Breaking News

पेपर लीक और एग्जाम कैंसिल होने से युवाओं का सालों हो जाते हैं बर्बाद



 भारत में बेरोजगारों द्वारा नौकरी और शिक्षा पाने के लिए कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी क्या प्रेशर लेकर आती है, आप सब कुछ पहले से जानते हैं।


भारत में कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स से जुड़ी बड़ी प्रॉब्लम


पिछले कुछ सालों में भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं की दुनिया में कई चिंताजनक घटनाएं हुई हैं। आज हम उन्हीं से सबंधित कुछ प्रश्न उठाएंगे।


1) परीक्षाओं और रिजल्ट्स का लेट होना


कोविड-19 महामारी के कारण, कई परीक्षाओं को स्थगित या रद्द कर दिया गया। छात्रों और उम्मीदवारों के लिए इससे बहुत अनिश्चितता पैदा हो गई। UPSC सिविल सेवा परीक्षा और NEET-PG जैसी परीक्षाओं में कई महीनों की देरी हुई।


कोविड-19 नहीं भी आया होता, तो भारत के कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की दुनिया में खास तौर पर सरकारी नौकरी के लिए होने वाली परीक्षाओं में रिजल्ट्स और परीक्षाओं का लेट होना आम है। ऐसा खासतौर पर SSC और रेलवे में प्राथमिक और मुख्य परीक्षा के बीच भी होता हैं। प्री परीक्षा देने के बाद उसके रिजल्ट्स और मुख्य परीक्षा की डेट्स के इंतजार में कई बार सालों का वक्त निकल जाता है। इस बीच समझदार विद्यार्थी तो कुछ और राह चुन लेते हैं, लेकिन भारत का एक बड़ा युवा वर्ग केवल सरकारी नौकरी ही पाना चाहता है।


क्या लाखों युवाओं की जिदंगी के अनेक वर्षों का कोई मोल नहीं है?


कई मामलों में उम्मीदवार पूरी मेहनत से परीक्षा देकर आते हैं और पेपर लीक की वजह से एग्जाम कैंसिल हो जाता है।

कई मामलों में उम्मीदवार पूरी मेहनत से परीक्षा देकर आते हैं और पेपर लीक की वजह से एग्जाम कैंसिल हो जाता है।

2) पेपर लीक होना


2013 में उजागर हुए व्यापम स्कैम से लेकर 2018 में SSC-CGL पेपर लीक तक भारत में पेपर लीक की घटनाएं होती रही हैं। 2018 में ही केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को 10वीं की गणित और 12वीं की इकोनॉमिक्स की परीक्षा के पेपर लीक होने के आरोपों के चलते दोनों विषयों की परीक्षा दोबारा करना पड़ी थी। 2017 का बिहार स्टाफ सिलेक्शन कमीशन हो या राजस्थान पुलिस कांस्टेबल परीक्षा, पेपर लीक के मामले लगातार सामने आते रहते हैं।


जब भी इस तरह की घटनाएं होती हैं तो बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन होते हैं। ऐसी घटनाओं को होने से रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपायों की मांग की जाती है। फिर कुछ दिन बाद सब ठन्डे बस्ते में चला जाता है।


पेपर लीक का सबसे बड़ा नुकसान ईमानदार विद्यार्थी के दिमाग और मन पर होता है और उसका व्यवस्था से भरोसा उठ जाता है।


क्या 99 % ईमानदार छात्रों के साथ ऐसी बेईमानी और वो भी लगातार, ठीक बात है?


3) तकनीकी गड़बड़ियां


साल 2009 में प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में दाखिले के लिए होने वाले कंप्यूटर बेस्ड कॉमन एडमिशन टेस्ट की बात हो या IBPS क्लर्क परीक्षा, NTA, UGC नेट सहित कई ऑनलाइन परीक्षाओं में तकनीकी गड़बड़ियों की जानकारी मिली है। इस कारण परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाता या फिर से करवाया जाता है। इससे छात्रों और उम्मीदवारों की आगे की सारी प्लानिंग खराब हो जाती है।


क्या हमारे सिस्टम में इसे रोकने के लिए बुनियादी ढांचा और तकनीकी कुशलता नहीं होनी चाहिए?

4) अन्य गड़बड़ियां


उम्मीदवार की जगह किसी और व्यक्ति द्वारा परीक्षा देने जैसी घटनाएं भी हुई हैं और पकड़ में भी आई हैं। उदाहरण के लिए, 2019 में राजस्थान में JEE-मेन्स जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में नकली आधार कार्ड का उपयोग किया गया था, जो पर्यवेक्षकों की सावधानी के कारण पकड़ा गया।


क्या किसी भी तरह की नकल को रोकने तथा निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षा प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपायों की जरूरत नहीं है?


जो जिम्मेदार हैं, क्या कभी भी उनको दण्डित किया जाता है?



कोई टिप्पणी नहीं