर हुए Uber सीईओ, जानें क्यों
कैब एग्रीगेटर कंपनी उबर के सीईओ दारा खोसरोशाही (Uber CEO Dara Khosrowshahi) की गिनती कॉरपोरेट की दुनिया के टॉप एक्सीक्यूटिव्स में होती है. कंपनी की छवि खराब होने और निवेशकों के साथ संबंधों में खटास आने के बाद उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई थी, और खोसरोशाही कंपनी को वापस पटरी पर लाने में सफल भी हुए. हालांकि इसके लिए उन्हें लीक से हटकर कई काम करने पड़े. एक बार तो वह अपनी ही कंपनी में बतौर ड्राइवर काम करने लग गए थे और रोजाना कैब चलाने लगे थे.
कैलिफोर्निया में चला रहे थे कैब
दरअसल उबर ने अपने परिचालन को बेहतर बनाने के लिए पिछले साल प्रोजेक्ट बूमरैंग की शुरुआत की. इसके तहत खुद उबर सीईओ दारा खोसरोशाही एक कैब ड्राइवर के रूप में काम करने लगे. वह देव के कोड नाम से सान फ्रांसिस्को में एक सेकेंड हैंड टेस्ला मॉडल वाई (Tesla Model Y) चला रहे थे. इस दौरान उन्होंने न सिर्फ व्यस्त घंटों में सान फ्रांसिस्को की सड़कों पर भारी ट्रैफिक का सामना किया, बल्कि यात्रियों की नाराजगियों और कड़वी टिप्पणियों से भी उन्हें जूझना पड़ा.
बेबुनियाद नहीं ड्राइवरों की शिकायतें
खोसरोशाही ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में इस राज का खुलासा खुद ही किया. अपनी ही कंपनी में कैब ड्राइवर के रूप में मूनलाइटिंग करने के अनुभव को लेकर उबर सीईओ ने बताया कि कुल मिलाकर एक इंडस्ट्री के स्तर पर देखें तो लोग कैब ड्राइवर्स को कहीं न कहीं फोर ग्रांटेड लेते हैं. उन्होंने इस दौरान जाना कि कैब ड्राइवर्स की शिकायतें बेबुनियाद नहीं हैं, बल्कि जायज हैं.
झेलनी पड़ीं ये चीजें
खोसरोशाही ने बताया कि कैब ड्राइवर का काम करते हुए उन्होंने ड्राइवर के रूप में साइन अप करने से लेकर ट्रिप को रिजेक्ट करने पर ऐप के द्वारा पैसे काटे जाने तक जैसी समस्याओं का सामना किया. इस दौरान उन्हें कई बार यात्रियों के खराब व्यवहार का भी सामना करना पड़ गया. एक बार तो ड्राइवर के रूप में काम करने के दौरान ही उन्हें कंपनी के चीफ लीगल ऑफिसर का बार-बार फोन आने लगा और वह लगातार काटने पर मजबूर होते रहे.
खोसरोशाही को इन बातों का श्रेय
आपको बता दें कि कैब एग्रीगेटर कंपनी उबर ने विभिन्न समस्याओं में घिरने के बाद एक्सपीडिया इंक के दारा खोसरोशाही को साल 2017 में सीईओ नियुक्त किया था. दारा खोसरोशाही को कंपनी की छवि दुरुस्त करने, निवेशकों के साथ संबंध ठीक करने और कंपनी की वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाने का श्रेय दिया जाता है. प्रोजेक्ट बूमरैंग भी उबर के परिचालन को बेहतर बनाने के दारा खोसरोशाही के प्रयासों का हिस्सा था, जिसके काफी बेहतर परिणाम सामने आए.
4. दिल्ली में पेट्रोल-डीजल और CNG कमर्शियल गाड़ियों की जगह लेंगे EV
दिल्ली सरकार जल्द ही टैक्सी/कैब का संचालन, फूड डिलीवरी कंपनियों और ई-कॉमर्स एंटिटीज के लिए नया नियम लाने वाली है, जिसके तहत इन गाड़ियों को इस दशक के अंत तक पूरी तरह से इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बदला जाना है. दिल्ली ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट फेज वाइज इलेक्ट्रिक गाड़ियों का प्रयोग कर जीरो एमिशन की तरफ बढ़ना चाहता है.
1 अप्रैल 2030 होगी डैडलाइन
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, दिल्ली सरकार 1 अप्रैल 2030 तक सभी कैब और ई-कॉमर्स के तहत यूज होने वाली गाड़ियों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों से बदल देगी. हालांकि दिल्ली अभी भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या के मामलों में अभी भी काफी आगे है.
प्रदूषण को कम करने में मिलेगी राहत
कैलाश गहलोत, परिवहन मंत्री, दिल्ली सरकार ने कहा, हम कम कीमत पर अफोर्डेबल चार्जिंग स्टेशन की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए एक बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है, जिसका एक ही उद्देश्य है. दिल्ली को पॉल्यूशन फ्री बनाया जा सके. कुछ सालों में ही इसके कुछ बेहतर परिणाम हमारे सामने आने लगे हैं और दिल्ली की हवा में कुछ सुधार हुआ है.
इसमें शामिल दिल्ली सरकार के कुछ अधिकारियों के मुताबिक, एग्रीगेटर्स के लिए बनायीं गयी ड्राफ्ट पालिसी को लॉ डिपार्टमेंट की तरफ से मंजूरी मिल गयी है. जिसे परिवहन विभाग और लेफ्टिनेंट गवर्नर की तरफ से मंजूरी मिलते ही लागू कर दिया जायेगा और मौजूदा पेट्रोल-डीजल और सीएनजी गाड़ियों को फेज वाइज धीरे-धीरे हटाना शुरू कर दिया जायेगा.
5. कर्नाटक में चुनाव से पहले छिड़ा अमूल बनाम नंदिनी विवाद, कांग्रेस-बीजेपी में नोकझोक
कर्नाटक (Karnataka) में दूध मैन्युफैक्चरिंग कंपनी अमूल (Amul) की एंट्री को लेकर विवाद जारी है. राज्य का एक बड़ा तबका अमूल के आने का विरोध कर रहा है. इस बीच अब बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन ने राज्य के (डेयरी) किसानों का समर्थन करने के लिए केवल नंदिनी दूध का इस्तेमाल करने का फैसला किया है. लोगों का दावा है कि अमूल डेयरी की एंट्री से स्थानीय ब्रांड और किसानों को बड़ा नुकसान होगा.
ब्रुहट बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन (Bruhat Bengaluru Hotels Association) ने एक बयान में अमूल का नाम लिए बगैर कहा कि कन्नाडिगा को केवल नंदिनी दुग्ध उत्पादों का प्रचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम सभी को हमारे किसानों के नंदिनी दूध पर गर्व है. इससे पहले, कांग्रेस ने बीजेपी पर राज्य के दुर्जेय डेयरी ब्रांड नंदिनी को मारने की साजिश रचने का आरोप लगाया था.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, गुजरात की दूध कंपनी अमूल ने हाल ही में कर्नाटक में दूध और दही बेचने की घोषणा की है. वहीं कांग्रेस ने इसे कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) के ब्रैंड नंदिनी को ‘खत्म’ करने की साजिश करार देते हुए बीजेपी को घेरा है. कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सभी कन्नाडिगों को अमूल उत्पादों को नहीं खरीदने का संकल्प लेना चाहिए. उनका यह बयान कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) और गुजरात के आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (AMUL) के विलय की अटकलों के बाद आया.
'लाखों लोगों की आजीविका'
उन्होंने आगे कहा कि राज्य की सीमाओं के अंदर घुसपैठ कर हिंदी थोपने और भूमि राजद्रोह के अलावा अब बीजेपी सरकार कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) को बंद करके किसानों को धोखा देने जा रही है, जो लाखों लोगों की आजीविका है. सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने और अमूल को राज्य में एंट्री करने से रोकने के लिए भी कहा. उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस संबंध में राज्य में जनमत संग्रह कराना चाहिए.
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